"शुष्कभूमि कृषि": अवतरणों में अंतर

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इसके अंतर्गत उपलब्ध सीमित नमी को संचित करके बिना सिंचाई के ही फसलें उगायी जाती हैं। वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाये रखने तथा उसे बढ़ाने का निरन्तर प्रयास किया जाता है। इसके लिए गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। इसके अंतर्गत अल्प नमी में तथा कम समय में उत्पन्न होने वाली फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इस प्रकार की खेती विशेष रूप से भूमध्य सागरीय प्रदेशों तथा अमेरिका के कोलम्बिया पठार पर की जाती है।
इसके अंतर्गत उपलब्ध सीमित नमी को संचित करके बिना सिंचाई के ही फसलें उगायी जाती हैं। वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाये रखने तथा उसे बढ़ाने का निरन्तर प्रयास किया जाता है। इसके लिए गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। इसके अंतर्गत अल्प नमी में तथा कम समय में उत्पन्न होने वाली फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इस प्रकार की खेती विशेष रूप से भूमध्य सागरीय प्रदेशों तथा अमेरिका के कोलम्बिया पठार पर की जाती है।


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*[http://www.indg.in/agriculture/crop_production_techniques/93694193794d915-92d94292e93f-91594393793f-924915928940915/view?set_language=en शुष्क भूमि कृषि तकनीक]
* [http://www.indg.in/agriculture/crop_production_techniques/93694193794d915-92d94292e93f-91594393793f-924915928940915/view?set_language=en शुष्क भूमि कृषि तकनीक]
*[http://janshikshan.blogspot.com/2008/09/blog-post_3633.html झारखंड : शुष्क भूमि कृषि तकनीक]
* [http://janshikshan.blogspot.com/2008/09/blog-post_3633.html झारखंड : शुष्क भूमि कृषि तकनीक]
*[http://hi.wiktionary.org/wiki/बारानी_कृषि_शब्दावली बारानी कृषि शब्दावली] (Dryland Agriculture Glossary)
* [http://hi.wiktionary.org/wiki/बारानी_कृषि_शब्दावली बारानी कृषि शब्दावली] (Dryland Agriculture Glossary)


[[श्रेणी:कृषि]]
[[श्रेणी:कृषि]]

12:52, 12 फ़रवरी 2013 का अवतरण

शुष्क-भूमि कृषि (Dryland farming) सिंचाई किये बिना ही कृषि करने की तकनीक है। यह उन क्षेत्रों के लिये उपयोगी है जहाँ बहुत कम वर्षा होती है।

इसके अंतर्गत उपलब्ध सीमित नमी को संचित करके बिना सिंचाई के ही फसलें उगायी जाती हैं। वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाये रखने तथा उसे बढ़ाने का निरन्तर प्रयास किया जाता है। इसके लिए गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। इसके अंतर्गत अल्प नमी में तथा कम समय में उत्पन्न होने वाली फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इस प्रकार की खेती विशेष रूप से भूमध्य सागरीय प्रदेशों तथा अमेरिका के कोलम्बिया पठार पर की जाती है।

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