"शिव की आरती": अवतरणों में अंतर

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शिव की आरती के बारे में जरुरी जानकारी
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वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव) की एकरूप स्तुति है। यहां यह बताया गया है कि ॐ में तीनों का रूप एक ही है।
वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव) की एकरूप स्तुति है। यहां यह बताया गया है कि ॐ में तीनों का रूप एक ही है।


== आरती ==
देवों के देव [[महादेव]] की आरती से आपके बिगड़े काम बन जाते हैं. सोमवार के दिन [[शिव]] आराधना करना फलदायी होता है. क्योकि [[सोमवार]] का दिन महादेव को समर्पित है. [[शिव]] जी की कृपा पाने के लिए भक्त सोमवार के दिन व्रत भी रखते हैं और शिव भक्ति में लीन रहते हैं. [[हिंदू धर्म]] में पूजा के बाद आरती करने का विधान है. भगवान शिव शंकर की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/religion/aarti-chalisa/shiv-ji-ki-aarti-in-hindi-know-important-things-before-puja-lord-shiva-then-read-jai-shiv-omkara-swami-rdy|title=भगवान शिव की आरती करने से पहले जानें जरूरी बातें|date=18 दिसंबर 2023|work=प्रभात खबर|access-date=19 दिसंबर 2023}}</ref>

== '''आरती''' ==
[[चित्र:शिव.png|अंगूठाकार|260x260पिक्सेल|शिव]]
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ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।<br />ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।<br />
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।<br />हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव.॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।<br />
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव.॥


दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।<br />तीनों रूप निरखते। त्रिभुवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।<br />
तीनों रूप निरखते। त्रिभुवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। शिव मुण्डमाला धारी।<br />चंदन मृगमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। शिव मुण्डमाला धारी।<br />
चंदन मृगमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शिव बाघम्बर अंगे।<br />ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शिव बाघम्बर अंगे।<br />
ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।<br />जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।<br />
जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।<br />प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।<br />
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे। प्रभु प्रेम सहित गावे।<br />कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे। प्रभु प्रेम सहित गावे।<br />
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥


== सन्दर्भ ==
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अर्थ:


ओंकार (ॐ) रूप शिव की जय हो।
ओंकार (ॐ) रूप शिव की जय हो।
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हंस पर आसीन (ब्रह्मा), गरुड़ पर आसीन (नारायण), व शिव अपने वाहन बैल के ऊपर सज्जित हैं।।
हंस पर आसीन (ब्रह्मा), गरुड़ पर आसीन (नारायण), व शिव अपने वाहन बैल के ऊपर सज्जित हैं।।




ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।
ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।
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वास्तव में प्रणव अक्षर (ॐ) में यह तीनों एक ही हैं।।
वास्तव में प्रणव अक्षर (ॐ) में यह तीनों एक ही हैं।।

== सन्दर्भ ==



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15:32, 19 दिसम्बर 2023 का अवतरण

शिव जी की आरती[1] हिन्दू धर्म में संहार के देवता शिव की स्तुति है। इसकी रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने थी।[2][3]

वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव) की एकरूप स्तुति है। यहां यह बताया गया है कि ॐ में तीनों का रूप एक ही है।

आरती

शिव

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव.॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखते। त्रिभुवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। शिव मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शिव बाघम्बर अंगे।
ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे। प्रभु प्रेम सहित गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

सन्दर्भ

अर्थ:

ओंकार (ॐ) रूप शिव की जय हो।

ब्रह्मा, विष्णु व सदाशिव के स्वरुप आप ही हो।।


एक मुख वाले (नारायण), चार मुख वाले (ब्रह्मा), पांच मुख वाले (शिव) हैं।

हंस पर आसीन (ब्रह्मा), गरुड़ पर आसीन (नारायण), व शिव अपने वाहन बैल के ऊपर सज्जित हैं।।


ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।

आपके तीनों रूप अति सुंदर हैं और तीनों लोकों में मन मोह लेते हैं।।


ब्रह्मा ने रुद्राक्ष की माला, विष्णु ने सुगन्धित पुष्पों की माला तो शिव ने, राक्षसों के कटे हुए सिर की माला पहनी हुई है।

चंदन का तिलक (ब्रह्मा), मृगमद कस्तूरी का तिलक (विष्णु), और चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है।।


श्वेत वस्त्र (ब्रह्मा), पीले वस्त्र (विष्णु), व शिव ने बाघ की खाल के वस्त्र पहने हुए हैं।

ब्रह्मा के अनुयायी ब्रह्मादिक ऋषि, विष्णु के अनुयायी सनक आदि ऋषि तथा शिवजी के अनुयायी भूत, प्रेत इत्यादि संग हैं।।


ब्रह्मा के हाथों में कमंडल, विष्णु के चक्र, व शिव के त्रिशूल धारण है।

एक जग के रचनाकार, एक संहारक, तथा एक पालनकर्ता हैं।।


हम ब्रह्मा, विष्णु व सदाशिव को अविवेक के कारण अलग अलग देखते हैं।

वास्तव में प्रणव अक्षर (ॐ) में यह तीनों एक ही हैं।।



  1. "शिव जी की आरती के बोल हिंदी और अंग्रेजी में". २०२३-०६-०६. अभिगमन तिथि २०२२-०६-०८.
  2. "विस्मृत हो चुके हैं भगवान शिव की आरती ओम जय जगदीश... के रचयिता". बिज़नेस स्टैंडर्ड. ३० सितम्बर २०१३. अभिगमन तिथि १७ अप्रैल २०१४.
  3. "पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी भारतीय संस्कृति के महान प्रचारक : प्रोफेसर दरबारी लाल". दैनिक भास्कर. १ अक्टूबर २०१४. मूल से 19 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १७ अप्रैल २०१४.