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11:53, 24 जून 2021: 103.206.51.168 (वार्ता) द्वारा मनसा देवी पर किये कार्य "edit" को दुरुपयोग फ़िल्टर फ़िल्टर 43 ने पकड़ा। फ़िल्टर द्वारा उठाया गया कदम: चेतावनी; फ़िल्टर विवरण: Test edit from toolbar1 (परीक्षण)

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रूद्रांशी , [[भगवती]]
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|Devanagari=मनसा देवी, विषहर महारानी|associate=देवि , शक्ति|script=शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, विष्णु पुराण, ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद|father=[[शिव ]],[]] mother=[[पार्वती]] , |sibling गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी, अय्यापा भगवान| यें अपने भाई बहनों में पांचवे स्थान पर और तीनों बहनों में सबसे छोटी हैं । festivals=नाग पंचमी}}


'''मनसा''' देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। [[महाभारत]]के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति मुनि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्वालामुखी और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।<ref>[http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606224341/http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 |date=6 जून 2014 }} मनसा देवी नागों की देवी हैं, उनका मुख्य मंदिर हरिद्वार में है जो शक्तिपीठ पर स्थापित है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।</ref> इन्हें [[शिव ]]और <nowiki>[[पार्वती]]</nowiki> की पुत्री माना जाता है । समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके पुत्र आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया । <ref>[http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html मनसा] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607003803/http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html |date=7 जून 2014 }} मनसा शिव की पुत्री हैं </ref> </ref> इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा।
'''मनसा''' देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। [[महाभारत]]के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति मुनि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्वालामुखी और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।<ref>[http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606224341/http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 |date=6 जून 2014 }} मनसा देवी नागों की देवी हैं, उनका मुख्य मंदिर हरिद्वार में है जो शक्तिपीठ पर स्थापित है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।</ref> इन्हें [[शिव ]]और <nowiki>[[पार्वती]]</nowiki> की पुत्री माना जाता है । समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके पुत्र आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया । <ref>[http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html मनसा] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607003803/http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html |date=7 जून 2014 }} मनसा शिव की पुत्री हैं </ref> </ref> इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा।

कार्य के प्राचल

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'{{अविश्वसनीय स्रोत|date=फ़रवरी 2015}} {{Hdeity infobox | type = हिंदू , बुद्ध , जैन , सिख | image = Manasa Devi.jpg | name = मनसा देवी (विषहर माता) | caption = मनसा देवी, विषहर माता | devanagari = मनसा देवी | sanskrit_transliteration = Mānasā | affiliation = [[नागकन्या]], [[शिव]] और [[पार्वती]] की पुत्री रूद्रांशी , [[भगवती]] | god_of = [[नाग|नागों]] ,वंश एवं मातृत्व देवी तथा भगवान [[शिव]] की मानस पुत्री , विष को हरने वाली देवी , सम्पूर्ण कामनाओं की प्रदान करने वाली देवी , इच्छापुरक, अम्बा, सभी वरदानों को देने वाली देवी , | abode = नागलोक, कैलाश, वन, भक्त हृदय | mantra = | weapon = त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, सर्प | consort = [[जरत्कारु]] | other_names = [[नागकन्या]], [[रुद्रांश]], विषहर , नागेश्वरी , रक्ताम्बरी, मुकुटेश्वरी , विषेश्वरी | mount = कमल , हंस , सिंहासन | children = [[आस्तिक]] |Devanagari=मनसा देवी, विषहर महारानी|associate=देवि , शक्ति|script=शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, विष्णु पुराण, ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद|father=[[शिव]], [[कश्यप]] मुनि मानस 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है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।</ref> इन्हें [[शिव ]]और <nowiki>[[पार्वती]]</nowiki> की पुत्री माना जाता है । समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके पुत्र आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया । <ref>[http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html मनसा] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607003803/http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html |date=7 जून 2014 }} मनसा शिव की पुत्री हैं </ref> </ref> इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा। == मूल == [[चित्र:Manasa-popular.JPG|thumb|300px|मनसा देवी]] [[यूनान|ग्रीस]] में भी मनसा नामक देवी का प्रसंग आता है।<ref>[https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Mycenaean_deities List Of Mycenaean deities] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140819140006/http://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Mycenaean_deities |date=19 अगस्त 2014 }} [[लीनियर]] बी में MA-NA-SA</ref><ref>[http://books.google.com/books?id=GupJUn_xqkkC&pg=PA112&lpg=PA112&dq=Ma-na-sa+minaon&source=bl&ots=gLCRjj9h2_&sig=af-BXFWq8JHIK7NqrddWF_oW0ew&hl=en&sa=X&ei=n78RULbZDai36wGXt4AQ&ved=0CE8Q6AEwAQ#v=onepage&q=Ma-na-sa&f=false The Knossos Labyrinth] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140702170754/http://books.google.com/books?id=GupJUn_xqkkC&pg=PA112&lpg=PA112&dq=Ma-na-sa+minaon&source=bl&ots=gLCRjj9h2_&sig=af-BXFWq8JHIK7NqrddWF_oW0ew&hl=en&sa=X&ei=n78RULbZDai36wGXt4AQ&ved=0CE8Q6AEwAQ#v=onepage&q=Ma-na-sa&f=false |date=2 जुलाई 2014 }} A New View of the Palace of Minos at Knossos</ref> इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में माना जाता था तथा साथ ही शिव पुत्री, विष की देवी के रूप में भी माना जाता है। 14 वी सदी के बाद इन्हे शिव के परिवार की तरह मंदिरों में आत्मसात किया गया। यह मान्यता भी प्रचलित है कि इन्होने शिव को हलाहल विष के पान के बाद बचाया था, परंतु यह भी कहा जाता है कि मनसा का जन्म [[समुद्र मन्थन|समुद्र मंथन]] के बाद हुआ। विष की देवी के रूप में इनकी पूजा झारखंड बिहार और बंगाल बड़े धूमधाम से हिन्दी और बंग्ला पंचांग के अनुसार भादो महीने मे पूरी माह इनकी स्तुति होती है ।।<ref>{{cite book |title= 108 दैवीय स्थल|author = टेट, कारेन|coauthors= |year= 2005|publisher= CCC प्रकाशन|location= |isbn= 1-888729-11-2|pages= 194|url= }}</ref> इनके सात नामों के जाप से सर्प का भय नहीं रहता। ये नाम इस प्रकार है जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी।<ref>[http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html मनसा के सात नाम] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |date=6 जून 2014 }} इसके पाठ से सर्पभय जाता है।</ref> == रूप == [[File:Manasa Devi Linden-Museum SA38226L.jpg|thumb|मनसा देवी आस्तिक को गोद में लिए हुए, 10वीँ सदी [[पाल वंश]], [[बिहार]]।]] मनसा देवी मुख्यत: सर्पों से आच्छादित तथा कमल पर विराजित हैं 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। कई बार देवी के चित्रों तथा भित्ति चित्रों में उन्हें एक बालक के साथ दिखाया गया है जिसे वे गोद में लिये हैं, वह बालक देवी का पुत्र आस्तिक है।<ref>[http://www.ashram.org/HealthyLiving/GeneralTips/tabid/1341/articleid/2278/Default.aspx?dnnprintmode=true&mid=4303&SkinSrc=%5BG%5DSkins%2F_default%2FNo+Skin&ContainerSrc=%5BG%5DContainers%2F_default%2FNo+Container मुनि आस्तिक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150923175221/http://www.ashram.org/HealthyLiving/GeneralTips/tabid/1341/articleid/2278/Default.aspx?dnnprintmode=true&mid=4303&SkinSrc=%5BG%5DSkins%2F_default%2FNo+Skin&ContainerSrc=%5BG%5DContainers%2F_default%2FNo+Container |date=23 सितंबर 2015 }} इन्होनें ही जन्मेजय के सर्पेष्ठी यज्ञ से सर्पों की रक्षा की थी तथा ये मनसा के पुत्र थे।</ref> == उपाख्यान == === महाभारत === पाण्डुवंश में [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से एक धनुर्धारी [[अर्जुन]] और उनकी द्वितीय पत्नी [[सुभद्रा]] जो श्री [[कृष्ण]] की बहन हैं, उनके पुत्र [[अभिमन्यु]] हुआ जो [[महाभारत]] के युद्ध में मारा गया। अभिमन्यु का पुत्र [[परीक्षित]] हुआ, जिसकी मृत्यु [[तक्षक]] सर्प के काटने से हुई।<ref>[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4 परीक्षित] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606212055/http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4 |date=6 जून 2014 }} ब्रजडिस्कवरी</ref> परीक्षित पुत्र [[जन्‍मेजय]] ने अपने छ: भाइयों के साथ प्रतिशोध में सर्प जाति के विनाश के लिये सर्पेष्ठी यज्ञ किया। [[वासुकी]] ने अपनी बहन '''मनसा''' का विवाह किया तथा उसके पुत्र आस्तिक नें सर्पों को यज्ञ से बचाया।<ref>[http://www.dharmsansar.com/2012_09_01_archive.html नागकुल] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221332/http://www.dharmsansar.com/2012_09_01_archive.html |date=6 जून 2014 }}, इस पृष्ठ में नागकुल का वर्णन है तथा द्वितीय कुल में वासुकि का वर्णन है</ref> राजा [[युधिष्ठिर]] ने भी माता मानसा की पूजा की थी जिसके फल स्वरूप वह महाभारत के युद्ध में विजयी हुए। जहाँ युधिष्ठिर ने पूजन किया वहाँ सालवन गाँव में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।<ref>{{Cite web |url=http://www.jagran.com/haryana/karnal-9777681.html |title=सालवन का प्रसिद्ध मंदिर |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140606220818/http://www.jagran.com/haryana/karnal-9777681.html |archive-date=6 जून 2014 |url-status=live }}</ref> === पुराण === अलग अलग पुराणों में मनसा की अलग अलग किंवदंती है। पुराणों में बताया गया है कि इनका जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ तथा मनसा किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी इसलिये ब्रह्मा ने इनका नाम विषहरी रखा। === विष्णु पुराण === [[विष्णु पुराण]] के चतुर्थ भाग में एक नागकन्या का वर्णन है जो आगे चलकर मनसा के नाम से प्रचलित हुई।<ref>[http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html विष्णुपुराण का वृत्तांत] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |date=6 जून 2014 }}, विष्णुपुराण में भी मनसा का वर्णन है।</ref> === ब्रह्मवैवर्त पुराण === [[ब्रह्मवैवर्त पुराण]] के अंतर्गत एक नागकन्या थी जो शिव तथा कृष्ण की भक्त थी। उसने कई युगों तक तप किया तथा शिव से [[वेद]] तथा कृष्ण मंत्र का ज्ञान प्राप्त किया जो मंत्र आगे जाकर कल्पतरु मंत्र के नाम से प्रचलित हुआ। उस कन्या ने पुष्कर में तप कर कृष्ण के दर्शन किए तथा उनसे सदैव पूजित होने का वरदान प्राप्त किया।<ref>{{Cite web |url=http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |title=ब्रह्मवैवर्तपुराण का वृत्तांत |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |archive-date=6 जून 2014 |url-status=dead }}</ref> === मंगलकाव्य === [[File:Göttin Manasa in Lehm.jpg|thumb|मनसा की प्रतिमा [[सुन्दरवन]]।]] मंगलकाव्य बंगाल में 13वीं तथा 18वीं शताब्दी में लिखित काव्य है जो कई देवताओं के संदर्भ में लिखित हैं। विजयगुप्त का मनसा मंगल काव्य और विप्रदास पिल्ले का मनसाविजय (1495) मनसा के जन्म का वृत्तांत बताते हैं। '''मनसाविजय के अनुसार''' वासुकि नाग की माता नें एक कन्या की प्रतिमा का निर्माण किया जो शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई, जो मनसा कहलाई। जब शिव ने मनसा को देखा तो वे मोहित हो गए, तब मनसा ने बताया कि वह उनकी बेटी है, शिव मनसा को लेकर कैलाश गए। माता [[पार्वती]] नें जब मनसा को शिव के साथ देखा तब चण्डी रूप धारण कर मनसा के एक आँख को अपने दिव्य नेत्र तेज से जला दिया। मनसा ने ही शिव को हलाहल विष से मुक्त किया था। माता पार्वती ने मनसा का विवाह भी खराब किया, मनसा को सर्पवस्त्र पहनने को कहकर कक्ष में एक मेंढक डाल दिया। जगत्कारु भाग गये थे, बाद में जगत्कारु तथा मनसा से आस्तिक का जन्म हुआ।<ref>{{Cite web |url=https://en.wikipedia.org/wiki/Manasa |title=Manasa से |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140814022328/http://en.wikipedia.org/wiki/Manasa |archive-date=14 अगस्त 2014 |url-status=live }}</ref> == मंदिर == === मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार === [[चित्र:Mansa Devi Temple, Haridwar.JPG|thumb|300px|मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार।]] यह मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है तथा हरिद्वार से 3 किमी की दूरी पर स्थित है।<ref>[https://plus.google.com/app/basic/local/103680883109748834428/about?gl=in&hl=en मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607091708/https://plus.google.com/app/basic/local/103680883109748834428/about?gl=in&hl=en |date=7 जून 2014 }} गूगल प्लस</ref> यहाँ पर माता शक्तिपीठ पर स्थापित दुख दूर करतीं हैं। यहाँ 3 मंदिर हैं। यहाँ के एक वृक्ष पर सूत्र बाँधा जाता है परंतु मनसा पूर्ण होने के बाद सूत्र निकालना आवश्यक है।<ref>[http://hindi.nativeplanet.com/haridwar/attractions/mansa-devi-temple/ मनसा देवी मंदिर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606233548/http://hindi.nativeplanet.com/haridwar/attractions/mansa-devi-temple/ |date=6 जून 2014 }} हरिद्वार उत्तरांचल</ref><ref>[http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 मनसा देवी मंदिर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606234612/http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 |date=6 जून 2014 }} भारत डिक्शनरी</ref> यह मंदिर सुबह ८ बजे से शाम ५ बजे तक खुला रहता है। दोपहर में 2 घंटे के लिए १२ से २ तक मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है जिसमे माँ मनसा का श्रृंगार और भोग लगता है। मंदिर परिसर में एक पेड़ है जिसपे भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए एक पवित्र धागा बांधते है। === मनसा देवी मंदिर, पंचकूला === [[File:A temple in Mansa Devi temple complex, Panchkula near Chandigarh.jpg|right|250px|thumb|300px|मनसा देवी मंदिर के पास पटियाला मंदिर।]] माता मनसा [[चण्डीगढ़|चंडीगढ़]] के समीप [[पंचकुला|पंचकूला]] में विराजमान होकर दुख दूर करतीं हैं। यहाँ नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है, यह 100 एकड़ में फैला विशाल मंदिर है। यह मंदिर सन् 1811-1815 के मध्य राजा गोलासिह द्वारा बनवाया गया था।<ref>[http://hindi.nativeplanet.com/panchkula/attractions/mansa-devi-temple/ पंचकुला, चंडीगढ़] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606235719/http://hindi.nativeplanet.com/panchkula/attractions/mansa-devi-temple/ |date=6 जून 2014 }} मनसा मंदिर</ref> === यातायात सुविधा === चंडीगढ़ बस स्टैंड से लगभग 10 किमी तथा पचकुला बस स्टैंड से 4 किमी की दुरी पर स्तिथ , मनसा देवी मंदिर में बसों या ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है । नवरात्री के दिनों में यह  यात्रियों के आने जाने का विशेष प्रबंध चंडीगढ़ परिवहन द्वारा किया जाता है यदि आप लोग रेल से यात्रा के बारे में सोच रहे है तो यह उसका भी उचित व्यवस्था है । चंडीगढ़ -कालका रेल लाइन यह आपको हमेशा ही उपलब्ध मिलेगी । == इन्हें भी देखें == * [[शिव]] * [[पार्वती]] * [[कश्यप]] == सन्दर्भ == {{reflist|30em}} == बाहरी कड़ियाँ == * [https://web.archive.org/web/20140527093129/http://www.mansadevi.nic.in/ मनसादेवी डॉट एनआइसी डॉट इन] * [https://web.archive.org/web/20140606215606/http://rajkamal.jagranjunction.com/2011/04/11/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5/ यात्रा माता श्री मनसा देवी जी की।] * [https://web.archive.org/web/20140606215837/http://girirajbaba.com/hplaceinfo.aspx?ID=Gy9kTd80D98lld मुकुट मुखारविंद।] {{शैव धर्म}} [[श्रेणी:हिन्दू देवियाँ]] [[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]'
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'{{अविश्वसनीय स्रोत|date=फ़रवरी 2015}} {{Hdeity infobox | type = हिंदू , बुद्ध , जैन , सिख | image = Manasa Devi.jpg | name = मनसा देवी (विषहर माता) | caption = मनसा देवी, विषहर माता | devanagari = मनसा देवी | sanskrit_transliteration = Mānasā | affiliation = [[नागकन्या]], [[शिव]] और [[पार्वती]] की पुत्री रूद्रांशी , [[भगवती]] | god_of = [[नाग|नागों]] ,वंश एवं मातृत्व देवी तथा भगवान [[शिव]] की मानस पुत्री , विष को हरने वाली देवी , सम्पूर्ण कामनाओं की प्रदान करने वाली देवी , इच्छापुरक, अम्बा, सभी वरदानों को देने वाली देवी , | abode = कैलाश | weapon = त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, सर्प | consort = [[जरत्कारु]] | other_names = [[नागकन्या]], [[रुद्रांश]], विषहर , नागेश्वरी , रक्ताम्बरी, मुकुटेश्वरी , विषेश्वरी | mount = कमल , हंस , सिंहासन | children = [[आस्तिक]] |Devanagari=मनसा देवी, विषहर महारानी|associate=देवि , शक्ति|script=शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, विष्णु पुराण, ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद|father=[[शिव ]],[]] mother=[[पार्वती]] , |sibling गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी, अय्यापा भगवान| यें अपने भाई बहनों में पांचवे स्थान पर और तीनों बहनों में सबसे छोटी हैं । festivals=नाग पंचमी}} '''मनसा''' देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। [[महाभारत]]के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति मुनि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्वालामुखी और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।<ref>[http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606224341/http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 |date=6 जून 2014 }} मनसा देवी नागों की देवी हैं, उनका मुख्य मंदिर हरिद्वार में है जो शक्तिपीठ पर स्थापित है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।</ref> इन्हें [[शिव ]]और <nowiki>[[पार्वती]]</nowiki> की पुत्री माना जाता है । समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके पुत्र आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया । <ref>[http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html मनसा] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607003803/http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html |date=7 जून 2014 }} मनसा शिव की पुत्री हैं </ref> </ref> इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा। == मूल == [[चित्र:Manasa-popular.JPG|thumb|300px|मनसा देवी]] [[यूनान|ग्रीस]] में भी मनसा नामक देवी का प्रसंग आता है।<ref>[https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Mycenaean_deities List Of Mycenaean deities] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140819140006/http://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Mycenaean_deities |date=19 अगस्त 2014 }} [[लीनियर]] बी में MA-NA-SA</ref><ref>[http://books.google.com/books?id=GupJUn_xqkkC&pg=PA112&lpg=PA112&dq=Ma-na-sa+minaon&source=bl&ots=gLCRjj9h2_&sig=af-BXFWq8JHIK7NqrddWF_oW0ew&hl=en&sa=X&ei=n78RULbZDai36wGXt4AQ&ved=0CE8Q6AEwAQ#v=onepage&q=Ma-na-sa&f=false The Knossos Labyrinth] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140702170754/http://books.google.com/books?id=GupJUn_xqkkC&pg=PA112&lpg=PA112&dq=Ma-na-sa+minaon&source=bl&ots=gLCRjj9h2_&sig=af-BXFWq8JHIK7NqrddWF_oW0ew&hl=en&sa=X&ei=n78RULbZDai36wGXt4AQ&ved=0CE8Q6AEwAQ#v=onepage&q=Ma-na-sa&f=false |date=2 जुलाई 2014 }} A New View of the Palace of Minos at Knossos</ref> इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में माना जाता था तथा साथ ही शिव पुत्री, विष की देवी के रूप में भी माना जाता है। 14 वी सदी के बाद इन्हे शिव के परिवार की तरह मंदिरों में आत्मसात किया गया। यह मान्यता भी प्रचलित है कि इन्होने शिव को हलाहल विष के पान के बाद बचाया था, परंतु यह भी कहा जाता है कि मनसा का जन्म [[समुद्र मन्थन|समुद्र मंथन]] के बाद हुआ। विष की देवी के रूप में इनकी पूजा झारखंड बिहार और बंगाल बड़े धूमधाम से हिन्दी और बंग्ला पंचांग के अनुसार भादो महीने मे पूरी माह इनकी स्तुति होती है ।।<ref>{{cite book |title= 108 दैवीय स्थल|author = टेट, कारेन|coauthors= |year= 2005|publisher= CCC प्रकाशन|location= |isbn= 1-888729-11-2|pages= 194|url= }}</ref> इनके सात नामों के जाप से सर्प का भय नहीं रहता। ये नाम इस प्रकार है जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी।<ref>[http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html मनसा के सात नाम] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |date=6 जून 2014 }} इसके पाठ से सर्पभय जाता है।</ref> == रूप == [[File:Manasa Devi Linden-Museum SA38226L.jpg|thumb|मनसा देवी आस्तिक को गोद में लिए हुए, 10वीँ सदी [[पाल वंश]], [[बिहार]]।]] मनसा देवी मुख्यत: सर्पों से आच्छादित तथा कमल पर विराजित हैं 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। कई बार देवी के चित्रों तथा भित्ति चित्रों में उन्हें एक बालक के साथ दिखाया गया है जिसे वे गोद में लिये हैं, वह बालक देवी का पुत्र आस्तिक है।<ref>[http://www.ashram.org/HealthyLiving/GeneralTips/tabid/1341/articleid/2278/Default.aspx?dnnprintmode=true&mid=4303&SkinSrc=%5BG%5DSkins%2F_default%2FNo+Skin&ContainerSrc=%5BG%5DContainers%2F_default%2FNo+Container मुनि आस्तिक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150923175221/http://www.ashram.org/HealthyLiving/GeneralTips/tabid/1341/articleid/2278/Default.aspx?dnnprintmode=true&mid=4303&SkinSrc=%5BG%5DSkins%2F_default%2FNo+Skin&ContainerSrc=%5BG%5DContainers%2F_default%2FNo+Container |date=23 सितंबर 2015 }} इन्होनें ही जन्मेजय के सर्पेष्ठी यज्ञ से सर्पों की रक्षा की थी तथा ये मनसा के पुत्र थे।</ref> == उपाख्यान == === महाभारत === पाण्डुवंश में [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से एक धनुर्धारी [[अर्जुन]] और उनकी द्वितीय पत्नी [[सुभद्रा]] जो श्री [[कृष्ण]] की बहन हैं, उनके पुत्र [[अभिमन्यु]] हुआ जो [[महाभारत]] के युद्ध में मारा गया। अभिमन्यु का पुत्र [[परीक्षित]] हुआ, जिसकी मृत्यु [[तक्षक]] सर्प के काटने से हुई।<ref>[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4 परीक्षित] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606212055/http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4 |date=6 जून 2014 }} ब्रजडिस्कवरी</ref> परीक्षित पुत्र [[जन्‍मेजय]] ने अपने छ: भाइयों के साथ प्रतिशोध में सर्प जाति के विनाश के लिये सर्पेष्ठी यज्ञ किया। [[वासुकी]] ने अपनी बहन '''मनसा''' का विवाह किया तथा उसके पुत्र आस्तिक नें सर्पों को यज्ञ से बचाया।<ref>[http://www.dharmsansar.com/2012_09_01_archive.html नागकुल] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221332/http://www.dharmsansar.com/2012_09_01_archive.html |date=6 जून 2014 }}, इस पृष्ठ में नागकुल का वर्णन है तथा द्वितीय कुल में वासुकि का वर्णन है</ref> राजा [[युधिष्ठिर]] ने भी माता मानसा की पूजा की थी जिसके फल स्वरूप वह महाभारत के युद्ध में विजयी हुए। जहाँ युधिष्ठिर ने पूजन किया वहाँ सालवन गाँव में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।<ref>{{Cite web |url=http://www.jagran.com/haryana/karnal-9777681.html |title=सालवन का प्रसिद्ध मंदिर |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140606220818/http://www.jagran.com/haryana/karnal-9777681.html |archive-date=6 जून 2014 |url-status=live }}</ref> === पुराण === अलग अलग पुराणों में मनसा की अलग अलग किंवदंती है। पुराणों में बताया गया है कि इनका जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ तथा मनसा किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी इसलिये ब्रह्मा ने इनका नाम विषहरी रखा। === विष्णु पुराण === [[विष्णु पुराण]] के चतुर्थ भाग में एक नागकन्या का वर्णन है जो आगे चलकर मनसा के नाम से प्रचलित हुई।<ref>[http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html विष्णुपुराण का वृत्तांत] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |date=6 जून 2014 }}, विष्णुपुराण में भी मनसा का वर्णन है।</ref> === ब्रह्मवैवर्त पुराण === [[ब्रह्मवैवर्त पुराण]] के अंतर्गत एक नागकन्या थी जो शिव तथा कृष्ण की भक्त थी। उसने कई युगों तक तप किया तथा शिव से [[वेद]] तथा कृष्ण मंत्र का ज्ञान प्राप्त किया जो मंत्र आगे जाकर कल्पतरु मंत्र के नाम से प्रचलित हुआ। उस कन्या ने पुष्कर में तप कर कृष्ण के दर्शन किए तथा उनसे सदैव पूजित होने का वरदान प्राप्त किया।<ref>{{Cite web |url=http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |title=ब्रह्मवैवर्तपुराण का वृत्तांत |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140606221947/http://bhartiyelog.blogspot.in/2012/05/with-jaanu-vora-lalitha-nadaraja-ritesh.html |archive-date=6 जून 2014 |url-status=dead }}</ref> === मंगलकाव्य === [[File:Göttin Manasa in Lehm.jpg|thumb|मनसा की प्रतिमा [[सुन्दरवन]]।]] मंगलकाव्य बंगाल में 13वीं तथा 18वीं शताब्दी में लिखित काव्य है जो कई देवताओं के संदर्भ में लिखित हैं। विजयगुप्त का मनसा मंगल काव्य और विप्रदास पिल्ले का मनसाविजय (1495) मनसा के जन्म का वृत्तांत बताते हैं। '''मनसाविजय के अनुसार''' वासुकि नाग की माता नें एक कन्या की प्रतिमा का निर्माण किया जो शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई, जो मनसा कहलाई। जब शिव ने मनसा को देखा तो वे मोहित हो गए, तब मनसा ने बताया कि वह उनकी बेटी है, शिव मनसा को लेकर कैलाश गए। माता [[पार्वती]] नें जब मनसा को शिव के साथ देखा तब चण्डी रूप धारण कर मनसा के एक आँख को अपने दिव्य नेत्र तेज से जला दिया। मनसा ने ही शिव को हलाहल विष से मुक्त किया था। माता पार्वती ने मनसा का विवाह भी खराब किया, मनसा को सर्पवस्त्र पहनने को कहकर कक्ष में एक मेंढक डाल दिया। जगत्कारु भाग गये थे, बाद में जगत्कारु तथा मनसा से आस्तिक का जन्म हुआ।<ref>{{Cite web |url=https://en.wikipedia.org/wiki/Manasa |title=Manasa से |access-date=6 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140814022328/http://en.wikipedia.org/wiki/Manasa |archive-date=14 अगस्त 2014 |url-status=live }}</ref> == मंदिर == === मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार === [[चित्र:Mansa Devi Temple, Haridwar.JPG|thumb|300px|मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार।]] यह मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है तथा हरिद्वार से 3 किमी की दूरी पर स्थित है।<ref>[https://plus.google.com/app/basic/local/103680883109748834428/about?gl=in&hl=en मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607091708/https://plus.google.com/app/basic/local/103680883109748834428/about?gl=in&hl=en |date=7 जून 2014 }} गूगल प्लस</ref> यहाँ पर माता शक्तिपीठ पर स्थापित दुख दूर करतीं हैं। यहाँ 3 मंदिर हैं। यहाँ के एक वृक्ष पर सूत्र बाँधा जाता है परंतु मनसा पूर्ण होने के बाद सूत्र निकालना आवश्यक है।<ref>[http://hindi.nativeplanet.com/haridwar/attractions/mansa-devi-temple/ मनसा देवी मंदिर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606233548/http://hindi.nativeplanet.com/haridwar/attractions/mansa-devi-temple/ |date=6 जून 2014 }} हरिद्वार उत्तरांचल</ref><ref>[http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 मनसा देवी मंदिर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606234612/http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 |date=6 जून 2014 }} भारत डिक्शनरी</ref> यह मंदिर सुबह ८ बजे से शाम ५ बजे तक खुला रहता है। दोपहर में 2 घंटे के लिए १२ से २ तक मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है जिसमे माँ मनसा का श्रृंगार और भोग लगता है। मंदिर परिसर में एक पेड़ है जिसपे भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए एक पवित्र धागा बांधते है। === मनसा देवी मंदिर, पंचकूला === [[File:A temple in Mansa Devi temple complex, Panchkula near Chandigarh.jpg|right|250px|thumb|300px|मनसा देवी मंदिर के पास पटियाला मंदिर।]] माता मनसा [[चण्डीगढ़|चंडीगढ़]] के समीप [[पंचकुला|पंचकूला]] में विराजमान होकर दुख दूर करतीं हैं। यहाँ नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है, यह 100 एकड़ में फैला विशाल मंदिर है। यह मंदिर सन् 1811-1815 के मध्य राजा गोलासिह द्वारा बनवाया गया था।<ref>[http://hindi.nativeplanet.com/panchkula/attractions/mansa-devi-temple/ पंचकुला, चंडीगढ़] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606235719/http://hindi.nativeplanet.com/panchkula/attractions/mansa-devi-temple/ |date=6 जून 2014 }} मनसा मंदिर</ref> === यातायात सुविधा === चंडीगढ़ बस स्टैंड से लगभग 10 किमी तथा पचकुला बस स्टैंड से 4 किमी की दुरी पर स्तिथ , मनसा देवी मंदिर में बसों या ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है । नवरात्री के दिनों में यह  यात्रियों के आने जाने का विशेष प्रबंध चंडीगढ़ परिवहन द्वारा किया जाता है यदि आप लोग रेल से यात्रा के बारे में सोच रहे है तो यह उसका भी उचित व्यवस्था है । चंडीगढ़ -कालका रेल लाइन यह आपको हमेशा ही उपलब्ध मिलेगी । == इन्हें भी देखें == * [[शिव]] * [[पार्वती]] * [[कश्यप]] == सन्दर्भ == {{reflist|30em}} == बाहरी कड़ियाँ == * [https://web.archive.org/web/20140527093129/http://www.mansadevi.nic.in/ मनसादेवी डॉट एनआइसी डॉट इन] * [https://web.archive.org/web/20140606215606/http://rajkamal.jagranjunction.com/2011/04/11/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5/ यात्रा माता श्री मनसा देवी जी की।] * [https://web.archive.org/web/20140606215837/http://girirajbaba.com/hplaceinfo.aspx?ID=Gy9kTd80D98lld मुकुट मुखारविंद।] {{शैव धर्म}} [[श्रेणी:हिन्दू देवियाँ]] [[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]'
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'@@ -10,6 +10,5 @@ रूद्रांशी , [[भगवती]] | god_of = [[नाग|नागों]] ,वंश एवं मातृत्व देवी तथा भगवान [[शिव]] की मानस पुत्री , विष को हरने वाली देवी , सम्पूर्ण कामनाओं की प्रदान करने वाली देवी , इच्छापुरक, अम्बा, सभी वरदानों को देने वाली देवी , -| abode = नागलोक, कैलाश, वन, भक्त हृदय -| mantra = +| abode = कैलाश | weapon = त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, सर्प | consort = [[जरत्कारु]] @@ -17,5 +16,5 @@ | mount = कमल , हंस , सिंहासन | children = [[आस्तिक]] -|Devanagari=मनसा देवी, विषहर महारानी|associate=देवि , शक्ति|script=शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, विष्णु पुराण, ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद|father=[[शिव]], [[कश्यप]] मुनि मानस पिता|offspring=[[आस्तिक]]|mother=[[पार्वती]] देवी अपने मंगल [[चंडी]] रूप में, [[कद्रू]] मानस माता|sibling गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी, अय्यापा भगवान| यें अपने भाई बहनों में पांचवे स्थान पर और तीनों बहनों में सबसे छोटी हैं । festivals=नाग पंचमी}} +|Devanagari=मनसा देवी, विषहर महारानी|associate=देवि , शक्ति|script=शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, विष्णु पुराण, ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद|father=[[शिव ]],[]] mother=[[पार्वती]] , |sibling गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी, अय्यापा भगवान| यें अपने भाई बहनों में पांचवे स्थान पर और तीनों बहनों में सबसे छोटी हैं । festivals=नाग पंचमी}} '''मनसा''' देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। [[महाभारत]]के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति मुनि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्वालामुखी और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।<ref>[http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 मनसा देवी मंदिर हरिद्वार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140606224341/http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=111202-114134-141000 |date=6 जून 2014 }} मनसा देवी नागों की देवी हैं, उनका मुख्य मंदिर हरिद्वार में है जो शक्तिपीठ पर स्थापित है। नवरात्रि को यहाँ बहुत भीड़ लगती है तथा तीर्थ के साथ ही यह पर्यटन स्थल भी है जो मन में शांति का अनुभव कराने वाला है।</ref> इन्हें [[शिव ]]और <nowiki>[[पार्वती]]</nowiki> की पुत्री माना जाता है । समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके पुत्र आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया । <ref>[http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html मनसा] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140607003803/http://koiaurhai.blogspot.in/2014/03/mata-mansa.html |date=7 जून 2014 }} मनसा शिव की पुत्री हैं </ref> </ref> इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा। '
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