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'{{Infobox military conflict |conflict=कर्नाटक युद्ध |partof= | image= |date=1744–1763 |place= [[कर्नाटक]], [[भारत]] |result=इंग्लैंड की जीत |combatant1=[[Mughal Empire]]<ref>{{cite book|url=http://books.google.com.pk/books?id=Y-08AAAAIAAJ|title=The Cambridge History of the British Empire|publisher=|accessdate=16 December 2014|date=1929|page=126}}</ref> * [[Image:Asafia flag of Hyderabad State.png|23px|border]] [[Nizam of Hyderabad]] * {{flagicon image|Flag of the principality of Carnatic.gif}} [[Nawab of Carnatic]] * [[Nawab of Bengal]] |combatant2={{flag|Kingdom of France}} * {{flagicon|Kingdom of France}} [[French East India Company]] |combatant3={{flag|Kingdom of Great Britain}} * [[Image:Flag of the British East India Company (1707).svg|23px]] [[East India Company]] |commander1=[[Alamgir II]]<br>[[Anwaruddin Muhammed Khan|Anwaruddin]] {{KIA}}<br>[[Nasir Jang Mir Ahmad|Nasir Jung]] {{KIA}}<br> [[Muzaffar Jung]] {{KIA}}<br>[[Chanda Sahib]] {{KIA}}<br>[[Raza Sahib]]<br>[[Muhammed Ali Khan Wallajah|Wala-Jah]] <br>[[Murtaza Ali]]<br>Abdul Wahab{{Executed}}<br>[[Hyder Ali]]<br>Dalwai [[Nanjaraja]] <br>[[Salabat Jung]]{{Executed}} |commander2= [[Joseph François Dupleix|Dupleix]]<br> [[Marquis de Bussy-Castelnau|De Bussy]]<br> [[Thomas Arthur, comte de Lally|Comte de Lally]] <br>d'Auteil {{POW}}<br>[[Francois Jacques Law|Law]] {{POW}}<br>De la Touche |commander3=[[Robert Clive]]<br> [[Stringer Lawrence]] |strength1= |strength2= |strengt3h= |casualties1= |casualties2= |casualties3= }} {{Campaignbox First Carnatic War}} {{Campaignbox Second Carnatic War}} {{Campaignbox Seven Years' War: East Indies}} {{Campaignbox Seven Years' War}} '''कर्नाटक युद्ध''' (Karnatic Wars) [[भारत]] में इंग्लैंड औ्र फ्रांस के बीच १८वीं शताब्दी के मध्य में अपने बर्चस्व स्थापना की कोशिशों को लेकर हुआ युद्ध है। ब्रिटेन औ्र फ्रांस ने चार बार युद्ध किया। युद्ध का केंद्र कर्नाटक के भूभाग रहे इसलिए इसे कर्नाटक का युद्ध कहते हैं। == पृष्ठभूमि == [[१७०७]] ई। में औरंगजे़ब के निधन के बाद मुगलों का भारत के विभिन्न भागों से नियंत्रण कमज़ोर होता गया। [[कमरुद्दीन खान, आसिफ जहां I|निजाम-उल-मुल्क]] ने ने स्वतंत्र हैदराबाद रियासत की स्थापना की। उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे [[नसीर जंग मीर अहमद|नसीर जंग]], और उसके पोते [[मुहईद्दीन मुजफ्फर जंग हिदायत|मुजफ्फर जंग]] में उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष शुरु हुआ। इसने ब्रिटेनी और फ्रांसीसी कंपनियों को भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करने का सुनहरा मौका दे दिया। निज़ाम-उल-मुल्क की ही तरह नबाब दोस्त अली खान ने कर्नाटक को मुग़लों और हैदराबाद से स्वतंत्र कर लिया था। दोस्त अली के निधन के बाद उसके दामाद [[चंदा साहिब]] और [[मुहम्मद अली खान वल्लाजहाँ|मुहम्मद अली]] में उत्तराधिकार का विवाद शुरु हुआ। फ्रांस और इंग्लैंड ने यहाँ भी हस्तक्षेप किया। फ्रांस ने [[चंदा साहिब]] का और इंग्लैंड ने [[मुहम्मद अली खान वल्लाजहाँ|मुहम्मद अली]] का समर्थन किया। <ref name=Naravane>{{Cite book |last=Naravane |first=M.S. |title=Battles of the Honorourable East India Company |publisher=A.P.H. Publishing Corporation |year=2014 |isbn=9788131300343 |pages=150–159}}</ref> == पहला कर्नाटक युद्ध (१७४६-१७४८) == उत्तराधिकार के इस संघर्ष में [[पांडिचेरी]] के गवर्नर [[डूप्ले]] के नेतृत्व में फ्रांसीसियों की जीत हुई। और अपने दावेदारों को गद्दी पर बिठाने के बदले में उन्हें उत्तरी सरकार का क्षेत्र प्राप्त हुआ जिसे फ्रांसीसी अफसर बुस्सी ने सात सालों तक नियंत्रित किया। == दूसरा कर्नाटक युद्ध (१७४९ - १७५४) == लेकिन फ्रांसीसियों की यह जीत बहुत कम समय की थी क्योकि 1751 ई. में [[रॉबर्ट क्लाइव]] के नेतृत्व में ब्रिटिश शक्ति ने युद्ध की परिस्थितियाँ बदल दी थी। रोबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश शक्ति ने एक साल बाद ही उत्तराधिकार हेतु फ्रांसीसी समर्थित दावेदारों को पराजित कर दिया।अंततः फ्रांसीसियों को ब्रिटिशों के साथ [[पान्डिचेरी की संधि]] करनी पड़ी। == तीसरा कर्नाटक युद्ध ( १७५६ - १७६३ ) == '''सातवर्षीय युद्ध''' (1756-1763 ई.।) अर्थात [[तृतीय कर्नाटक युद्ध]] में दोनों यूरोपीय शक्तियों की शत्रुता फिर से सामने आ गयी। इस युद्ध की शुरुआत फ्रांसीसी सेनापति [[काउंट दे लाली]] द्वारा मद्रास पर आक्रमण के साथ हुई। लाली को ब्रिटिश सेनापति सर आयरकूट द्वारा हरा दिया गया। 1761 ई. में ब्रिटिशों ने पोंडिचेरी पर कब्ज़ा कर लिया और लाली को जिंजी और कराइकल के समर्पण हेतु बाध्य कर दिया। अतः फ्रांसीसी बांडीवाश में लडे गये तीसरे कर्नाटक युद्ध (1760 ई.) में हार गए और बाद में यूरोप में उन्हें ब्रिटेन के साथ [[पेरिस की संधि]] करनी पड़ी।<ref> [कर्नाटक युद्ध- माइ सिविल पुस्तक कॉम http://www.mycivilpustak.com/history/carnatic-wars-1746-1763/ आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध][] </ref> === सन्दर्भ === {{टिप्पणीसूची}} {{आधार}} [[श्रेणी:आधुनिक भारत का इतिहास]] [[श्रेणी:कर्नाटक का इतिहास]] [[श्रेणी:तेलंगाना का इतिहास]] [[श्रेणी:भारत संबंधित युद्ध]] [[श्रेणी:फ्रांस संबंधित युद्ध]] [[श्रेणी:औपनिवेशिक भारत]] [[श्रेणी:ब्रिटेन संबंधित युद्ध]]'
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'{{Infobox military conflict |conflict=कर्नाटक युद्ध |partof= | image= |date=1744–1763 |place= [[कर्नाटक]], [[भारत]] |result=इंग्लैंड की जीत |combatant1=[[Mughal Empire]]<ref>{{cite book|url=http://books.google.com.pk/books?id=Y-08AAAAIAAJ|title=The Cambridge History of the British Empire|publisher=|accessdate=16 December 2014|date=1929|page=126}}</ref> * [[Image:Asafia flag of Hyderabad State.png|23px|border]] [[Nizam of Hyderabad]] * {{flagicon image|Flag of the principality of Carnatic.gif}} [[Nawab of Carnatic]] * [[Nawab of Bengal]] |combatant2={{flag|Kingdom of France}} * {{flagicon|Kingdom of France}} [[French East India Company]] |combatant3={{flag|Kingdom of Great Britain}} * [[Image:Flag of the British East India Company (1707).svg|23px]] [[East India Company]] |commander1=[[Alamgir II]]<br>[[Anwaruddin Muhammed Khan|Anwaruddin]] {{KIA}}<br>[[Nasir Jang Mir Ahmad|Nasir Jung]] {{KIA}}<br> [[Muzaffar Jung]] {{KIA}}<br>[[Chanda Sahib]] {{KIA}}<br>[[Raza Sahib]]<br>[[Muhammed Ali Khan Wallajah|Wala-Jah]] <br>[[Murtaza Ali]]<br>Abdul Wahab{{Executed}}<br>[[Hyder Ali]]<br>Dalwai [[Nanjaraja]] <br>[[Salabat Jung]]{{Executed}} |commander2= [[Joseph François Dupleix|Dupleix]]<br> [[Marquis de Bussy-Castelnau|De Bussy]]<br> [[Thomas Arthur, comte de Lally|Comte de Lally]] <br>d'Auteil {{POW}}<br>[[Francois Jacques Law|Law]] {{POW}}<br>De la Touche |commander3=[[Robert Clive]]<br> [[Stringer Lawrence]] |strength1= |strength2= |strengt3h= |casualties1= |casualties2= |casualties3= }} {{Campaignbox First Carnatic War}} {{Campaignbox Second Carnatic War}} {{Campaignbox Seven Years' War: East Indies}} {{Campaignbox Seven Years' War}} '''कर्नाटक युद्ध''' (Karnatic Wars) [[भारत]] में इंग्लैंड औ्र फ्रांस के बीच १८वीं शताब्दी के मध्य में अपने बर्चस्व स्थापना की कोशिशों को लेकर हुआ युद्ध है। ब्रिटेन औ्र फ्रांस ने चार बार युद्ध किया। युद्ध का केंद्र कर्नाटक के भूभाग रहे इसलिए इसे कर्नाटक का युद्ध कहते हैं। == पृष्ठभूमि == [[१७०७]] ई। में औरंगजे़ब के निधन के बाद मुगलों का भारत के विभिन्न भागों से नियंत्रण कमज़ोर होता गया। [[कमरुद्दीन खान, आसिफ जहां I|निजाम-उल-मुल्क]] ने ने स्वतंत्र हैदराबाद रियासत की स्थापना की। उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे [[नसीर जंग मीर अहमद|नसीर जंग]], और उसके पोते [[मुहईद्दीन मुजफ्फर जंग हिदायत|मुजफ्फर जंग]] में उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष शुरु हुआ। इसने ब्रिटेनी और फ्रांसीसी कंपनियों को भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करने का सुनहरा मौका दे दिया। निज़ाम-उल-मुल्क की ही तरह नबाब दोस्त अली खान ने कर्नाटक को मुग़लों और हैदराबाद से स्वतंत्र कर लिया था। दोस्त अली के निधन के बाद उसके दामाद [[चंदा साहिब]] और [[मुहम्मद अली खान वल्लाजहाँ|मुहम्मद अली]] में उत्तराधिकार का विवाद शुरु हुआ। फ्रांस और इंग्लैंड ने यहाँ भी हस्तक्षेप किया। फ्रांस ने [[चंदा साहिब]] का और इंग्लैंड ने [[मुहम्मद अली खान वल्लाजहाँ|मुहम्मद अली]] का समर्थन किया। <ref name=Naravane>{{Cite book |last=Naravane |first=M.S. |title=Battles of the Honorourable East India Company |publisher=A.P.H. Publishing Corporation |year=2014 |isbn=9788131300343 |pages=150–159}}</ref> == पहला कर्नाटक युद्ध (१७४६-१७४८) == उत्तराधिकार के इस संघर्ष में [[पांडिचेरी]] के गवर्नर [[डूप्ले]] के नेतृत्व में फ्रांसीसियों की जीत हुई। और अपने दावेदारों को गद्दी पर बिठाने के बदले में उन्हें उत्तरी सरकार का क्षेत्र प्राप्त हुआ जिसे फ्रांसीसी अफसर बुस्सी ने सात सालों तक नियंत्रित किया। == दूसरा कर्नाटक युद्ध (१७४९ - १७५४) == लेकिन फ्रांसीसियों की यह जीत बहुत कम समय की थी क्योकि 1751 ई. में [[रॉबर्ट क्लाइव]] के नेतृत्व में ब्रिटिश शक्ति ने युद्ध की परिस्थितियाँ बदल दी थी। रोबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश शक्ति ने एक साल बाद ही उत्तराधिकार हेतु फ्रांसीसी समर्थित दावेदारों को पराजित कर दिया।अंततः फ्रांसीसियों को ब्रिटिशों के साथ [[पान्डिचेरी की संधि]] करनी पड़ी। == तीसरा कर्नाटक युद्ध ( १७५६ - १७६३ ) == '''सातवर्षीय युद्ध''' (1756-1763 ई.।) अर्थात [[तृतीय कर्नाटक युद्ध]] में दोनों यूरोपीय शक्तियों की शत्रुता फिर से सामने आ गयी। इस युद्ध की शुरुआत फ्रांसीसी सेनापति [[काउंट दे लाली]] द्वारा मद्रास पर आक्रमण के साथ हुई। लाली को ब्रिटिश सेनापति सर आयरकूट द्वारा हरा दिया गया। 1761 ई. में ब्रिटिशों ने पोंडिचेरी पर कब्ज़ा कर लिया और लाली को जिंजी और कराइकल के समर्पण हेतु बाध्य कर दिया। अतः फ्रांसीसी बांडीवाश में लडे गये तीसरे कर्नाटक युद्ध (1764 ई.) में हार गए और बाद में यूरोप में उन्हें ब्रिटेन के साथ [[पेरिस की संधि]] करनी पड़ी।<ref> [कर्नाटक युद्ध- माइ सिविल पुस्तक कॉम http://www.mycivilpustak.com/history/carnatic-wars-1746-1763/ आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध][] </ref> === सन्दर्भ === {{टिप्पणीसूची}} {{आधार}} [[श्रेणी:आधुनिक भारत का इतिहास]] [[श्रेणी:कर्नाटक का इतिहास]] [[श्रेणी:तेलंगाना का इतिहास]] [[श्रेणी:भारत संबंधित युद्ध]] [[श्रेणी:फ्रांस संबंधित युद्ध]] [[श्रेणी:औपनिवेशिक भारत]] [[श्रेणी:ब्रिटेन संबंधित युद्ध]]'
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