मृगावती (मृगावत)

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मृगावती हिंदी प्रेमाख्यान काव्य मृगावत की नायिका है। इसकी रचना १६वीं शताब्दी के आरंभ (१५०३-०४ ई०) में, कुतबन ने की थी।[1]

मृगावती की कथा के आधार पर बाद में अनेक लोगो ने हिंदी और बंगला मे रचनाएँ की हैं।

कथा[संपादित करें]

मृगावती कंचन नगर के राजा रूप मुरारी की बेटी थी। एक दिन वह मृगी का वेश धारण कर वन में विचरण कर रही थी। उसे चंद्रगिरि के राजा गणपति देव के पुत्र ने देखा और उस पर आसक्त हो गया। वह उसकी खोज में योगी वेश धारण करके निकला। मार्ग में रुपमणि नामक राजकुमारी की राक्षस से रक्षा कर विवाह किया। फिर उसे छोड़ कर मृगावती की खोज में चल पड़ा। नाना कष्ट सहते हुए कंचन नगर पहुँचा और वहाँ मृगावती को राज करते पाया। वहाँ १२ वर्ष रहा। जब वह घर न लौटा तो उसे बुलाने के लिए उसके पिता ने दुत भेजा। रास्ते में वह रुपमणि से मिलता हुआ राजकुमार के पास पहुँचा और उसे लौटा लाया। अंत मे एक दिन आखेट करते हुए राजकुमार की मृत्यु हो गई और मृगावती और रुपमणि उसके साथ सती हो गई।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "ई-पुस्तकें E-books :: कविता कोश :: गद्य कोश". Kavita Kosh. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2021.
  2. "ई-पुस्तकें E-books :: कविता कोश :: गद्य कोश". Kavita Kosh. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2021.