चित्र:जैन ध्वज .jpg
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सारांश
विवरणजैन ध्वज .jpg |
हिन्दी: jain flag |
दिनांक | |
स्रोत | अपना कार्य |
लेखक | KISHAN GOLCHHA |
जैन धर्म में पाँच पदों को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है, इन्हें पंचपरमेष्ठी कहते हैं, ध्वज के पाँच रंग 'पंचपरमेष्ठी' के प्रतीक है
लाल - सिद्ध का अर्थात जिनका मोक्ष हो चूका है !
सफ़ेद - अरिहन्त अर्थात जिन्होंने केवलज्ञान प्राप्त कर चुके होते है और मोक्ष मार्ग के उपदेशक होते हैं, अरिहंत द्वारा ही चतुर्विध संघ की (साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका) स्थापना होती है और सर्व विरति और देश विरति धर्म के प्रवर्तक भी अरिहंत ही होते हैं, चरम शरीरी होते है अर्थात उसी भव में मोक्ष भी जाने वाले होते है मगर आयुष्य कर्म सहित होते है इसी से इनका प्रतिक रंग ध्वज में सिद्ध के प्रतिक रंग से नीचे होता है !
पीला - अरिहंतों के बाद अरिहंतो की शिष्य परम्परा मुख्य शिष्य पद और परम्परा में साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध संघ का मुखिया आचार्य ही होता है इसी से उनका प्रतिक रंग पीला तीसरे नंबर पर रखा जाता है ! भरतक्षेत्र और ऐरावतक्षेत्र की अपेक्षा से जब कालांतर में केवलज्ञान होना बंद होता है तब संघ का दायित्व आचार्य का होता है और उस समय आचार्य ही सर्वोपरि पद होता है क्योंकि इससे उस समय केवलज्ञान का विच्छेद काल होता है अतः कोई भी जीव उस समय उस क्षेत्र में अरिहंत या केवली नहीं बनता और न ही कोई जीव उस क्षेत्र से उस काल में मोक्ष में जाता है अतः समस्त संघ आचार्य की आज्ञा में रहता है !
हरा - ज्ञान का प्रतीक है और ऐसे ज्ञान धारक मुनि उपाध्याय या पाठक भी कहलाते है क्योंकि उन्हें संपूर्ण शास्त्रों का ज्ञान होता है और दूसरे साधारण मुनियो को पढ़ाने जिम्मेवारी भी उनकी होती है अतः पीले के नीचे हरा रंग रखा जाता है !
नीला/काला - साधारण छद्मस्थ साधु-साध्वियों का प्रतीक है चूँकि वे चौथे-पांचवे गुणस्थानक वाले मोक्ष मार्ग के पथिक होते है अतः सबसे अंत में काला/नीला रंग होता है !
ऐसे पांच रंगो का सिलसिलेवार बना ध्वज जैन ध्वज कहलाता है !
लाइसेंस
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कानूनी अस्वीकरण स्वास्तिक का यह चित्र उस स्वास्तिक से मेल खाता है जिसका इस्तेमाल जर्मनी की राष्ट्रीय समाजवादी (NSDAP/नाज़ी) सरकार या उससे संबंधित किसी संगठन द्वारा, या फिर किसी दूसरे पक्ष द्वारा किया जाता था जिसपर जर्मनी के संघीय संवैधानिक अदालत द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे संगठनों के चिह्नों का इस्तेमाल जिन्हें जर्मनी में प्रतिबंधित कर दिया गया है, ऑस्ट्रिया, हंगरी, पोलैंड, चेक गणराज्य, फ़्रांस, ब्राज़ील, इस्राइल, यूक्रेन, रूस और दूसरे देशों में भी अवैध हो सकता है, जो प्रसंग पर निर्भर है। जर्मनी में उपयुक्त कानून है आपराधिक संहिता (StGB) का अनुच्छेद 86-क, पोलैंड में – आपराधिक संहिता का अनुच्छेद 256 (Dz.U. 1997 nr 88 poz. 553)। मगर यह प्रतिबंध धार्मिक प्रकृति के स्वास्तिकों पर लागू नहीं होता ह, जैसे जैन, हिंदू, और बौद्ध धर्म द्वारा उपयुक्त स्वास्तिक। |
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४ सितम्बर 2017
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दिनांक/समय | थंबनेल | आकार | सदस्य | प्रतिक्रिया | |
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वर्तमान | 11:10, 4 सितंबर 2017 | 424 × 338 (12 KB) | KISHAN GOLCHHA | Cross-wiki upload from hi.wikipedia.org |
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