चित्र:खंडहर प्राचीन नरवर किला (नरवर म.प्र.).jpg
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सारांश
विवरणखंडहर प्राचीन नरवर किला (नरवर म.प्र.).jpg |
English: Narwar Fort and Memorial
Some part and buildings become ruin. There is no security and managment.
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दिनांक | 02:31:06 | ||
स्रोत | अपना कार्य | ||
लेखक | पवन सिंह बैश |
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नरवर किला। भारत के सबसे सुरक्षित कलों में शुमार यह किला अत्यन्त प्राचीन और ऐतिहासिक है। नरवर का उल्लेख महाभारत में भी निषध नगर नाम से मिलता है। नरवर के राजा नल के नाम पर इस जगह का नाम नलपुर (बाद में नरवर) पडा। नल-दमयन्ती की कथाएँ पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि आज तक इस किले को कोई भी आक्रमणकारी जीत नहीं पाया। इसकी सुरक्षा व्यवस्था के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकारों और विदेशी यात्रियों ने लिखा है कि - इब्नेबतूता के अनुसार – “शहर ऊँचाई पर व्यवस्थित था तथा काफी सुरक्षित था। रात्रि में तथा संकट में शहर के दरवाजे बन्द कर दिए जाते थे।” विलियम फ़्रिन्ज (1608-1611ई.) के अनुसार – “नरवर बडे आकार का शहर था। वह एक घाटी में पहाडी पर बसा था और वह चारदीवारी से घिरा था। एक ऊँची पहाडी पर किला बना था। दुर्ग के द्वारों पर पहरा था। राजा की बिना अनुमति के कोई अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता था।” तेवर्नियर के (1600ई.) अनुसार – “नरवर, पहाड़ की ढलान पर बसा एक शहर था। पहाड़ पर मजबूत किला था तथा उसके चारों ओर चारदीवारी बनी है। नरवर शहर तथा पहाड़ी को तीन ओर से नदी घेरे है।” तबकात-ए-अकबरी के लेखक ख़्वाज़ा निज़ामुद्दीन (1508ई.) के अनुसार – “सुल्तान सिकंदर ने 26 शबान 914 (हिजरी सन्) (20 दिसम्बर 1508) को नरवर किले से प्रस्थान किया। सुल्तान ने सोचा कि नरवर का किला अत्यधिक दृढ है। यदि वह शत्रु को प्राप्त हो जावेगा तो उसे पुनः वापस नहीं लिया जा सकेगा। इस कारण से उसने दूसरा किला (शहरपनाह) उसके चारों ओर बनवाया ताकि शत्रु उस पर अधिकार न जमा सके।” इतिहासकार कनिंघम ने इस मत का समर्थन नहीं किया है। उसके अनुसार यह शहरपनाह तो काफी प्राचीन है। सिकन्दर द्वारा दूसरा किला बनवाने का अर्थ किले के मध्य जो दो अन्य दीवारें हैं उनसे है। यह शहरपनाह वर्तमान में भी नरवर के तीनों ओर मौजूद है। इस शहर पनाह की लम्बाई लगभग 2 कि.मी., ऊँचाई लगभग 20 फिट और चौडाई 8 से 10 फीट तक है। इस शहरपनाह के बाहर सभी ओर गहरी खाई मौजूद थी। [वर्तमान में भी अधिकांश स्थान पर यह खाई मौजूद है।] खाई की चौडाई 40-50 फीट तक है। आज से लगभग 39 साल पूर्व तक वर्ष भर खाई में पानी भरा रहता था। वर्तमान में सिर्फ बरसात में ही पानी भरा रहता है। तेवर्नियर तथा फ्रेंच यात्री टिफ़िनथलर के अनुसार – “इस खाई में पानी के खतरनाक प्राणी मगर इत्यादि डले रहते थे। वर्तमान में इस शहरपनाह को पार कर नरवर नगर में प्रवेश के चार रास्ते हैं।” 1. गंजदरवाजा 2. धुवाई दरवाजा 3. मुबारिकपुर दरवाजा 4. जिन्दावली दरवाजा। इन चारों दरवाजों में से वर्तमान में गंजदरवाजा तथा धुवाई दरवाजा अपने मुलस्वरूप में सुरक्षित हैं किन्तु मुबारिकपुर तथा जिन्दावली दरवाजा ध्वस्त हो चुके हैं। वहाँ रास्ता मात्र है। प्रसिद्ध अँग्रेज इतिहासकार कनिंघम (1867ई.) ने इस शहरपनाह के तीन दरवाजों का विवरण दिया है। ए.कनिंघम के अनुसार – इन दरवाजों के नाम ‘ग्वालियरी दरवाजा’, ‘झाँसी दरवाजा’ तथा ‘धुवाई दरवाजा’ हैं। प्रथम दो नाम सामने पडने वाले शहर ग्वालियर व झाँसी के नाम पर है। तथा तीसरे का नाम धुवाई तालाब के नाम पर ही है। आज भी नरवर से निकलने के चार रास्ते (दरवाजे) ही हैं। दो पूर्व में वर्णित में से तथा दो ध्वस्त हो चुके हैं। कनिंघम तथा वृन्दावनलाल वर्मा ने जिन्दावली दरवाजे का उल्लेख नहीं किया है। विलियम फ्रिंज के अनुसार इन दरवाजों में विशाल फाटक लगे थे। ये फाटक लम्बे होते थे। जिनको एक यंत्र द्वारा खाई पर डालकर पुल का काम लिया जाता था। तथा उसी यंत्र द्वारा रात्रि के समय इन दरवाजों को बंद कर इस शहर पनाह के सभी रास्ते बन्द कर दिए जाते थे। जब कोई शत्रु सेना आक्रमण करती थी तो इस नगर कोट के बाहर झील तथा उसमें मौजूद जहरीले जानवर उसके रास्ते की सबसे बडी बाधा थी। पानी तथा जानवरों के रहते नाव इत्यादि से पार करने में बडी मुश्किल का सामना करना पडता और सामने नगर कोट के सैनिकों का निशाना उन पर रहता था। शत्रु सेना के अधिकांश साधन यह झील खत्म कर देती थी क्योंकि पानी रहते इस नगर कोट को तोडना दुष्कर कार्य था। इधर सेना पानी में, उधर नरवर की सेना कोट के भीतर ऊँचे स्थान पर। यदि नरवर पक्ष के समस्त संसाधन भी खत्म हो जावें तो मात्र पत्थरों से ही कई दिनों तक युद्ध लडा जा सकता था। इस शहर की पनाह की मजबूती की प्रसंशा फ्रिंज, टिफ़िनथलर, कनिंघम तथा वृन्दावनलाल वर्मा जैसे इतिहासकारों ने भी की है।
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चित्र का इतिहास
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दिनांक/समय | थंबनेल | आकार | सदस्य | प्रतिक्रिया | |
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वर्तमान | 10:05, 18 सितंबर 2016 | 4,320 × 3,240 (2.85 MB) | पवन सिंह बैश | User created page with UploadWizard |
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कैमेरा उत्पादक | Canon |
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कैमेरा मॉडल | Canon PowerShot SX150 IS |
एक्स्पोज़र का समय | 1/1,000 सेकंड (0.001) |
F संख्या | f/3.4 |
ISO गति मूल्यमापन | 160 |
डेटा की सृष्टि का दिनांक और समय | 02:31, 14 सितंबर 2014 |
लेन्स की फोकल लंबाई | 5 mm |
अभिविन्यास | सामान्य |
क्षैतिज रेसोल्यूशन | 180 dpi |
वर्टिकल रिज़ोल्यूशन | 180 dpi |
फ़ाइल बदलाव दिनांक और समय | 02:31, 14 सितंबर 2014 |
Y और C का स्थान | द्वि-जालस्थलीय |
Exif संस्करण | 2.3 |
डिजिटाइज़िंग का दिनांक और समय | 02:31, 14 सितंबर 2014 |
हर घटक का मतलब |
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चित्र कंप्रेशन मोड | 2 |
शटर की गति | 9.96875 |
APEX द्वारक | 3.53125 |
APEX एक्सपोज़र पूर्वाग्रह | 0 |
अधिकतम भूमि द्वारक | 3.53125 APEX (f/3.4) |
मीटरिंग मोड | पॅटर्न |
फ़्लैश | फ़्लैश नहीं चला, फ़्लैश न चलना लाज़मी |
समर्थित Flashpix संस्करण | 1 |
रंग स्थान | sRGB |
फोकल प्लेन का X रेसोल्यूशन | 17,777.777777778 |
फोकल प्लेन का Y रेसोल्यूशन | 17,802.197802198 |
फोकल प्लेन के रेसोल्यूशन का मात्रक | इंच |
सेन्सिंग पद्धति | वन चीप कलर एरीया सेन्सर |
चित्र का स्रोत | डिजिटल स्टिल कैमरा |
अनुकूलित चित्र प्रोसेसिंग | सामान्य प्रक्रिया |
एक्सपोज़र मोड | ऑटो एक्स्पोज़र |
व्हाइट बैलेन्स | ऑटो व्हाईट बैलेन्स |
डिजिटल ज़ूम अनुमान | 1 |
सीन कैप्चर का प्रकार | स्टॅन्डर्ड |
दर्ज़ा (5 से) | 0 |