केरल का वन्यजीवन
केरल का वन्यजीवन केरल की आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है, जिसमें कम ऊँचाई पर सदाबहार वर्षावन और पूर्व में उच्चभूमि के पर्णपाती और अर्ध-सदाबहार वन शामिल हैं। हालाँकि भूभाग तथा ऊँचाई में आवश्यक परिवर्तन उच्च जैव विविधता की ओर ले जाता है किंतु अलप्पुझा जिले में कोई वन नहीं है।
सदाबहार वन
[संपादित करें]केरल के अधिकांश बंजर जैवविविध भूभाग इसके पूर्वी जिलों के सदाबहार जंगलों में स्थित हैं।[1] तटीय केरल अधिकतर कृषि के अंतर्गत आता है जो कि तुलनात्मक रूप से कम वन्यजीवी है। इसके बावजूद केरल के 9,400 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में प्राकृतिक वन निहित हैं। केरल विश्व की चार रामसर परंपराओं जैसे- अष्टमुडी झील, सस्थमकोट्टा झील, त्रिशूर-पोन्नानी कोले आर्द्रभूमि तथा वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि आदि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के लिए जाना जाता है।[2] पलक्कड़ जिले के परम्बिकुलम वन केरल के जंगलीय क्षेत्रों में से एक है।
वनस्पति
[संपादित करें]पूर्वी केरल के घुमावदार पर्वत उष्णकटिबंधीय आर्द्र वनों तथा उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों को आश्रय देते हैं जो सामान्य रूप से पश्चिमी घाटों की विशेषता है।
जीव-जंतु
[संपादित करें]केरल के जंगल एशियाई हाथी (एलीफस मैक्सिमस), बंगाल चीता (पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), नीलगिरी तहर (नीलगिरिट्रागस हाइलोक्रिस) तथा घड़ियाली विशाल गिलहरी (रतुफा मैक्रोरा) जैसे प्रमुख जीवों का पोषण करते हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]टिप्पणी
[संपादित करें]केरल के इडुक्की जिले में सबसे अधिक वन भूमि है जबकि अलप्पुझा में ऐसा नहीं है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ टीपी, श्रीधरन (2004). "बोयोलॉजिकल डाईवर्सिटी ऑफ़ केरला : अ सर्वे ऑफ़ कल्लियासेरी पंचायत, कन्नौर डिस्ट्रिक्ट" (PDF). केरला रिसर्च प्रोग्राम ऑन लोकल लेवल डेवेलपमेंट (सेंटर फ़ॉर डेवेलपमेंट स्टडीज़): 11. मूल (PDF) से 26 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जून 2023.
- ↑ वीपी, चंद्रन (2018). मातृभूमि इयरबुक प्लस - 2019 (मलयालम संस्करण). कोझिकोड़े: पी. वी. चंद्रन, मैनेजिंग एडीटर, मातृभूमि प्रिंटिंग & पब्लिशिंग कंपनी लिमिटेड, कोझिकोड़े. पृ॰ 342.