ऐल्सैस लोरेन
Imperial Territory of Alsace-Lorraine Reichsland Elsaß-Lothringen | |||||||||
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Imperial Territory of the German Empire | |||||||||
1871–1918 | |||||||||
Alsace-Lorraine within the German Empire | |||||||||
Anthem | |||||||||
Elsässisches Fahnenlied "The Alsatian Flag's song" | |||||||||
Capital | Straßburg (Strasbourg) | ||||||||
Area | |||||||||
• 1910 | 14,496 कि॰मी2 (5,597 वर्ग मील) | ||||||||
Population | |||||||||
• 1910 | 18,74,014 | ||||||||
Government | |||||||||
• Type | Federal territory | ||||||||
Reichsstatthalter | |||||||||
• 1871–1879 | Eduard von Möller (first) | ||||||||
• 1918 | Rudolf Schwander (last) | ||||||||
Legislature | Landtag | ||||||||
History | |||||||||
10 मई 1871 | |||||||||
• Disestablished | 1918 | ||||||||
28 June 1919 | |||||||||
Political subdivisions | Bezirk Lothringen, Oberelsass, Unterelsass | ||||||||
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Today part of | France |
ऐल्सैस लोरेन (Imperial Territory of Alsace-Lorraine; जर्मन: Reichsland Elsaß-Lothringen या Elsass-Lothringen) वह भूभाग है जिसका निर्माण 1871 में जर्मन साम्राज्य ने फ्रांस-प्रशा युद्ध में फ्रांस से जीतने के बाद बनया था। सन् 1919 ई. में यह फिर फ्रांस को दे दिया गया, परंतु सन् 1940 ई. में जर्मनी ने वापस ले लिया।
1871 ई. के पश्चात् जर्मनी ने इसे तीन प्रशासनिक विभागों में विभाजित किया–'ऊपरी ऐल्सैस', 'निचला ऐल्सैस' तथा लोरेन। फ्रांसीसियों ने भी इसे तीन विभागों में बाँटा–हो-राइन, बा-राइन, तथा मोज़ेल। प्राकृतिक रूप से भी ऐल्सैस की अपनी सीमाएँ हैं। पश्चिम में फ्रांस की सीमा, पूर्व में बाडेन तथा दक्षिण में यह स्विट्ज़रलैंड से घिरा है। इस क्षेत्र की जनसंख्या सन् 1936 ई. में 19,15,627 थी, जिनमें से केवल दस प्रतिशत ही फ्रांसीसी बोलनेवाले थे, अन्य सब जर्मन (जैसे स्विटज़रलैंड के बेसल अंचल में बोली जानेवाली जर्मन भाषा) बोलनेवाले थे।
यद्यपि ऐल्सैस में पोटाश तथा मिट्टी के तेल का उत्पादन होता है, तथापि यह प्रदेश कृषि उत्पादन, वस्त्र, मशीनों इत्यादि के लिए अधिक प्रसिद्ध है। लोरेन का अत्यधिक महत्व यहाँ के लोहे तथा कोयले के कारण है, जो औद्योगिक तथा सामरिक दोनों दृष्टियों से यूरोप में शक्ति के पासंग हैं। इसके अतिरिक्त यह बड़े-बड़े व्यापारिक तथा आवागमन के अन्य मुख्य मार्गो–राइन, सैवर्न तथा बर्गेडी के द्वार–पर होने से फ्रांस तथा जर्मनी दोनों के लिए सोने की चिड़िया है। इसका 2,000 वर्षो का इतिहास बताता है कि यह यूरोपीय राजनीति में सदैव झगड़े की जड़ रहा है और सन् 1870 ई. से तो विश्व राजनीति में भी काफी प्रसिद्ध रहा है। इसकी पूर्वी सीमा पर उत्तर से पूर्व दिशा में 115 मील तक राइन नदी बहती है, स्ट्रैबर्ग के नीचे ईल (लंबाई 190 किमी मील) इसमें योग देती है। संपूर्ण प्रदेश का प्राय: 50% भाग कृषि योग्य है, 11.6 चरागाह के योग्य तथा 30.8% जंगल है। इस प्रदेश के मुख्य नगर स्ट्रैसबर्ग, मेट्ज़ तथा क्लोमार हैं।