खलिहान
खलिहान, जिसे बाड़ा भी बोलते हैं, ऐसे स्थान या कक्ष को कहते हैं जिसमें पशु-मवेशी, खेती के औज़ार और कटी हुई फ़सल को रखा जाता है। आम तौर पर खलिहान बारिश, बर्फ़, धूप और आंधी से सुरक्षा के लिए किसी कच्ची या पक्की छत से ढके हुए होते हैं। ध्यान दें कि कुछ सन्दर्भों में खलिहान और बाड़ा केवल उस मकान को ही नहीं बल्कि उसके इर्द-गिर्द की बिना ढकी हुई ज़मीन को भी कहते हैं जहाँ फ़सल और हल वग़ैरह पड़े रहते हैं।
अन्य भाषाओँ में
[संपादित करें]खलिहानों को अंग्रेज़ी में "बार्न" (barn) और फ़ारसी में "अम्बार" (انبار) या "ख़िरमन" (خرمن) कहते हैं।
बनावट
[संपादित करें]खलिहानों की बनावट क्षेत्र पर निर्भर करती है। इन्हें पत्थर, मिटटी, घास और लकड़ी सभी से बनाया जाता है। आधुनिक युग में खलिहानों का ढांचा बनाने के लिए कभी-कभी लोहे का भी प्रयोग होता है। जिन जगहों पर खलिहान घास या लकड़ी के बने होते हैं वहाँ हमेशा आग का डर रहता है, क्योंकि उस से अन्दर रखी हुई फ़सल नष्ट हो जाती है और किसान के जानवर भी मारे जा सकते हैं।
लोक-संस्कृति में
[संपादित करें]भारतीय उपमहाद्वीप की लोक-संस्कृति में खलिहान की छवि का बहुत महत्व है। अगर किसी के जीवन में बहुत धन-दौलत है तो कहा जाता है के उसके "अम्बार भरे हुए हैं", जो उस कृषि-जीवनी की तरफ़ इशारा है जिसमें अनाज और जानवर से भरे खलिहान ही धन-सम्पति का संकेत थे। शेर-ओ-शायरी में दिल की तुलना अक्सर एक ख़िरमन (खलिहान) से की जाती है और प्रेमिका की नज़र की तुलना बिजली या एक अंगारे से जो उसे जलाकर राख कर देती है और व्यक्ति को बरबाद कर देती है। उदहारण के लिए -
- मौज-ए-दरिया जो मैं होता, तू किनारा होती
- ख़िरमन-ए-दिल पे यूँ गिरती, के शरारा होती