हरिया माता

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आई हरिया माताजी का जन्म सिरोही जिले के रेवदर तहसील के मीटन गाँव में हुआ था। मीटन गाँव बारहठ सिरदारो के जागीर का गाँव है।

इतिहास[संपादित करें]

माँ हरिया माताजी के पिता का नाम वगताजी बारहठ था माताजी का विवाह ग्राम वाड़का जो अनादरा कस्बे के पास है हुआ था आपके पति का नाम दानाजी था

आपके पास उस समय 1000 से भी ज्यादा गाये थी अतः दानाजी वाड़का से 20 किलोमीटर हरणी गाँव जो निम्बज व् सुंधा पर्वत की पहाड़ियों से लगता है वहाँ गाय चराने गये हुऐ थे वहाँ हरणी के ठाकुर ने भीलों की सहायता से आपकी गायों को अगवा करवा लिया तब दानाजी व् भीलो के मध्य निम्बज की पहाड़ी के पास संघर्ष हुआ व् दानाजी अकेले ही लड़े जिसमे वो वीरगति को प्राप्त हुऐ

हरिया माताजी उस समय गायो को दुह रही थी तो अचानक दुहना बन्द कर वो अपने देवर जी को बुलवाया और कहा की चलो आपके भाई के साथ धोखा हो गया है

माताजी अपने देवर के साथ हरणी गाँव पहुंचे तथा माताजी का रोद्र रूप देखकर सभी राजपूत वहाँ से भाग गए थे तो माताजी ने पूरा हरणी गांव को नष्ट होने का श्राप दिया

हरणी के कुछ राजपूत माताजी के पैरो में पड़े व् इतनी बड़ी सजा माँ से नही देने की अनुनय विनय की तो माताजी ने कहा ये हरणी गाँव तो कभी आबाद नही हो सकता व् आपको यहाँ से दूर दूसरा गाँव ही बसाना पड़ेगा

माताजी के इस रोद्र रूप के बाद अपने पति श्री दानाजी की देह को गोद में लेकर वहीँ हरणी में ही आप सती हो गयी उसके दूसरे दिन ही सभी भील निंबज की पहाड़ियों में मरे हुए मिले व् पूरा हरणी गांव भी आग की चपेट में आने से उजड़ गया

परिणामस्वरूप आज हरणी गांव जहाँ माताजी ने जमहर जला था वहाँ से 3 किलोमीटर की दुरी पर अमरापुरा के नाम से दूसरा गाँव बसा हुआ है

● माताजी के आदेशानुसार हरणी गांव जहाँ माताजी का भव्य मन्दिर बना हुआ है वहां का पानी चारण समाज के लिये वर्जित है यहाँ तक की दांतराई पास में बड़ा कस्बा है वहाँ हरणी का दूध भी होटलो में आता है तो चाय वर्जित है वहाँ किसी भी चारण बन्धु को प्रसादी बनानी पडती है तो पानी व् सामान साथ में लेके जाना पड़ता है चारण जाती के लोग आज भी हरणी व् अमरापुरा का पानी नही पीते है

वर्तमान में मन्दिर की व्यवस्था हेतु अमरापुरा के ठाकुर की अध्यक्षता में एक समिति बनी हुई है दूसरे समाजो के लिए सभी सुविधाये उपलब्ध है मन्दिर परिसर में एक धर्मशाला है व् मन्दिर में ही प्रशादी की दुकान संचालित है व् एक सुंदर बगीचा भी मन्दिर समिति द्वारा बनाया गया है

रेवदर जसवंतपुरा मुख्य सड़क मार्ग पर मन्दिर का बड़ा प्रवेश द्वार बना हुआ है हरिया माताजी वलदरा के सती हिरा माताजी का ईस्ट थी। वहीं हिरा माताजी सगत लूँग माताजी का इष्ट थी।

सन्दर्भ[संपादित करें]