स्वीकृत भुगतान मूल्य

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ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न शहर में भूमि की नीलामी। सभी उपस्थित ग्राहक भूमि खरीदना चाहते हैं, लेकिन वह इसकी अलग-अलग कीमत देने को तैयार हैं। किसी भी माल या सेवा के बाज़ार में अलग-अलग उपभोक्ता का स्वीकृत भुगतान मूल्य अलग होता है।

स्वीकृत भुगतान मूल्य (willingness to pay) किसी उपभोक्ता के लिए वह अधिकतम कीमत (मूल्य) होती है जिसपर या जिस से नीचे वह किसी माल या सेवा को खरीदने के लिए तैयार होता है। किसी भी चीज़ के लिए अलग-अलग उपभोक्ता के लिए यह स्वीकृत भुगतान मूल्य एक-दूसरे से भिन्न हो सकती है। किसी माल या सेवा की बाज़ार में माँग (demand) समझने के लिए भिन्न उपभोगताओं के समूहों में स्वीकृत भुगतान मूल्यों को समझना आवश्यक होता है वरना विक्रेता उस चीज़ की कीमत गलत निर्धारित करने की गलती कर सकता है।[1][2][3]

उपभोक्ता अधिशेष[संपादित करें]

अगर किसी उपभोक्ता को कोई चीज़ अपने स्वीकृत भुगतान मूल्य से कम मूल्य पर मिल जाती है तो उस अंतर को उपभोक्ता अधिशेष (consumer surplus) कहा जाता है।

उदाहरण[संपादित करें]

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि:

  • अशोक बाज़ार दो स्वेटर खरीदने जाता है। वह प्रत्येक स्वेटर खरीदने के लिए अधिक-से-अधिक ₹400 देने को तैयार है, यानि उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य ₹400 है।
  • अशोक को मनचाहे स्वेटर ₹250 के दाम पर मिल जाते हैं, यानि अपने स्वीकृत भुगतान मूल्य से ₹400 - ₹250 = ₹150 कम। कुल मिलाकर उसने अपने दोनों स्वेटरों की खरीद में ₹300 बचाए, यानि उसका उपभोक्ता अधिशेष ₹300 है।
  • उसी दिन सुशीला भी बाज़ार में तीन स्वेटर खरीदने जाती है, और उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य ₹200 है। लेकिन बाज़ार में स्वेटर ₹250 से कम में उपलब्ध ही नहीं हैं। वह स्वेटर खरीदे बिना ही घर लौट आती है।
  • उसी दिन एक तीसरी ग्राहक, रीता, भी बाज़ार में पाँच स्वेटर खरीदने जाती है, और उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य ₹450 है। उसे स्वेटर ₹250 की कीमत पर खरीदने का मौका मिलता है और वह अपने मनचाहे पाँच स्वेटर इसी दाम पर खरीद लेती है। यानि हर स्वेटर पर उसे ₹200 बचाने का और पाँचों स्वेटरों पर उसे ₹1000 बचाने का अवसर मिल जाता है। रीता का उपभोक्ता अधिशेष ₹1000 है।
  • अगर उस दिन बाज़ार में केवल यही तीन ग्राहक स्वेटर खरीदने आए थे, तो उस बाज़ार में उस दिन के लिए कुल उपभोक्ता अधिशेष ₹300 + ₹1000 = ₹1300 है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Varian, Hal R. (1992), Microeconomic Analysis, Vol. 3. New York: W.W. Norton.
  2. Anderson, James C., Dipak Jain, and Pradeep K. Chintagunta (1993), "Understanding Customer Value in Business Markets: Methods of Customer Value Assessment," Journal of Business-to-Business Marketing, 1 (1), 3–30.
  3. Breidert Christoph, Hahsler, Michael, and Reutterer (2006), "A Review of Methods for Measuring Willingness-to-Pay", Innovative Marketing, 2(4), 8–32.[1]