सहकार

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अनेक व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा किसी समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिये मिलकर प्रयास करना सहकार (cooperation) कहलाता है। समान उद्देश्य की पूर्ति के लिये अनेक व्यक्तियों या संस्थाओं की सम्मिलित संस्था को सहकारी संस्था कहते हैं। 'सहकारिता' शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई है- सह +कार। 'सह' का अर्थ है-मिलकर तथा 'कार' का अर्थ है-काम।

सहकारिता पर आधारित व्यवस्था पूंजीवादी और समाजवादी दोनों व्यवस्थाओं से है। इसमें वैयक्तिक स्वतन्त्रता की रक्षा करते हुए आर्थिक समृद्धि तथा सार्वजनिक कल्याण के लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हैं। सहकारिता, लोकतान्त्रिक समाजवाद तथा नियोजन में गहरा सम्बन्ध है। समाजवाद में आर्थिक क्रियाओं को सार्वजनिक बनाया जाता है जो वास्तव में सहकारीकरण से ही सम्भव है। सहकारी भावना से समता, भ्रातृ-भावना, आत्मविश्वास, व्यवस्था कौशल आदि व्यावहारिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है जो समाज एवं राष्ट्र की समृद्धि लिए आवश्यक है।

सहकारिता आन्दोलन आर्थिक दृष्टि से निर्बल व्यक्तियों के उस आन्दोलन को कहते हैं जो स्वेच्छा से आर्थिक हितों की पूर्ति हेतु बनाया जाता है। इससे पारस्परिक सहायता, त्याग, आत्मनिर्भरता और मितव्ययिता आदि गुणों का विकास होता है। सहकारिता के अन्तर्गत वैयक्तिक नहीं वरन् सामूहिक उत्तरदायित्व को प्रोत्साहन दिया जाता है।

परिभाषा[संपादित करें]

सहकारिता की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं।

(१) "सहकारिता संगठन द्वारा आत्म-सहायता को प्रभावपूर्ण बनाने की विधि है।" ( सर होरेस एल)
(२) "सहकारिता उत्पादन एवं वितरण की क्रियाओं में प्रतियोगिता एवं सभी प्रकार के मध्यस्थों को हटाना है।" (सेलिग्मैन)
(३) "सहकारिता संगठन का वह स्वरूप है जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छानुसार समानता के आधार पर मनुष्य की हैसियत से अपने आर्थिक हितों में वृद्धि हेतु संगठित होते हैं।" (कैल्वर्ट)
(४) "सहकारिता सामाजिक संगठन की एक पद्धति है जो एकता, मितव्ययिता, लोकतन्त्र, न्याय एवं स्वतन्त्रता पर आधारित है। सहकारिता स्वयं का अपना जीवनदर्शन है। यह मनुष्य को स्वार्थपरता से सार्वजनिक सेवा की ओर ले जाती है। प्रतियोगिता का अन्त कर पारंपरिक सहयोग से व्यक्ति अपने स्वयं के संगठन एवं मेल द्वारा आर्थिक क्रियाओं का संचालन करने लगते है।" (डब्लू.पी. वाटकिन्स)

विशेषताएँ[संपादित करें]

सहकारी आन्दोलन की निम्नांकित विशेषताएँ हैं-

  • (1) यह सामूहिक हितों के लिये बनाया गया व्यक्तियों का एक संघ है।
  • (2) सहकारी संगठन की सदस्यता स्वैच्छिक होती है। कोई व्यक्ति जब चाहे इसका सदस्य बन सकता है तथा पूर्व सूचना देकर सदस्यता समाप्त कर सकता है।
  • (3) इसकी प्रबन्ध व्यवस्था लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के आधार पर की जाती है।
  • (4) सहकारी संगठन एक धार्मिक एवं परोपकारी संगठन न होकर आर्थिक संगठन होता है।
  • (5) सहकारी संगठन लाभ की जगह सेवा को अधिक महत्व देता है।
  • (6) यह नैतिक उत्थान, ईमानदारी तथा आत्म सहायता पर आधारित सामाजिक एवं आर्थिक आन्दोलन है।
  • (7) इसमें सामाजिक सम्पत्ति का बँटवारा एक निश्चित न्यायपूर्ण आधार पर होता है।
  • (8) यह 'पारस्परिक-सहायता द्वारा आत्म-सहायता' के सिद्धान्त पर आधारित है।
  • (9) इसमें पूंजीवाद एवं साम्यवाद दोनों के गुण पाये जाते हैं।
  • (10) यह लोकतन्त्र पर आधारित एक स्वतः संचालित (Autonomous) संस्था है जो स्वतन्त्रतापूर्वक अपनी प्रबन्ध व्यवस्था करती है।
  • (11) यह आन्दोलन व्यक्ति के साथ-साथ समुदाय के सर्वागीण विकास लिये प्रयास करता है।
  • (12) 'काम करो' इस आन्दोलन का नारा है।
  • (13) सहकारिता आंदोलन संघात्मक पद्धति पर आधारित है। इसमें विभिन्न इकाइयां मिलकर अपना एक संघ बनाकर अपने क्रियाकलाप संचालित करती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]