सदस्य वार्ता:Neeti Varghese/प्रयोगपृष्ठ

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राइनोवाइरस[संपादित करें]

राइनोवाइरस एक विषाणु है। यह इंसनो मे पाए गए सबसे सामान्य वाइरल एजेंट है।

राइनोवाइरस

हस्तांतरण और महामारी विज्ञान[संपादित करें]

यह सामान्य जुखाम क प्रमुख कारण है। यह ३३-३५ तापमान के बीच मे पनपता है। यह तापमान नाक मे पाया जाता है। यह वाइरस पीकोरनावीरिद परिवार से है। इनके ९९ प्रकार जो मनुष्य मे पाए जाते है, पहचाने जा चुके है। यह अपघत्य और सबसे छोटे वाइरस मे से एक है। इसके दो संचारण के तरीके पाए जाते है। पहला सांस कि बुंदो के पयरोसौल्ज से और दुसरा दूषित सतहो से, व्यक्तिगत संपर्क समेत। इसके लक्षण गले मे खराश, बहती नाक, बंद नाक, चीख और खासी है। यह वाइरस अकसर शिशुओ मे, बुढो मे, एंव कम रोग प्रतिरोधक शक्ति वाले मनुष्य मे पाया जाता है।

रोगजनन[संपादित करें]

यह हमारी शरीर मे, मुख्य तौर से उपरी सांस प्रणाली से प्रवेश करता है। इस वाइरस के लिए कोई टीका नही होता है। राइनोवाइरस में एकल असहाय सकारात्मक भावना आर एन ए जीनोम पाए जाते है। राइनोवाइरस के अंत में वाइरस-इनकोडेड प्रोटीन होते है। यह हर पीकोरनवाइरस के लिए एक समान है। मनुष्य में पाए जाने वाले राइनोवाइरस सबसे ज्यादा पतझड एंव जाडे के मौसम में फेलते है। यह मनुष्य के शरीर के बाहर तीन घंटे तक रह सकता है। बार- बार हाथ धोने से एंव साफ सुथरे रहने से इससे बचा जा सकता है। शल्य चिकित्सा संबंधी मुखौटा एंव दसताने असपतलो में बचाव के तौर पर इस्तेमाल किए ज।ते है।

संदर्भ[संपादित करें]

[1] [2]

  1. en.wikipedia.org/wiki/Rhinovirus
  2. https://academic.oup.com/jid/article/195/6/765/876640/Rhinovirus-More-than-Just-a-Common-Cold-Virus