सदस्य:Soghrajalali/प्रयोगपृष्ठ
Something went wrong...अंगूठाकार|बाबांकि वायरस की बीमारी की छवि]] बाबांकि वाइरस एक विषाणु है।
बाबांकि वाइरस[संपादित करें]
जीनोम और संरचना[संपादित करें]
बाबांकि वाइरस एक विषाणु हैं । विषाणु अकोशिकीय अतिसूशक्षम जीव हैं । जो केवल जीवित कोशिका में ही वृध्दि कर सकते हैं ।इन्हे क्रिस्तल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है ।विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं ।बाल्टीमोर वर्गीकरण प्रणाली की कक्षा ४ के वाइरस परिवर टोगावीरीडे के सदस्य और जीनस अल्फावाइरस है । [1] वर्तमान में बाबांकि वाइरस के जीनोम अनुक्रम केवल आंशिक रूप से किया गया है । वायरस परिवार टोगावीरीडे के सदस्यों के पास एक तरह का जीनोम है जो एम आर एन ए ( मेसेंजर आफ रीबोन्यूक्लीक एसिड ) के रूप में सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है । और बाबांकि वाइरस के जीनोम दोनों सरचंनात्मक और गैर सरचंनात्मक प्रोटीन के लिए कोड़ कर सकते है । बाबांकि वाइरस एक गोलाकार न्युक्लियोकैप्सिड ,जो व्यास में लगभग ४० नैनोमीटर (एनएम) का है, और टी-४ के विंशफलकी समरूपता को दर्शाता है ।ये न्युक्लियोकैप्सिड कोर ग्लाइकोप्रोटीन स्पैकस् और विरिअन कणों जो लगभग ७० नैनोमीटर के हैं उनके साथ कवर एक लिपिड आवृत से घिरा हुआ है ।बाबांकि वाइरस का वैज्ञानिक नाम है बाबांकि वाइरस [टैक्स :४५५४०] ।
पृथ्क स्थान[संपादित करें]
बाबांकि वाइरस को जे.मिलन और एम.जर्मेन नामक युवकों ने पास्टियोर संस्थान के कैमरून में पृथक किया गाया था । [2] बाबांकि वाइरस अकसर मानसोनीया अफ्रीकाना में पाया जाता है ।वे इस के पास सकारात्मक भावना रीबोन्यूक्लीक एसिड (आर एन ए) जीनोम है जो के लगभग ११.७ के.बी लंबा है ।बाबांकि वाइरस पहले मध्य अफ्रीका में १९६९ में उत्तर पश्चिमी कैमरून देश में ,बाबांकि में पृथक किया गया था । बाबांकि वाइरस दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका ,मिस्र, इसराइल ,भारत , फिलीपींस और पूर्वी आस्ट्रेलिया में एक बुखार नामित सिंधबीस बुखार का कारण बानता है और ये बुखार सेनेगल और मेड़ागास्कर जैसे देशों में भी पायी जाती है।
ट्रांसमिशन और बीमारी[संपादित करें]
बाबांकि वाइरस मच्छर क्यूलेक्स व्दारा फैलता है । क्यूलेक्स मच्छरों की एक जीनसद्वारा हैं । वे पक्षियोँ, मानव और अन्य जानवरों में बीमरियों का कारण बनता है । इसके मेज़बान वयस्कों और साधारण मेज़बान पक्षियाँ है।बाबांकि वाइरस जो क्यूलेक्स मच्छरों व्दारा फैलता है वे मच्छर फीमेल लिंग के होने से ही बीमारी होती है ।इस बीमारी का संकेत और लक्षण आर्तोपौड के रूप में होते हैं ।मानव में बाबांकि वाइरस के लक्षण बुखार ,जोड़ों का दर्द और रैशज़ की तरह है । बाबांकि वाइरस कहीं तरह के होते हैं । वे नग्न आखोँ से दिखाई नहीं देते ,वे इसे देखने के लिये हमें माईक्रोस्कोप का उपयोग करना पड़ता हैं ।वे मनुष्य के शरीर पर लाल चकत्ते हो जाते हैं इस बीमारी के होने से ।
बाबांकि के बारे में तथ्य[संपादित करें]
कैमरून के बाबांकि गावँ में केले के छाल को भुन कर पाउडर बनाते हैं । उस पाउडर को मिट्टी के बर्तन में डाल कर रखते हैं । और वे पाउडर को पेष्टिक इलाज के लिये उपयोग करते हैं । वे केले के छाल में कहीं सारे पोषण पाये जाते हैं जो की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं । और इस में पोटैशियम भी पाया जाता है जो की प्राथमिक उच्च रक्तचाप हल करने में मदद करता हैं ।
अन्य सूचना[संपादित करें]
प्रस्तुत पुस्तकें और वाइरसों के नाम[संपादित करें]
वे कहीं सारे पुस्तकें हैं जीस में ऐसे वाइरसों के बारे में सक्षिंप्त से बताया गाया है । जैसे की विषाणु विज्ञान के शब्दकोश ,मानसुनस उष्णकटिबंधीय रोग ,मेडागास्कर के सक्रामक रोग आदि । और भी कहीं शर्तें हैं जो बाबांकि वाइरस की तरह हैं । वे हैं कैजीलगछ वाइरस , उक्केल्बो वाइरस , पोगोस्टा रोग और सिंधबीस वाइरस आदि ।