सदस्य:Sneha george

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सेंट ऐन'स  चर्च
सेंट ऐन'स  चर्च

सेंट ऐन'स  चर्च[संपादित करें]

आर्किटेक्चर

सेंट ऐन'स  चर्च का निर्माण १७९२ को किया गया था| यह दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के कूर्ग जीला के विराजपेट तलूक मैं है|इस चर्च का आर्किटेक्चर का निर्माण यूरोपीयन ओर गोथिक अंदाज मैं किया गाया है| इस चर्च का निर्माण पफदार गुल्लिअन के पर्यवेक्षण मैं उवा था| सन १८११ मैं इसको पूरी तरह से नष्ट किया गाया है|ओर सन १८६८ मै इसका पुनर्निर्मित किया गाया था |इस चर्च की सबसे आकर्षक चीज़ हैं 180 फीट ऊंची स्टिंपल जो एक घंटी जैसा दिखता है|यह हाल ही में पुनर्निर्मित किया गाया था। ओर २०़१६ मैं बोहत धूम धाम से इसका उद्घाटन किया गया था| इस साल यह मंदिर २२५ साल पुरा कर रहा है ओर इसे बोह्त दुम-दाम से मानया जा रहा है| इस देवलाय मैं २०० से अधिक भक्त कुटुम्ब है|यह देवालय कूर्ग मैं बोह्त प्रसीद है |

इतिहास

इस मदीर को २२४ वर्ष पाहले कोडग के राजा डोडवीस्रा राजेंद्र ईसाई लोगो के लीए बनाया था ।१७९१-९२ मैं हुइ तीसरी एंग्लो युद्ध मैं टिप्पू ने [[श्रीरंगपटटना]] मैं करीब ७०० ईसाई लोगे को बंदी बनया था।यह लोग वह से बाच कर कूर्ग मैं जाते है।इन लोगो को डोडवीरा राजेंद्र एक गाँव मैं जगा दीया ओर वह पर इस मंदिर को बनाया वो गाँव अब अपने प्रकृतिक सुंदरता ओर इस देवालय से मशहूर नगर है जीसका नाम विराजपेट हैं । रजा ने सीरफ मंदिर ही नहीं बालकी उने अपनी धर्म के मार्ग मैं चलने के लिए आसान हो यह सोचकर उनो ने गोवा से जुवव डिकोस्टा नामक गुरु को बुलाया ।इस चर्च के सामने एक लुर्दी माता का एक बोह्त ही सुनदर गुफा के रुप मैँ बनाया हुआ स्मारक हैं ।यह का एक ओर विशेष बात यह हैं की स्वरध्रू पिंटू ओर दूनाथ लोबो के याद में पेरिस से लाया हुआ दो बोह्त बडीं घंटा हैं ।

महत्व

यह देवालय मैं करीब १०० फुट से उपार वस्थापित किया हैं । ओर इसे अब तक इसत्माल किया जाता हैं । चर्च के अन्दर पश्चिम दीवार के पास बलिपीठ की सुन्दार विनयास हैं ।इस चर्च के निर्माण कारने वाले राजा डोडवीरा राजेंद्र से दीया हुआ "वी" प्रतीकमैं बनाया हुआ दो दीपकाब हैं ।यह देवलाय बोह्त सरी पहाड़ो के बीच हैं । इस देवलाया ने पास रहने वाले जगा पर स्कूल, कोलेगे को बनाया हैं । उनका यह मानाथा की सबको शिक्शा मीलना अनिवार्य हैं। यह का स्कूल इस साल १५० वर्षे पुरा कर रहा हैं ।ओर कोलेगे ७५ वर्षे पुरा कर रहा हैं ।यह कर्णाटक के विराजपेट मैं है ।वीरजपेट जहा पर यह देवालय है। यह तबी बनाय था।वीरजपेट तलूक कॉफ़ी ओर मसालो के लीए बोहत प्रसिद्ध हैं ।यह करीब २५० किमी दूर हैं बैंगलोर से ओर १६५ कीमी मंगलौर से । यह का एक और प्रसिद्ध चीज़ यह है के देवालय के ऊपर चड़ने के लिये बोहत सारी सीडिया हैं जो हमें गोल गोल गुमाता हैं । इसकी दूसरी मंजिल मैं बोहत ही पुराण घंटी हैं ।जिसे अब तक इस्थमल किया जाता हैं ।

त्यौहार

यह देवालय ऐनास की नाम पर हैं जो की यीशु की दादी हैं जो की मारिया माता की माँ हैं ।इसलीय हर एक देवालय की तरह इस देवालय भी अपनी माहोत्स्ताव उनकी मरण दिन पर मान्य जाता है | लेकीन् या देवालय १२ फरवरी को मनाया जाता है जो की देवस्स है फातिमा माथा का दिवस है । इस दिन बोहत आडम्बर से इसे मनाया जाता है उस दिन शाम को बोहत ही आडम्बर वाला पूजा करते है और शाम की करीब ८ बाजे सभी बक्त जान अपने हाथ मैं मोमबत्ती जलाकर माथा के स्वरुप के साथ पूरे टाउन जुलूस मैं जाते है | इस त्यौहार विराजपेट मैं कैंडल फीस्ट नामक से प्रसिद्ध है इसे देख और महसूस करने कलिये बोहत से बक्त और अन्य धर्म के वल्ले इधर उधर एककटै हो जाथै है।इस चर्च का निर्माण पफदार गुल्लिअन के पर्यवेक्षण मैं उवा था| सन १८११ मैं इसको पूरी तरह से नष्ट किया गाया है|ओर सन १८६८ मै इसका पुनर्निर्मित किया गाया था |इस चर्च की सबसे आकर्षक चीज़ हैं 180 फीट ऊंची स्टिंपल जो एक घंटी जैसा दिखता है|यह हाल ही में पुनर्निर्मित किया गाया था। ओर २०़१६ मैं बोहत धूम धाम से इसका उद्घाटन किया गया था| इस साल यह मंदिर २२५ साल पुरा कर रहा है ओर इसे बोह्त दुम-दाम से मानया जा रहा है| इस देवलाय मैं २०० से अधिक भक्त कुटुम्ब है|यह देवालय कूर्ग मैं बोह्त प्रसीद है | इस मदीर को २२४ वर्ष पाहले कोडग के राजा डोडवीस्रा राजेंद्र ईसाई लोगो के लीए बनाया था ।१७९१-९२ मैं हुइ तीसरी एंग्लो युद्ध मैं टिप्पू ने श्रीरंगपटटना मैं करीब ७०० ईसाई लोगे को बंदी बनया था।यह लोग वह से बाच कर कूर्ग मैं जाते है।इन लोगो को डोडवीरा राजेंद्र एक गाँव मैं जगा दीया ओर वह पर इस मंदिर को बनाया वो गाँव अब अपने प्रकृतिक सुंदरता ओर इस देवालय से मशहूर नगर है जीसका नाम विराजपेट हैं । रजा ने सीरफ मंदिर ही नहीं बालकी उने अपनी धर्म के मार्ग मैं चलने के लिए आसान हो यह सोचकर उनो ने गोवा से जुवव डिकोस्टा नामक गुरु को बुलाया ।इस चर्च के सामने एक लुर्दी माता का एक बोह्त ही सुनदर गुफा के रुप मैँ बनाया हुआ स्मारक हैं ।यह का एक ओर विशेष बात यह हैं की स्वरध्रू पिंटू ओर दूनाथ लोबो के याद में पेरिस से लाया हुआ दो बोह्त बडीं घंटा हैं ।यह देवालय मैं करीब १०० फुट से उपार वस्थापित किया हैं । ओर इसे अब तक इसत्माल किया जाता हैं । चर्च के अन्दर पश्चिम दीवार के पास बलिपीठ की सुन्दार विनयास हैं ।इस चर्च के निर्माण कारने वाले राजा डोडवीरा राजेंद्र से दीया हुआ "वी" प्रतीकमैं बनाया हुआ दो दीपकाब हैं ।यह देवलाय बोह्त सरी पहाड़ो के बीच हैं । इस देवलाया ने पास रहने वाले जगा पर स्कूल, कोलेगे को बनाया हैं । उनका यह मानाथा की सबको शिक्शा मीलना अनिवार्य हैं। यह का स्कूल इस साल १५० वर्षे पुरा कर रहा हैं ।ओर कोलेगे ७५ वर्षे पुरा कर रहा हैं ।यह कर्णाटक के विराजपेट मैं है ।वीरजपेट जहा पर यह देवालय है। यह तबी बनाय था।वीरजपेट तलूक कॉफ़ी ओर मसालो के लीए बोहत प्रसिद्ध हैं ।यह करीब २५० किमी दूर हैं बैंगलोर से ओर १६५ कीमी मंगलौर से । यह देवालय ऐनास की नाम पर हैं जो की यीशु की दादी हैं जो की मेरी माता की माँ हैं ।इसलीय हर एक देवालय की तरह इस देवालय भी अपनी माहोत्स्ताव उनकी मरण दिन पर मान्य जाता है | लकिन या देवालय १२ फरवरी को मनाया जाता है जो की देवस्स है फातिमा माथा का दिवस है ।

वर्तावरण और स्कुल

इस समय इस देवालय मैं कुल मिलाकर ३ वैयदिंक है । मुख्य वैयदिंक फादर मतहलाये मुत्तु है ।और दो वैयदिंक उनके सहाय के लिये हैं ।देवालय के आसपास का वर्तावरण बोहत ही अछि है यह देवालय बोहत ही पहाड़ियों से गिरा हुवा हैं ।और इस देवालय के नतीर्थ मैं चलनेवाली शाला से ।इस शाला मैं १ से १० थक की कक्षा हैं ।११,१२ और बीकॉम बबा का शिक्षण भी दिया जाता हैं यह साब देवालय का नाम जो के सत अनस की नाम पर हैं इस साब का मूखय नेतृत्व कर फरदर मुथु ही हैं ।या बंगलोरे यूनिवर्सिटी के अन्दर आता हैं । इस स्कूल मैं इंग्लिश और कन्नड़ कक्षा हैं यह पर बेध बाव का कोही महत्त्व नहीं हैं साब छात्रों को एक सामान माना जाता हैं और साब को एक जैसे कपड़े और शिक्षा दिया जाता हैं। आम केह सकते हैं की यह देवालय विराजपेट की एक बोहत ही प्रमुख और आकर्षित सथल हैं ।यह देवालय कूर्ग जिला की सबसे मुख्य दावालय हैं । ओर सबसे अधिक बक्त जान रहने वाला देवालय हैं ।यह जगा अपने आर्किटेक्चर के लिये बुहत प्रशिद्ध हैं ।और साब लोगो को यह पर एक बार जाना चाइये । इस्का नीर्माण १७९२ को किया गया था| यह दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के कूर्ग जीला के विराजपेट तलूक मैं है|इस चर्च का आर्किटेक्चर का निर्माण यूरोपीयन ओर गोथिक अंदाज मैं किया गाया है| इस चर्च का निर्माण पफदार गुल्लिअन के पर्यवेक्षण मैं उवा था| सन १८११ मैं इसको पूरी तरह से नष्ट किया गाया है|ओर सन १८६८ मै इसका पुनर्निर्मित किया गाया था |इस चर्च की सबसे आकर्षक चीज़ हैं 180 फीट ऊंची स्टिंपल जो एक घंटी जैसा दिखता है|यह हाल ही में पुनर्निर्मित किया गाया था। ओर २०़१६ मैं बोहत धूम धाम से इसका उद्घाटन किया गया था| इस साल यह मंदिर २२५ साल पुरा कर रहा है ओर इसे बोह्त दुम-दाम से मानया जा रहा है| इस देवलाय मैं २०० से अधिक भक्त कुटुम्ब है|यह देवालय कूर्ग मैं बोह्त प्रसीद है | इस मदीर को २२४ वर्ष पाहले कोडग के राजा डोडवीस्रा राजेंद्र ईसाई लोगो के लीए बनाया था ।उस दिन शाम को बोहत ही आडम्बर वाला पूजा करते है और शाम की करीब ८ बाजे सभी बक्त जान अपने हाथ मैं मोमबत्ती जलाकर माथा के स्वरुप के साथ पूरे टाउन जुलूस मैं जाते है | इस त्यौहार विराजपेट मैं कैंडल फीस्ट नामक से प्रसिद्ध है इसे देख और महसूस करने कलिये बोहत से बक्त और अन्य धर्म के वल्ले इधर उधर एककटै हो जाथै है यह का एक और प्रसिद्ध चीज़ यह है के देवालय के ऊपर चड़ने के लिये बोहत सारी सीडिया हैं जो हमें गोल गोल गुमाता हैं । इसकी दूसरी मंजिल मैं बोहत ही पुराण घंटी हैं ।जिसे अब तक इस्थमल किया जाता हैं ।इस समय इस देवालय मैं कुल मिलाकर ३ वैयदिंक है । मुख्य वैयदिंक फादर मतहलाये मुत्तु है ।और दो वैयदिंक उनके सहाय के लिये हैं ।देवालय के आसपास का वर्तावरण बोहत ही अछि है यह देवालय बोहत ही पहाड़ियों से गिरा हुवा हैं ।और इस देवालय के नतीर्थ मैं चलनेवाली शाला से ।इस शाला मैं १ से १० थक की कक्षा हैं ।११,१२ और बीकॉम बबा का शिक्षण भी दिया जाता हैं यह साब देवालय का नाम जो के सत अनस की नाम पर हैं इस साब का मूखय नेतृत्व कर फरदर मुथु ही हैं ।या बंगलोरे यूनिवर्सिटी के अन्दर आता हैं । इस स्कूल मैं इंग्लिश और कन्नड़ कक्षा हैं यह पर बाढ़ बाव का कोही मूल नहीं हैं साब छात्रों को एक सामान माना जाता हैं और साब को एक जैसे कपड़े और शिक्षा दिया जाता हैं। आम केह सकते हैं की यह देवालय विराजपेट की एक बोहत ही प्रमुख और आकर्षित सथल हैं ।यह देवालय कूर्ग जिला की सबसे मुख्य दावालय हैं । ओर सबसे अधिक बक्त जान रहने वाला देवालय हैं ।यह जगा अपने आर्किटेक्चर के लिये बुहत प्रशिद्ध हैं ।और साब लोगो को यह पर एक बार जाना चाइये ।