सदस्य:Shridevi M P/प्रयोगपृष्ठ/1

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पाचन हामेन
पाचन तंत्र

आमाशय:

आमाशय[संपादित करें]

यह उदर गुहा के बांयी तरफ होता है| यह आहार नाल का सबसे चौड़ा भाग है| यहा थैले समान पेशीय संसचना है| यह खाली अवस्था मै J आकार दिखाई देता है| आमाशय निम्न भागौ में विभाजित होता हैं - काडियक ,फण्डस, बाँडी,पायलौरसा यहा दो छिद्र -रखाता है - १) काडियक छिद्र - यह इसौफेगस के अंतिम सिरे से जुड़ा होता है| २) पॉयलौरिक छिद्र - यह ग्र्हाणी में खुलता है | आमाशाय पेरिटोनियम के द्रारा है|पेरिटोनियम में वसा ऊतक तथा लसिका ऊतका जमा होता है |ऐसी पेरिटोनियम को ऑमेन्टम कहते है|आमाशाय की बाँयी वक्रीय सतह बडी ऑमेन्टम कहालाती है जबकी दाँयी वक्रीय सतह छोटी ऑमेन्टम कहलाती है| अमाशय ४-५ घंट तक भोजन का संग्र्हण करता है|आमाशाय की पेशीय दीवार के संकुचन दवारा भोजन अम्लीय आमाशय रस से पूरी तरह मिल जाता है जिसे काईम कहते हैं|प्रोएंजाईम पेप्सिनोजेन हाइडॉर्र्लोरिक अम्ल के संपक्र में आने से सक्रिय एंजाइम पेप्सिन में परिवतिर्त हो जाता है, जो आमाशाय का प्रोटीन - अपघटनीय एंजाइम है | पेप्सिन प्रोटीन को प्रोटीयोज तथा पेप्पटाइडों में बदल देता है |जठर रस में उपस्थित श्लेष्म एवं बाइकॉबोनेट श्लेष्म उपकला स्तर का स्नेहन और अत्यधिक सांदिर्त हाइडॉक्लोरिक अम्ल बचाव ८ करते है | हाइडॉर्र्लोरिक अम्ल पेप्सिन के लिए उचित अम्लीया माध्यम पिय्छ [१.८] तैयार करता है| जठर ग्ंथियाँ:- आमाशय की उपकला में असंख्य ,नलिकाकार ग्ंथियाँ पाई जाती है,जिन्हें जठर ग्ंथियाँ कहते है| इसमें निम्ना प्रकार की कोशिकाऐं उप्स्थित होती है| पेप्टिक (=मुख्य अथवा जाईमोजेनिक )कोशिकाएँ ; १)यह पेप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन्क का स्त्र्वण करती है| २)ये कुछ मात्रा में gastric amylase तथा gastric lipase का भी उत्पादन करती है|उच्च अम्लीय माध्यम के करण gastric amylase संदमित हो जाता है| ३)gastric lipase वसा पाचन में सहभागिता निभाता है| ४)प्रोरेनिन्न शिशुऔं में पाया जाता है,वयस्क में नहीं पाया जाता है| नवजातों के जठर रस में रेनिन नामक प्रोटीन अपघटनीया एंजाइम होता है जो दूध के प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है|जठर ग्ंथियाँ थोडी मात्रा में लाईपेज भी स्त्रावित करती है| जठर रस का ==संगठन==:- जल:९९.५% HCL :.२ -३ % ph :१५ %- २५

शेष[संपादित करें]

श्लेश्मा एवं जठर एंजाइम जैसे पेप्सीन, जठर लाईपेज और रेनिन्न आमाशय में भोजन का अस्थाई संग्र्ह भी होता है| यहाँ भोजन लगभग ४ से ५ घण्टॅऍ तक रूकता है | हाइडॉक्लोरिक अम्ल के काय :- १) हेच्च्सियेल द्रारा जाइमोजन्स को सक्रिय एंजाइम में बदला जाता है| यह इसका प्र्मुख कार्य है | प्रोप्सिनोजन एंव प्रोरेनिन्न निस्किय एंजाइम होते है । पेप्सिनोजन -> पेप्सिन प्रोरेनिन्न -> रेनिन्न २) यह भोजन में का नाशा कर इसे सडने से बचाता है| ३) हेच्च्सियेल भोजन पर लार की क्रिया को रोकता है| आमाशय में मादध्यम अत्यधिक अम्लीय होता है| ४) भोजन के कठोर अंशो को घोलकर कोमल बना देता है|

आंत्र[संपादित करें]

यह दो भागों विभाजित होती है | १) छोटी आंत्र २) बडी आंत्र

छोटी आंत्र[संपादित करें]

छोटी आंत्र तीन भागों में विभेदित होती हे। १)ग्रहणी २)मध्यांत्र ३)शेषान्त्र [1] [2] [3]

  1. ^Essential Clinical Anatomy. K.L. Moore & A.M. Agur. Lippincott, 2 ed. 2002. Page 150
  2. ^ O.D.E। 2nd। Edition 2005
  3. ^Pocock, Gillian (2006). Human Physiology (Third ed.). Oxford University Press. p. 382. ISBN 978-0-19-856878-0.