सदस्य:Shreya.ramesh/आय का परिपत्र प्रवाह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

[1] आय का परिपत्र प्रवाह अर्थशास्त्र का एक मॉडल है। यह मॉडल अर्थव्यवस्था के प्रमुख बाजारों मे होने वाले लेन-देन को आर्थिक एजेंटों के बीच के पैसे एव्ं माल और सेवाओं के प्रवाह के रूप में दार्शाता है। एक क्लोज सर्किट में पैसे और माल के आदान-प्रदान का प्रवाह दिखाया जाता है जिसमे यह दो आर्थिक चरो का प्रवाह विपरीत दिशा में चलता हैं। परिपत्र प्रवाह विश्लेषण राष्ट्रीय खातों की, और इसलिए, मैक्रोइकॉनॉमिक्स का आधार है। परिपत्र प्रवाह का विचार पहले से ही रिचर्ड कैंटिलोन के कर्यो में मौजुद थे। फ़्राँस्वा क्युसने ने यह मॉडल विकसित किया जिसकी झांकी "économique" में मौजूद था। कार्ल मार्क्स के "प्रजनन योजनाओं" के दुसरे भाग मे क्युसने के विचारो को और विक्सित रुप में बताया गया है। इसके अभिन्न भाग है - राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आलोचना, जॉन मेनार्ड कीन्स की "जनरल थ्योरी", ब्याज और पैसा, आदि।

अवलोकन[संपादित करें]

आय का परिपत्र प्रवाह एक प्रमुख अवधारणा है अर्थव्यवस्था की बेहतर समझ के लिए। यह एक साधारण अर्थव्यवस्था को दर्शाता है जो केवल व्यवसाय और व्यक्तियों से स्ंकलित है और एक "परिपत्र प्रवाह आरेख" समझा जा सकता है। यहाँ व्यवसाय "व्यापार क्षेत्र" अव्ं व्यक्ति "घरेलू क्षेत्र" के अंतर्गत आते है। इस सरल अर्थव्यवस्था में, घरेलू क्षेत्र से श्रम प्रदान किया जाता है जो की कारोबार वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को सक्षम बनाता है। इस श्रम के बदले में , घरेलू क्षेत्र को व्यापार क्षेत्र से मजदूरी मिलती है। दूसरी ओर, व्यापार क्षेत्र से घरेलू क्षेत्र के लिए माल और सेवाएँ प्रदान की जाती है जिस्से व्यापार क्षेत्र की आय हो जाती है। परिपत्र प्रवाह आरेख अर्थव्यवस्था मे हो रहे माल और सेवाओं के उत्पादन और इस उत्पादन से उत्पन्न आय के बीच के परस्पर निर्भरता को दर्शाता है। परिपत्र प्रवाह "उत्पादन से अर्जित आय" और "माल और उत्पादन सेवाओं के मूल्य" के बीच समानता को भी दिखाती है। कुल अर्थव्यवस्था इस् आकलन की तुलना में बहुत अधिक जटिल है। एक अर्थव्यवस्था न केवल व्यक्तियों और व्यवसायों , अपीतु संघीय , राज्य और स्थानीय सरकारों और दुनिया के बाकी हिस्सों के निवासियों के बीच के आर्थिक गतिविधियों के आदान-प्रदान के बरे मे भी है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था के इस सरल उदाहरण में आर्थिक गतिविधि के अन्य पहलू हैं नहीं दिखाया गया है जैसे पूंजी निवेश (उत्पादित - या अचल परिसंपत्तियों जैसे संरचनाओं , उपकरण, अनुसंधान और विकास, और सॉफ्टवेयर), वित्तीय पूंजी (शेयरों के रूप में, बॉन्ड और बैंक में जमा राशि ), और अचल संपत्तियों का संचय करने के लिए इन प्रवाह का योगदान।

इतिहास[संपादित करें]

रिचर्ड कैंटिलोन[संपादित करें]

परिपत्र प्रवाह की सबसे पौर्विक विचारों में से एक, १८- वीं सदी के आयरिश -फ्रेंच अर्थशास्त्री रिचर्ड कैंटिलोन काम में समझाया गया था, जो इनसे पहले के अर्थशास्त्रियों जैसे विलियम पैटी के कामो से प्रेरित था। कैंटिलोन ने इस अवधारणा का वर्णन अपनी १७३० के निबंध- "एसे ओन द नैचर ओफ ट्रैड इन जैनेरल" के पाठ ११-१३ में किया है। अर्थशास्त्री थार्नटन, कैंटिलोन के विचारों को सहमती देते है और कह्ते है कि-

"कैंटिलोन के परिपत्र प्रवाह मॉडल मे कृषि उत्पादन का वितरण संपत्ति के मालिक , किसानों और मजदूरों के बीच होता है। हालांकि संपत्ति मालिकों "स्वतंत्र" हैं, यह मॉडल सभी वर्गों के बीच की आपसी निर्भरता को दर्शाता है, जिसे एडम स्मिथ ने अपने काम - "द थिओरी ओफ मॉरल सेंटीमेंट्स" (१७५९), में "अदृश्य हाथ" करार दिया है।

कैंटिलोन ने आर्थिक एजेंटों के कम से कम पांच प्रकार बतये है: संपत्ति के मालिक , किसान, उद्यमि, मजदूर और कारीगर - जैसा उनके परिपत्र प्रवाह के आरेख में दिखाया गया है।


फ़्राँस्वा क्युसने[संपादित करें]

क्युसने ने आगे इन अवधारणाओं को और् विक्सित किया। उन्होने सबसे पहले इस अवधारणा का चित्रण अपने "Tableau économique" मे किया। उनका मानना ​​था कि व्यापार और उद्योग धन के स्रोत नहीं थे। अपीतु, किराया, वेतन, और खरीद के रुप में कृषि अधिशेष ही वास्तविक आर्थिक मूवर्स थे। इसके दो कारण है -

१) सभी सामाजिक वर्गों मे आय के प्रवाह मे नियमन, बाधा उत्पन्न करती है और नतीजतन, आर्थिक विकास मे बाधा उत्पन्न करती है।

२) उत्पादक वर्ग जैसे किसानों पर से कर हटाया जाना चाहिए एव्ं अनुर्वर वर्ग जैसे जमींदारों पर अधिक कर लागु करने चाहिये कारण उनके जीवन का शानदार तरीके आय प्रवाह को विकृत करते है।

क्युसने के मॉडल मे तीन आर्थिक एजेंट शामिल है - "मालिकाना" वर्ग मे केवल जमींदारों शामिल है, "उत्पादक" वर्ग मे सभी कृषि मजदूर शामिल है और "अनुत्पादक" वर्ग कारीगर और व्यापारिय से बना है। इन तीन वर्गों के बीच उत्पादन और आय का प्रवाह मालिकाना वर्ग के साथ शुरू होता है क्योकि वे जमीन के मालिक है, और वे अन्य दोनों वर्गों से खरीद्ते है।

कार्ल मार्क्स[संपादित करें]

मार्क्सवादी अर्थशास्त्र में आर्थिक प्रजनन, उन आवर्तक ( या चक्रीय ) प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिसके द्वारा प्रारंभिक आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक शर्तें लगातार फिर से बनाया जाता है।

आर्थिक प्रजनन में भौतिक उत्पादन और माल और सेवाओं के वितरण, वस्तुओं और सेवाओं का "ट्रेड" ( आदान-प्रदान और लेनदेन के माध्यम से प्रचलित ), और माल और सेवाओं की खपत ( उत्पादक या मध्यवर्ती खपत और अंतिम खपत) शामिल है।

मार्क्स ने क्युसने के "राजधानी , पैसा, और वस्तुओं के संचलन के मॉडल" के मूल अंतर्दृष्टि को विकसित किया। उन्होने अपनी किताब "दास कैपिटल" के दूसरे श्रैणी में यह दिखाया के प्रजनन प्रक्रिया एक पूंजीवादी समाज मे पैसो के संचलन के माध्यम से कैसे चल सकता है।

मार्क्स "सरल प्रजनन" और "विस्तार प्रजनन" के बीच भेद करते है। "सरल प्रजनन" में कोई आर्थिक वृद्धि नही होती है और "विस्तार प्रजनन" में अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिये जितना आवश्यक है उससे अधिक उत्पादन किया जाता है जिस वजह से आर्थिक विकास संभव होता है। इसमे फर्क यह है कि पहले प्रकार में अधिशेष मालिक द्वारा उपभोग व्यय के लिये प्रयोग किया जाता है और दूसरे प्रकार में, अधिशेष उत्पादन की प्रक्रिया में पुनर्निवेश किया जाता है।

आगामी विकास[संपादित करें]

जॉन मेनार्ड कीन्स की १९३३ मे प्रकाशित "द जेनरल थिओरी ओफ़ एम्प्लोयमेन्ट, इनट्रेस्ट ऐन्ड मनी" परिपत्र प्रवाह सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण विकास था। कीन्स के सहायक रिचर्ड स्टोन ने इस अवधारणा को और विकसित किया जो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तमाल किया जाता है।

१९३३ में फ्रैंक नाइट ने अपने "द इकोनोमिक ओरगनाइज़ेशन" में आधुनिक आय के परिपत्र प्रवाह मॉडल की सर्वप्रथम कल्पना की।


मॉडल के प्रकार[संपादित करें]

दो-सेक्टर मॉडल[संपादित करें]

[2]आय का बुनियादी परिपत्र प्रवाह में, या दो सेक्टर आय मॉडल के परिपत्र प्रवाह मे संतुलन की स्थिति ऐसी स्थिति है जिसमे आय का स्तर ( वाई) , व्यय (ई ) और उत्पादन (हे ) मे कोइ बदलाव नही दिखाइ पड्ती है। अर्थात:


वाई = इ = हे


इसका मतलब यह है कि खरीदारों ( घरेलू क्षेत्र ) के व्यय विक्रेताओं ( व्यापार क्षेत्र ) के लिए आय बन जाता है। विक्रेता फिर इस आय को उत्पादन के कारक जैसे श्रम, पूंजी और कच्चे माल खरीदने मे खर्च करते है ताकी इन कारको से आगे का उतपादन किया जाय। इस प्रकार कारक मालिकों को अपनी आय पहुचा देते है। यहाँ कारक मालिक घरेलू क्षेत्र है। कारक मालिकों इस आय को पुनः जो माल और उत्पादन सेवाओ मे खर्च करते हैं, जो व्यापार क्षेत्र मे बनती है, और इसी तरह यह आय एक परिपत्र प्रवाह की तरह बहता है। आय मॉडल की यह बुनियादी परिपत्र प्रवाह छह मान्यताए हैं:

१) घरेलू क्षेत्र और व्यापार क्षेत्र : अर्थव्यवस्था के दो ही क्षेत्र हैं।

२) परिवारों माल और सेवाओं की खपत (सी) मे अपनी आय (वाई) खर्च करते हैं। इसमें कोई बचत ( एस) है ।

३) कंपनियों द्वारा उत्पादित सभी निर्गम (ओ) परिवारों द्वारा उनकी व्यय (ई ) के माध्यम से खरीदा जाता है।

४) इसमें कोई वित्तीय क्षेत्र नहीं है ।

५) इसमें कोई सरकारी क्षेत्र नहीं है ।

६) वहाँ कोई विदेशी क्षेत्र नहीं है ।

तीन-सेक्टर मॉडल[संपादित करें]

इसमे तीन क्षेत्र है - घरेलू क्षेत्र, व्यापार क्षेत्र एव्ं सरकारी क्षेत्र । यह आय के परिपत्र प्रवाह का अध्ययन इन्ही क्षेत्रों में करेगा, दुनिया के बाकी हिस्सों को छोड़कर, अर्थात बंद अर्थव्यवस्था मे। धन की प्रवाह यहाँ घरेलू क्षेत्र एव्ं व्यापार क्षेत्र से सरकारी क्षेत्र मे करों के रूप में होती है। सरकारी क्षेत्र से प्राप्त आय व्यापार और घरेलू क्षेत्र को जाती है वस्तुओं और सेवाओं की सरकारी खरीदारी के भुगतान और उतरे और हस्तांतरण भुगतान के रुप में। हर भुगतान यह की एक रसीद है जिससे एक अर्थव्यवस्था के व्यय, कुल आय के समान रहता है और इस परिपत्र प्रवाह को अंतहीन बनाता है।

चार-सेक्टर मॉडल[संपादित करें]

एक आधुनिक मौद्रिक अर्थव्यवस्था मे यह चार क्षेत्र शामिल हैं:

१) घरेलू क्षेत्र

२) व्यापार क्षेत्र

३) सरकारी क्षेत्र

४) बाकी दुनिया क्षेत्र

उपरोक्त क्षेत्रों में से प्रत्येक क्षेत्र अन्य तीनो क्षेत्रों से माल और सेवाओं के एवज में कुछ भुगतान प्राप्त करता है। "पैसो" को सुचारू रूप से इस तरह के आदान-प्रदान की सुविधा संभव होती है। इन चार क्षेत्रों में से प्रत्येक के अवशेष बचत के रूप में पूंजी बाजार आता है जो कंपनियों और सरकारी क्षेत्र में निवेश किया है। तकनीकी तौर पर, जब तक ऋण और उधार मे बराबरी है, परिपत्र प्रवाह जारी रहेगा। यह काम अर्थव्यवस्था के वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाता है ।


पांच-सेक्टर मॉडल[संपादित करें]

पांच सेक्टर मॉडल में अर्थव्यवस्था पांच सेक्टरों में बांटा गया है:

१) घरेलू क्षेत्र

२) व्यापार क्षेत्र

३) वित्तीय क्षेत्र: बैंक और नोन-बैंक बिचौलियों जो उधार लेते और देते है

४) सरकारी क्षेत्र: स्थानीय , राज्य और संघीय सरकारों की आर्थिक गतिविधियां

५) बाकी दुनिया क्षेत्र: एक खुली अर्थव्यवस्था से एक बंद अर्थव्यवस्था मे मॉडल बदल देती है

पांच सेक्टर मॉडल अर्थव्यवस्था का एक अधिक यथार्थवादी प्रतिनिधित्व है। दो सेक्टर मॉडल के विपरीत , जहां छह मान्यताए है, पांच सेक्टर परिपत्र प्रवाह सभी छह मान्यताओं को रद कर देता हैं। चूंकि पहली धारणा को रद किया गया है, तीन और क्षेत्र शामिल किए गए है।

आय का परिपत्र प्रवाह के विषयों[संपादित करें]

"लीकैज" और "इंजेक्शन"[संपादित करें]

अर्थव्यवस्था के पांच सेक्टर मॉडल में वहाँ "लीकैज" और "इंजेक्शन" है।

->जब घरेलू क्षेत्र और व्यापार क्षेत्र अपने आय का हिस्सा सहेजते हैं, यह सहेजा हुआ हिस्सा "लीकैज" कहलाता है। यह बचत , कर भुगतान , और आयात के रुप में होता है। लीकेज आय का प्रवाह कम करती है।

->"इंजेक्शन" प्रवाह में आय को जोड़ती है। जब घरेलू क्षेत्र और व्यापार क्षेत्र बचत उधार ले, वे "इंजेक्शन" कहलाते हैं। इंजेक्शन आय के प्रवाह को बढ़ाते हैं। यह इंजेक्शन (क) निवेश , (ख) सरकारी खर्च और (ग ) का निर्यात के रुप में होते हैं। आय का परिपत्र प्रवाह अनिश्चित काल के लिए जारी रहेगा जब तक लीकै और इंजेक्शन समान हो। वित्तीय संस्थाओं या पूंजी बाजार बिचौलियों की भूमिका निभाते हैं। इसका मतलब यह है कि व्यक्तियों को काम से प्राप्त आय और उन्हे बेचे गये माल और सेवाएँ, इंजेक्शन या लीकैज नहीं कहलाते हैं, कारण कोइ पैसा, प्रवाह में पेश नहीं किया जा रहा है और नाही कोई पैसा, प्रवाह से बाहर ले जाया जा रहा है। लीकैज और इंजेक्शन के वित्तीय क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र और विदेशी क्षेत्र में हो सकता है।

रीयल फ्लो और मनी फ्लो के बीच अंतर[संपादित करें]

१) "रीयल" फ्लो घरेलू क्षेत्र और व्यापार क्षेत्र के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान है जबकि "मनी" फ्लो दो क्षेत्रों के बीच पैसो का आदान-प्रदान है।

२) रीयल फ्लो के अन्तर्गत घरेलू क्षेत्र व्यापार क्षेत्र को कच्चे माल, भूमि, श्रम और पूंजी देते है जिसके बदले व्यापार क्षेत्र घरेलू क्षेत्र को तैयार माल और सेवाएं प्रदान करता है। मनी फ्लो के अन्तर्गत व्यापार क्षेत्र घरेलू क्षेत्र को मजदूरी और वेतन , किराया, ब्याज आदि के रूप में पारिश्रमिक देता है।

आय का परिपत्र प्रवाह के चरण[संपादित करें]

परिपत्र प्रवाह के तीन चरण - उत्पादन, उपभोग व्यय और आय की सृष्टि हैं। यह तीन एक अर्थव्यवस्था के अंतहीन बुनियादी आर्थिक गतिविधियों हैं। उत्पादन आय को जन्म देता है, आय वस्तुओं और सेवाओं के लिए मांग को जन्म देता है, ऐसी मांग व्यय को जन्म देता है और व्यय अधिक उत्पादन के लिए प्ररणा बनता है। यह पूरी प्रक्रिया आय का परिपत्र प्रवाह के लिए आधार का रुप हैं।

आय का परिपत्र प्रवाह के अध्ययन का महत्व[संपादित करें]

"अ जेनरल अप्रोच टु मैक्रोइकोनोमिक पोलीसी" नामक पुस्तक महत्व के चार संभावित क्षेत्रों की पहचान करती है -

१) राष्ट्रीय आय का मापन

२) आर्थिक गतिविधियों के अन्योन्याश्रय का ज्ञान

३) आर्थिक गतिविधियों की अंतहीन प्रकृति का ज्ञान

४) लीकैज और इंजेक्शन

संदर्भ[संपादित करें]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Circular_flow_of_income
  2. http://www.economicsonline.co.uk/Managing_the_economy/The_circular_flow_of_income.html