सदस्य:ArtiRajan/प्रयोगपृष्ठ

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

[1] [2] [3]

भारत में जन सम्पर्क का विकास --ArtiRajan (वार्ता) 02:09, 10 फ़रवरी 2015 (UTC)

साँचा:ICCUP जन सम्पर्क भारत

परिचय[संपादित करें]

जन सम्पर्क से दुनिया को परिचित हुए एक सदी से अधिक हो चुका है, लेकिन भारत में इसका विकास १९९० के पश्चात ही हुआ। इसके पूर्व भी कुछ छोटे दलों ने पह्ले ही अपने सीमित मीडिया सम्बंधों का उप्योग कर जन सम्पर्क की शुरुवात कर दी थी। इसी वजह से उस समय के जन सम्पर्क कार्यकरता अधिक्तर पत्रकारिता के पूर्वभास से आते थे, तथा पत्रकारिता और जन सम्पर्क का यहीं से एक अटूट सम्बंध भी बन गया।

जन्सम्पर्क का भारत में निर्माण करने वाले अभिकरण[संपादित करें]

१९९० में भारत जन सम्पर्क के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हुआ। इससे आर्थिक स्थितियों में बहुत सुधार आने लगें। शुरुवात में यद्यपि इसकी पहुँच उतनी नहीं थी संचार माध्यम, खास कर इन्टरनेट की सहायता से इसकी पहुँच बहुत गुणा तक बढ गयी। कुछ अन्तर-राष्ट्रीय पी आर अभिकरण, खास कर ऐसे अभिकरण जो विज्ञापन से सम्बन्धित थे, जैसे, ओगिलवी पी आर भारत में १९८५ के पश्चात से ही स्थापित होने लगे थे। १९९० के दौर में, जब भारत के अर्थव्यवस्था को खोल दिया गया, तो पर्फ़ेक्ट रिलेशन्स, टेक्स्ट १०० और जेनेसिस जैसे केवल जन सम्पर्क पर केन्द्रित अभिकरण स्थापित हुए। अम्रीका के एड्वर्ड बर्नेय्स एव्ं आइवी ली के तरह भारत में जन सम्पर्क का कोई निश्चित मार्ग दर्शी नहीं था। जन सम्पर्क अभिकरणों कए हाथ में ही किसी भी अन्य अभिकरण के नाम क दायित्व होता था।

२००० के पश्चात बने अभिकरण[संपादित करें]

स्थापित होने के पश्चात अब बारी थी बढ्ने की। इस दौर में ब्लू लोटस कम्यूनिकेशन जैसे अभिकरणों की स्थाप्ना हुई, जिससे हर अभिकरण क ध्यान स्वास्थ्य, त्कनीकी विकास, आर्थिक मूल्य जैसे किसी एक विषय पर केन्द्रित होने लगें। इस दशक के अंत की ओर, २००८ में आइ९ कम्यूनिकेश्न कि स्थापना हुई। यहीं से पी आर बोटीक अभिकरण का जन्म भी हुआ। आर्थिक मन्दी के वजह से विश्व भर के खपत को बहुत नुक्सान पहुनचा। इसके वजह से अनेक जन सम्पर्क अभिकरणों को बहुत घाटा हुआ। अब इन अभिकरणो को चीन और भारत जैसे अधिक जन्सन्ख्या वाले देशों का सहारा लेनाअ पड़ा। भारत के सन्तुलित राजनैतिक स्थितियोन और अंग्रेजी जानने वाले अधिक लोगों कीवजह से, उसे चीन से ऊपरी स्थान मिला। आर्थिक मंदी के पूर्व, दुनिया भर मेइन खपत को घाटा हुआ। कई अन्तर-राष्ट्रीय जन सम्पर्क अभिकरणों को बहुत नुक्सान हुआ, जिसकी वजह से अब पूरी दुनिया का ध्यान भारत और [चीन]] पर आ गयी। अपनए राजनैतिक स्थिती के कारण भरत चीन से आगे निकल गया। २००७ के होम्स रपट के अनुसार जन सम्पर्क उद्योग की स्थिती दुनिया के पक्षिमी देशों में अब बढ नहिं रही थी, और भारत और चीन से उम्मीद बढ्ते गये। २०१२ में पी आर की खपत फिर कम हो आइ। इस्का कारण यह था कि इस छिटे से क्षेत्र में खिलाडी बहुत ज़्यादा थे।

भारतीय जन सम्पर्क में सन्कट काल[संपादित करें]

सत्यम स्काम[संपादित करें]

जन्वरी ७, २००९ में, रामलिंगा राजू, सत्यम लिमिटड के पूर्व अध्यक्ष ने जान-बूझकर धोखेबाज़ी की। उनकए बहुत सालों की चोरी पकड़ी गयी। सारे संचार माध्यम भी उन्के खिलाफ हो गये। यह सब उस समय हुआ जब विश्व में जन सम्पर्क पहले से ही समस्या में था। यह भारत के नाम को और अन्य राष्त्रों के साथ के रिश्तों को भी बिगाड़ सकता था। भारत के आई टी उद्योग से बाहरी स्रोत को ठेके पर दिये जाने वाले लोगों से देश को करोड़ों की आय हो रही थी। अब इसमें कमि आने लगी। इसकी वजह से सत्यम से जुड़े अन्य उद्योग, जैसे ई एन आर आइ जो मुफ्त में अस्पताल गाड़ियों का प्रबन्ध करने में अन्य रज्यों के सरकार के साथ साथ ५% का योगदान करती थी, को भी बहुत नुक्सान हुआ। भारत सरकार ने इस विषय पर जल्द से जल्द ध्यान देते हुए एक अन्तरिम बोर्ड क आयोजन किय, और सत्यम को भी अभिवादन कर दिया, जिसमें उसे महिन्द्रा & महिन्द्रा ने जीता। उसके बाद से ये दोनो उद्योग मिश्रित हो एक हो गये। वक्त पर सही कदम उठाने कि वजह से लोगों क जन सम्पर्क पर से पूरी तरह से भरोसा नहि उठा।

राडियागेट स्काम[संपादित करें]

वैश्विक मंदी का असर भारतीय जन सम्पर्क पर भी पड़ा। नवम्बर २०१० में राडियागेट स्काम के मनाम पर अगली विड्म्बना आ पड़ी, जिसमें ओपन मेग्जीन ने नीरा राडिया के खोटे उर्जा व्यापार का खुलासा किया। [[भारतीय आयकर विभाग] द्वारा आलिखित ५००० फोन काल्स में से कई सौ प्रसारित हो गये। इसके पश्चात सी बी आई ने कई बार राडिया क साक्षात्कार किया जिसमें टेलेकाम मंत्री ए राजा को पदत्याग करना पड़ा। इस स्काम में बर्खा दत्त तथा वीर सांघ्वी जैसे उन्दा पत्रकारों के नाम भी आये।

भारतीय् जन सम्पर्क में समस्याएँ[संपादित करें]

मर्च २०१० के अस्सोचम रपट के अनुसार २०१० के अन्त तक भारतीय जन स्म्पर्क से $६ करोड़ तक बढ जाना चाहिये था। उस समय इस क्षेत्र मे सब्से बड़ी समस्याएँ थी:

-लोगों में अधिक पैसें कमाने का आग्रह

-मार्ग दर्शन की कमी

- इस नए क्षेत्र को समझ पाने की कठिनाइयाँ

-समस्याओं की समझ

-पाठ्यक्रम के रूप में महत्व

सम्मान और पुरस्कार[संपादित करें]

२०१४ में ब्लू लोटस कम्यूनिकेश्न्स को सरकारी तथा एकचित विशिषिठता के लिए पब्लिक रिलेश्न्स सोसाइटी आफ़ इन्डिआ (पी आर एस आई)की ओर से पुरस्कार मिला। २०११ में भी ब्लू लोटस कम्यूनिकेश्न्स को इन्डियन पब्लिक रैलशन्स एन्ड कार्परेट कम्युनिकेश्न्स अवार्ड (आई पी आर सी सी ए) मिला। २०१० में होम्स रपट ने In 2010, ब्लू लोटस कम्यूनिकेश्न्स को इन्डियन कन्सल्तट्न्सी आफ़ द ईयर का पुरस्कार दिया।

  1. http://www.prsi.co.in/
  2. https://en.wikipedia.org/wiki/Public_relations_in_India
  3. http://www.holmesreport.com