व्यायाम

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एक यू एस मैरीन ट्रायाथलॉन के तैरने के हिस्से को पूरा कर पानी से बाहर आता हुआ।

व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है, जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, वजन घटाना या फिर सिर्फ आनंद के लिए। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है और यह हमारी नींद कम करता है इससे हमें सुबह उठने पर तकलीफ नहीं होतीहृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे समृद्धि के रोगों को रोकने में मदद करता है।[1][2] यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में मदद करता है। बचपन का मोटापा एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय है और शारीरिक व्यायाम Archived 2024-02-03 at the वेबैक मशीन से बचपन के मोटापे के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

व्यायाम के प्रकार[संपादित करें]

आमतौर पर व्यायाम को मानव शरीर पर पड़ने वाले इसके समग्र प्रभाव के आधार पर तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • नम्यक (लचीलापन) व्यायाम जैसे कि शरीर के भागों को खींचना (स्ट्रेचिंग) मांसपेशियों और जोड़ों की गति की सीमा में सुधार करता है।[3]
  • एरोबिक व्यायाम जैसे साईकिल चलाना, तैराकी, घूमना, नौकायन, दौड़, लंबी पैदल यात्रा या टेनिस खेलना आदि से हृदय के स्वास्थ्य में सुधार होता है।[4]
  • एनारोबिक व्यायाम, जैसे वजन उठाना, क्रियात्मक प्रशिक्षण या छोटी दूरी की तेज दौड़ (स्प्रिन्टिंग), अल्पावधि के लिए पेशी शक्ति में वृद्धि करती है।[5]

व्यायाम के लाभ[संपादित करें]

व्यायाम मानव देह को स्वस्थ रखने का एक अत्यन्त आवश्यक उपाय है। दौड़, दंड-बैठक, सैर, कुश्ती, जिम्नैस्टिक, हॉकी, क्रिकेट, टेनिस आदि खेल व्यायाम के ही कई रूप हैं।जिस समय हम व्यायाम करते हैं उस समय हमारी देह के अंग ऐसी चेष्टा करते हैं, जिसमें हमें आनन्द भी मिलता है और श्रम भी होता है। इससे हमारे शरीर का हर अंग स्वस्थ रहता है। जब हम व्यायाम करते हैं, तो हम अंगों को हिलाते-डुलाते हैं, उससे हमारे हृदय और फेफड़ों को अधिक काम करना पड़ता जिसके फलस्वरूप हमारी एक-एक सांस शुद्ध हो जाती है, हमारे रक्त की एक-एक बूँद स्वच्छ हो जाती है।यह हमारे शरीर को लचिला बनाता है।

मस्तिष्क का काम करने वाले मानवों को व्यायाम अवश्य ही करना चाहिये, क्योंकि देह से श्रम करके रोटी कमाने वालों के अंगों को तो हरकत करने का अवसर फिर भी मिल जाता है किन्तु अध्यापक, डाक्टर, वकील, कम्पयूटर-ओपरेटर आदि लोगों के लिये व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है।

व्यायाम से देह सुन्दर हो जाती है और उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है। हाँ बहुत अधिक व्यायाम से हानि भी हो सकती है। आप जब थक जायें तब आपको व्यायाम करना बन्द कर देना चाहिये।

स्त्रियों के व्यायाम[संपादित करें]

पारंपरिक : चक्की व जाँता[संपादित करें]

चक्की व जाँता नारीयों की प्राचीन व पारंपरिक व्यायाम पद्धति थी। अपने समय की नारी-चिंतक व लेखिका श्रीमती मनव्रता देवी लिखती हैं - हमारे देश में चक्की या जाँता चलाने की प्रथा दिन-पर-दिन बन्द होती जा रही है और हम मशीनों के आश्रित होती जा रही हैं । इसके दो कारण हैं । एक तो यह कि हम चक्की चलाना लज्जा और दरिद्रता की बात समझती हैं । जिस घर में चक्की नहीं चलती , मशीन का पिसा हुआ आटा काम में लाया जाता है , उस घर को हम धनी और सम्पन्न समझती हैं । दूसरा कारण है पश्चिमी देशों के प्रभाव हमारे देश में मशीनों का प्रचार मशीनों के प्रचार से हमारी बहनें यह समझने लग कि दो-चार पैसे की पिसाई के लिये घण्टों चक्की चलाना कोरी मूर्खता है , पहले तो मशीनों का प्रचार केवल शहरों में ही था ; किन्तु अब धीरे - धीरे वह देहातों में भी फैल गया । इसका फल यह हो रहा है कि हमारे देशवासी दुनिया की सबसे बड़ी चीज तन्दुरुस्ती से भो हाथ धोते जा रह है । चक्की न चलने से सबसे बड़ी हानि स्त्रियों की हो रही है , उसके बाद पुरुषों की । चक्की चलाना स्त्रियों के लिए बहुत ही अच्छी कसरत है । इससे स्त्रियों का स्वास्थ्य ठीक रहता है और शरीर में मजबूती आती है । घर में नियमित रूप से प्रतिदिन चक्की चलाकर स्त्रियाँ चिर काल तक स्वस्थ और सुन्दरी बनी रह सकती हैं । इससे हमेशा बदन फुर्तीला बना रहता है और जल्द किसी रोगका आक्रमण नहीं होता । जाँता चलाने में अंग - प्रत्यंग पर जोर पड़ता है , जिससे शरीर सुडौल होता है , हड्डियाँ मजबूत होती हैं , मांस - पेशियाँ सुदृढ़ होती हैं , चित्तमें प्रसन्नता आती है और पैसेकी बचत के साथ - साथ हिम्मत बढ़ती जाती है ।[6][7]

यह सभी लोग जानते हैं कि शहर की स्त्रियों की अपेक्षा देहात की स्त्रियाँ अधिक तन्दुरुस्त , हिम्मतवाली , फुर्तीली तथा बड़ी आयुवाली होती हैं । इसका कारण शुद्ध जल - वायु और व्यायाम है । अभी देहातो में कुछ घरों को छोड़कर अधिकांश घरों में चक्की चलायी जाती है । इससे वहाँ की स्त्रियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है किन्तु शहरों में दोनों बातों का अभाव है । न तो शुद्ध जल - वायु है और न किसी तरह का व्यायाम | न परिणाम यह हो रहा है कि शहरी की स्त्रियाँ थोड़ी ही उम्र में रुग्णा और कमजोर हो जाती है । अव्वल तो हमारे यहाँ स्त्री - व्यायाम के लिये कोई साधन नहीं दूसरे जो व्यायाम हैं भी , उसे स्त्रियाँ विलासिता में पड़कर करना नहीं चाहतीं । वे ऊपरी चमक - दमक से ही सौंदर्य और यौवन कायम रखना चाहती हैं । उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं कि यदि स्वास्थ्य ही ठीक न रहेगा , शरीर में बल ही न रहेगा तो ऊपरी सजधज से क्या हो सकता है । इसलिये स्त्रियों को चाहिये कि अपना शरीर सुन्दर और स्वस्थ बनाने के लिए मौजूद साधनों को हाथ से न जाने दें । इससे एक तो अच्छी कसरत हो जाती है जिससे तन्दुरुस्ती बनी रहती है , दूसरे पुष्टिकारक आटा खाने को मिलता है । मशीन के आटे में गर्मी होती है , मिठास नहीं रहता , कुछ कब्ज लाता है और उसके कण जल गये रहते हैं , अतः उसे खाने से शरीर में उतनी ताकत नहीं पैदा होती , जितनी होनी चाहिये। जाँता चलाने और उसके आटेसे लाभ ऊपर कह चुकी हूँ कि चक्की चलाने से पूरी कसरत हो जाती है जो तन्दुरुस्ती के लिये बहुत आवश्यक है इससे फायदा यह है कि जांते के आटे की रोटी में जो मिठास होती है वह मशोन के आटे की रोटी में नहीं होती । जांते के आटे की रोटी खानेमें स्वभावतः चित्त प्रसन्न होता है । यह मानी हुई बात है कि जो चीज प्रसन्नता के साथ खायी जाती है , वह शरीर के लिये विशेष हितकर होती है ; किन्तु जो चीज प्रसन्नतापूर्वक नहीं खायी जाती , वह विष का काम करती है । तीसरा फायदा यह है कि जांते का आटा विशेष पौष्टिक और निर्दोष होता है । इस आटे में अन्न के सब पौष्टिक अंश ज्यों-के-त्यों सुदृढ़ होती हैं , चित्त में प्रसन्नता आती है और पैसे की बचत के साथ-साथ हिम्मत बढ़ती जाती है ।[6]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Stampfer, M., Hu, F., Manson, J., Rimm, E., Willett, W. (2000) Primary prevention of coronary heart disease in women through diet and lifestyle. The New England Journal of Medicine, 343(1), 16-23. Retrieved October 5, 2006, from ProQuest database.
  2. Hu., F., Manson, J., Stampfer, M., Graham, C., et al. (2001). Diet, lifestyle, and the risk of type 2 diabetes mellitus in women. The New England Journal of Medicine, 345(11), 790-797. Retrieved October 5, 2006, from ProQuest database.
  3. O'Connor, D., Crowe, M., Spinks, W. 2005. Effects of static stretching on leg power during cycling. Turin, 46(1), 52-56. Retrieved October 5, 2006, from ProQuest database.
  4. Wilmore, J., Knuttgen, H. 2003. Aerobic Exercise and Endurance Improving Fitness for Health Benefits. The Physician and Sportsmedicine, 31(5). 45. Retrieved October 5, 2006, from ProQuest database.
  5. de Vos, N., Singh, N., Ross, D., Stavrinos, T., et al. 2005. Optimal Load for Increasing Muscle Power During Explosive Resistance Training in Older Adults. The Journals of Gerontology, 60A(5), 638-647. Retrieved October 5, 2006, from ProQuest database.
  6. श्रीमती मनव्रता देवी. Nari Dharma Shiksha Manvrata Devi. पपृ॰ 53–55. अभिगमन तिथि 2021-02-20.
  7. "अपना योगा आश्रम कैसे खोले, योगा के फायदे| Ayush Next". ayushnext.ayush.gov.in. अभिगमन तिथि 2023-10-18.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]