"राजगृह": अवतरणों में अंतर

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'''राजगृह''' [[महाराष्ट्र]] के [[मुंबई]] में नेता [[भीमराव आम्बेडकर]] का घर व स्मारक है। प्राचीन बौद्ध साम्राज्य के संदर्भ में इसे राजगृह (अब [[राजगीर]]) नाम दिया गया था। तीन मंजिला इमारत का भूतल भारतीय नेता के स्मारक के रूप में एक विरासत संग्रहालय की मेजबानी करता है।<ref>{{Cite news|url=https://www.timesnownews.com/india/article/five-must-visit-places-to-rediscover-the-life-of-dr-babasaheb-ambedkar-chaitya-bhoomi-chaityabhoomi/140984|title=Five must visit places to rediscover the life of Dr Babasaheb Ambedkar {{!}} India News|access-date=2018-11-28|language=en-GB}}</ref><ref>{{Cite news|url=https://www.loksatta.com/mumbai-news/hawkers-encroachment-near-ambedkar-house-at-dadar-1148960/|title=बाबासाहेबांच्या ‘राजगृहा’च्या आसपास फेरीवाल्यांचा डेरा|date=2015-10-10|work=Loksatta|access-date=2018-11-28|language=mr-IN}}</ref>


यह स्थान भारतीयों, विशेषकर आम्बेडकरवादी बौद्धों और दलितों के लिए एक पवित्र स्थल है। आम्बेडकर 15-20 वर्षों तक राजगृह में रहे। हर साल 6 दिसंबर को मुंबई के [[शिवाजी पार्क]] में [[चैत्य भूमि]] से पहले लाखों लोग राजगृह आते हैं। आम्बेडकर ने इस घर में अपने 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया था, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय बन गया था। इमारत को एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की योजना कानूनी और तकनीकी मुद्दों के कारण गिर गई, लेकिन 2013 में हवेली एक विरासत स्मारक बन गई।
यह स्थान भारतीयों, विशेषकर आम्बेडकरवादी बौद्धों और दलितों के लिए एक पवित्र स्थल है। आम्बेडकर 15-20 वर्षों तक राजगृह में रहे। हर साल 6 दिसंबर को मुंबई के [[शिवाजी पार्क]] में [[चैत्य भूमि]] से पहले लाखों लोग राजगृह आते हैं। आम्बेडकर ने इस घर में अपने 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया था, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय बन गया था। इमारत को एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की योजना कानूनी और तकनीकी मुद्दों के कारण गिर गई, लेकिन 2013 में हवेली एक विरासत स्मारक बन गई।

18:50, 22 जून 2019 का अवतरण

राजगृह

आम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर राजगृह में मौजूद लोग, ६ दिसम्बर २०१७
स्थिति हिंदू कॉलोनी, दादर, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
अभिकल्पना भीमराव आम्बेडकर
प्रकार स्मारक, ग्रंथालय
निर्माण आरंभ 1931
निर्माण पूर्ण 1933
समर्पित भीमराव आम्बेडकर

राजगृह महाराष्ट्र के मुंबई में नेता भीमराव आम्बेडकर का घर व स्मारक है। प्राचीन बौद्ध साम्राज्य के संदर्भ में इसे राजगृह (अब राजगीर) नाम दिया गया था। तीन मंजिला इमारत का भूतल भारतीय नेता के स्मारक के रूप में एक विरासत संग्रहालय की मेजबानी करता है।[1][2]

यह स्थान भारतीयों, विशेषकर आम्बेडकरवादी बौद्धों और दलितों के लिए एक पवित्र स्थल है। आम्बेडकर 15-20 वर्षों तक राजगृह में रहे। हर साल 6 दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में चैत्य भूमि से पहले लाखों लोग राजगृह आते हैं। आम्बेडकर ने इस घर में अपने 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया था, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय बन गया था। इमारत को एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की योजना कानूनी और तकनीकी मुद्दों के कारण गिर गई, लेकिन 2013 में हवेली एक विरासत स्मारक बन गई।

सन्दर्भ

  1. "Five must visit places to rediscover the life of Dr Babasaheb Ambedkar | India News" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2018-11-28.
  2. "बाबासाहेबांच्या 'राजगृहा'च्या आसपास फेरीवाल्यांचा डेरा". Loksatta (मराठी में). 2015-10-10. अभिगमन तिथि 2018-11-28.

साँचा:भीमराव आम्बेडकर