"आंबेडकर जयंती": अवतरणों में अंतर
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आधुनिक भारत के निर्माता एवं [[भारतीय संविधान]] के शिल्पकार [[भीमराव अम्बेडकर|डॉ. भीमराव आंबेडकर]] जिन्हें [[भीमराव अम्बेडकर|बाबासाहेब]] के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन [[१४ अप्रैल]] को '''आंबेडकर जयंती''' या '''भीम जयंती''' के रूप में पुरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को '''समानता दिवस''' या '''ज्ञान दिवस''' के रूप में भी मनाया जाता है। बाबासाहेब विश्व भर में उनके [[मानवाधिकारी आंदोलन]] और प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। |
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उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल [[महू]] ([[मध्य प्रदेश]](, [[बौद्ध धर्म|बौद्ध धम्म]] दीक्षा स्थल [[दीक्षाभूमि, नागपुर]] और उनका समाधी स्थल [[चैत्य भूमी]], [[मुंबई]] में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। भारत के [[बौद्ध विहारों]] में उन्हें नमन किया जाता है। |
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इस साल २०१६ में भारत सरकार ने बडे पैमाने पर बाबासाहेब की जयंती मनाई। [[संयुक्त राष्ट्र]] ने भी पहली बार बाबासाहेब की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र |
इस साल २०१६ में [[भारत सरकार]] ने बडे पैमाने पर बाबासाहेब की जयंती मनाई। [[संयुक्त राष्ट्र]] ने भी पहली बार बाबासाहेब की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे बाबासाहब को '''विश्व का प्रणेता''' कहकर उनका गौरव किया। |
18:12, 23 अगस्त 2016 का अवतरण
आधुनिक भारत के निर्माता एवं भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को आंबेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में पुरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को समानता दिवस या ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। बाबासाहेब विश्व भर में उनके मानवाधिकारी आंदोलन और प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल महू (मध्य प्रदेश(, बौद्ध धम्म दीक्षा स्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमी, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। भारत के बौद्ध विहारों में उन्हें नमन किया जाता है।
इस साल २०१६ में भारत सरकार ने बडे पैमाने पर बाबासाहेब की जयंती मनाई। संयुक्त राष्ट्र ने भी पहली बार बाबासाहेब की १२५ वी जयंती मनाई जिसमें १५६ देशों के प्रतिनिधीयों ने भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र नेे बाबासाहब को विश्व का प्रणेता कहकर उनका गौरव किया।