वार्ता:राष्ट्रीय साक्षरता मिशन

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Latest comment: 5 वर्ष पहले by अनिकेत राणा

शिक्षा और साक्षरता (Literacy) के नाम पर हमारे भारत में दो प्रकार के अभियान चलते हैं एक तो स्कूलों और विद्यालों में नियमित रूप से दी जाने वाली शिक्षा जिसे औपचारिक शिक्षा कहते हैं और दूसरी अनौपचारिक शिक्षा जिसके अंतर्गत उन लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया जाता है जो स्कूलों और विद्यालों में जाकर शिक्षा हासिल नहीं कर पाते जिसे दो वर्गों में बांटा जाता है जिसमें 15 वर्ष से 35 वर्ष तक की उम्र में आने वालों को प्रौढ़ शिक्षा अभियान के कार्यक्रम में रखा जाता है जबकि 15 वर्ष से कम की उम्र में आने वाले लड़का -लड़की की शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा में रखा जाता है। इस वक्त प्रौढ़ निरक्षकों की संख्या 11 करोड़ से भी अधिक आंकी गयी है। आज़ादी हासिल करने के बाद हमारे देश में अनपढ़ों की संख्या बहुत अधिक थी किन्तु सरकार द्वारा किये गए शिक्षा सबंधी प्रयासों ने साक्षरता दर में काफी बढ़ोतरी की है आज भारत देश के हर नागरिक को शिक्षित करने की तरफ़ बढ़ रहा है।

किन्तु आज भी इतने कड़े प्रयास के बाद देश के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो निरक्षता से लगातार जूझ रहे हैं यहां पर अधिक प्रयास करने की जरूरत है आज भी शिक्षा के आंकड़ों के मुताबिक भारत की साक्षरता दर बाकी देशों की तुलना में कम है इसका सीधा साधा सा कारण है भारत के शिक्षा सबंधी अभियान दुसरे देशों की तुलना में कम प्रभावशाली होना भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर अनेक अभियान चलाए जाते हैं किन्तु वह ज्यादा सफ़ल नहीं हो पाते इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ता है खासतौर पर महिलाएं ग्रामीण महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने के मार्ग पर कई बाधायों का सामना करना पड़ता है और जो उन्हें आगे बढने से रोकती हैं

साक्षरता (Saksharta) केवल किताबी ज्ञान हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि साक्षरता का मुख्य उदेश्य लोगों में उन के अधिकारों के प्रति और उनके कर्तव्यों के प्रति उन्हें जागरूक करना है साक्षरता गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकबाद को खत्म करने में समर्थ है आज भारत की साक्षरता दर में सुधार जरूर हुआ है किन्तु अभी भी यह अपने मकसद से कोसों दूर है।

शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्यता की तरफ़ ले जाती है किसी भी देश का सबसे बड़ा अभिशाप वहां के निवासियों की निरक्षता है मनुष्य और पशु में यदि कोई अंतर है तो वो है बुद्धि का संसार के किसी ना किसी हिस्से में निरक्षता रुपी अभिशाप आज भी जड़ों को खोकला कर रहा है।

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अनिकेत राणा (वार्ता) 08:38, 1 जुलाई 2018 (UTC)उत्तर दें