वार्ता:आँगन के पार द्वार
विषय जोड़ेंयह अंश दो बार आ गया हॅ- "इस कृति ने यह सिद्ध कर दिया है कि अज्ञेय प्रश्न छेड़ने में नहीं, उत्तर पाने में भी कुशल हैं। यह जरूर है कि ये उत्तर उन्होंने बाहर से नहीं भीतर से पाये हैं। ""--डा० जगदीश व्योम १५:१४, २५ नवंबर २००९ (UTC)
- हाँ जगदीश बाबू मैंने सुधार कर दिया है। वैसे ऐसे लेख हिन्दी विकिपीडिया की पहचान बनेगें भविष्य में।--Munita Prasadवार्ता १५:५७, २५ नवंबर २००९ (UTC)