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रिकी पोंटिंग

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ऑस्ट्रेलियाई पताका
ऑस्ट्रेलियाई पताका
रिकी पोंटिंग
ऑस्ट्रेलिया
रिकी पोंटिंग
रिकी पोंटिंग
पूरा नाम रिकी थॉमस पोंटिंग
जन्म 19 दिसंबर, 1974
बल्लेबाज़ी का तरीक़ा Right-handed batsman (RHB)
गेंदबाज़ी का तरीक़ा {{{गेंदबाज़ी का तरीक़ा}}}
टेस्ट क्रिकेट एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय
मुक़ाबले {{{टेस्ट मुक़ाबले}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले}}}
बनाये गये रन १३३७८

टेस्ट बल्लेबाज़ी औसत = टेस्ट १००/५० = ५१/६२ टेस्ट सर्वोच्च स्कोर = २५६

स्रोत = http://content-aus.cricinfo.com/ci/content/player/7133.html || 1३७०४

बल्लेबाज़ी औसत {{{टेस्ट बल्लेबाज़ी औसत}}} 4२
100/50 {{{टेस्ट 100/50}}} ३०/८२
सर्वोच्च स्कोर {{{टेस्ट सर्वोच्च स्कोर}}} 164
फेंकी गई गेंदें {{{टेस्ट गेंद फेंकी}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय गेंद फेंकी}}}
विकेट {{{टेस्ट विकेट}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विकेट}}}
गेंदबाज़ी औसत {{{टेस्ट गेंदबाज़ी औसत}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय गेंदबाज़ी औसत}}}
पारी में 5 विकेट {{{टेस्ट गेंदबाज़ी 5}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय गेंदबाज़ी 5}}}
मुक़ाबले में 10 विकेट {{{टेस्ट गेंदबाज़ी 10}}} नहीं है
सर्वोच्च गेंदबाज़ी {{{टेस्ट सर्वोच्च गेंदबाज़ी}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सर्वोच्च गेंदबाज़ी}}}
कैच/स्टम्पिंग {{{टेस्ट कैच/स्टम्पिंग}}} {{{एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कैच/स्टम्पिंग}}}

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स्रोत: [{{{स्रोत}}}]

रिकी पोंटिंग

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रिकी थॉमस पॉन्टिंग, एओ (जन्म 19 दिसम्बर 1974) को पंटर का उपनाम दिया गया था। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में २००२ से २०११ तक वे ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रहे। टेस्ट क्रिकेट में २००४ और २०११ के बीच ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की उन्होंने कमान सम्भाली. वे ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटरों में माने जाते हैं। वे एक विशेषज्ञ दाएं हाथ के बल्लेबाज थे, साथ ही एक बहुत ही सामयिक गेंदबाज भी. उन्होंने २००३ और २००७ के क्रिकेट विश्व कप की जीत में ऑस्ट्रेलिया का नेतृत्व किया और 1999 के विश्व कप में स्टीव वॉ की विजेता टीम के सदस्य भी रहे।     उन्हें आलोचकों द्वारा व्यापक रूप से भारत के सचिन तेंदुलकर और वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा के साथ साथ, आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। १ दिसंबर २००६ को उन्होंने पिछले 50 साल में एक टेस्ट बल्लेबाज द्वारा हासिल उत्तम रेटिंग प्राप्त की। २०१० के प्रारम्भ में वे क्रिकइंफो द्वारा पिछले दशक के सर्वोच्च क्रिकेटर चुने गए। वे १०० टेस्ट जीतने वाले इतिहास के पहले और एकलौते खिलाड़ी हैं।       160 से अधिक टेस्ट और 375 एकदिवसीय मैचों में शामिल होने के बाद पोंटिंग टेस्ट और वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख रन गणक हैं। वह 13,000 टेस्ट रन बनाने वाले (सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और जैक कैलिस के साथ) इतिहास के केवल चार खिलाड़ियों में से एक है। वह २००४ और ३१ दिसंबर २०१० के बीच 77 टेस्ट मैचों में 48 जीत के साथ सब समय के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। एक खिलाड़ी के रूप में, रिकी पोंटिंग 107 टेस्ट जीतों में शामिल रहे। पोंटिंग का 262 जीतों के साथ एक खिलाड़ी के रूप में सबसे अधिक जीतों में शामिल होने का अंतराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट रिकॉर्ड है। 29 नवम्बर २०१२ को रिकी ने संन्यास की घोषणा की। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पर्थ में खेला जाने वाला श्रंखला का तीसरा और आखिरी मुकाबला उनके अंतराष्ट्रीय कैरियर का आखिरी मुकाबला था। दक्षिण अफ्रीका ने जीत हासिल कर श्रंख्ला अपने नाम करी और रिकी के १७ वर्षीय कैरियर का समापन किया। रिकी ने स्टीव वॉघ द्वारा बनाये ऑस्ट्रेलिया के लिए अधिकतम टेस्ट खेलने के रिकॉर्ड की अपना आखिरी टेस्ट खेलते हुए बराबरी करी। रिकी पोंटिंग 51.85 के टेस्ट बल्लेबाजी औसत के साथ 3 दिसम्बर 2012 को संन्यास लेते हुए क्रिकेट से दूर हुए. उन्होंने दुनिया भर में क्रिकेट खेलना जारी रखा। मुम्बई इंडियंस ने २०१३ आईपीएल के लिए रिकी को अपना कप्तान घोषित किया तथा उस वर्ष की आईपीएल प्रतियोगिता जीती। मार्च 2013 में रिकी कैरेबियाई प्रीमियर लीग के लिए पहले अंतरराष्ट्रीय मताधिकार खिलाड़ी के रूप में घोषित हुए. नॉट्स के खिलाफ सरे के लिए अपनी अंतिम प्रथम श्रेणी पारी में उन्होंने एक शानदार नाबाद १६९ रन बनाये तथा इसके साथ ही अपने प्रथम श्रेणी कैरियर को ८२ शतकों के साथ अलविदा कहा. इसके बाद उन्होंने हर तरह के क्रिकेट से संन्यास ले लिया।

कप्तानी

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  रिकी को 2002 में स्टीव वॉ के बर्खास्त होने के बाद वनडे टीम की कप्तानी मिली। एकदिवसीय मैचों में उन्हें कप्तान के रूप में प्रारंभिक सफलता वी. बी. त्रिकोणीयी श्रंखला २००२-०३ के फाइनल में इंग्लैंड को हरा कर प्राप्त हुई। उनकी असली परीक्षा २००३ के विश्व कप में हुई। शेन वॉर्न टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही एक डोपिंग परीक्षण में सकारात्मक पाए गए जिसके बाद वे वापस भेज दिए गए। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया निरंतरता से खेलते हुए विश्व विजेता बना। भारत के खिलाफ फाइनल में 140 रन बनाते हुए रिकी ने ८ चक्के लगाए. स्टीव वॉ 2004 में सेवानिवृत्त हुए, जिसके बाद रिकी टेस्ट टीम के भी कप्तान बने। उनकी कप्तानी का मुख्य आकर्षण ऑस्ट्रेलिया की २००३ और २००७ में दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज में प्राप्त हुई विश्व कप जीत, २००६ और २००९ में प्राप्त चैंपियंस ट्राफी जीत, २००६-०७ में ५-० से हासिल हुई एशेज विजय और २००६ के अंत से लेकर २००८ के प्रारम्भ तक ऑस्ट्रेलिया द्वारा हासिल करी १६ निरंतर टेस्ट जीत रहे। इस दौरान उनकी टीम एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट में सर्वोच्च पायेदान पर भी रही

 रिकी  एक बहुत ही विवादास्पद व्यक्ति थे। उनकी बहुत आलोचना की जाती रही, चाहे विरोधियों के प्रति उपशब्दों का प्रयोग करने को लेकर हो या फिर अम्पायरों की बात न मानते हुए उनसे बहस करने को लेकर. स्पिन गेंदबाज़ों का सामना करते हुए, ख़ास कर ऑफ स्पिन गेंदबाज़ों को खेलते हुए उन्हें कभी कभी बहुत कठिनाई होती थी। हरभजन सिंह और ग्रेमी स्वनं का सामना करते हुए उन्हें जो परेशानी होती थी वह इस बात को स्पष्ट करती है। अपने कैरियर के अंत की ओर, आयु अधिक होने के कारण वह पुल और हुक शॉट खेलने में असमर्थ होने लगे। सफलता के दौर में शॉर्ट पिच गेंद उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। वे इस प्रकार की गेंदबाज़ी खेलने के मास्टर माने जाते थे। टेस्ट क्रिकेट में उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने 2005, 2009 और 2010-11 में 3 एशेज श्रंखलाएं हारी जिसके कारण रिकी की बहुत आलोचना हुई खासकर २००५ एशेज के दूसरे टेस्ट के बाद जिसमें टॉस जीत कर रिकी ने कई आलोचकों के अनुसार गलत निर्णय लिया। उनकी टीम ने वह मुकाबला २ रनो से गवाया. ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से वह श्रंखला हारनी पडी. टी. २० क्रिकेट में उनकी कप्तानी की बहुत आलोचना हुई क्यूँ कि २००७ के विश्व कप में उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ज़िम्बाब्वे जैसी कमजोर टीम से हारा और २००९ के विश्व कप में तो पहले ही राउंड में बाहर हो गया। इस कारण कई बार रिकी को निंदा झेलनी पडी.

सन्दर्भ

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https://web.archive.org/web/20110113014130/http://www.espncricinfo.com/ https://web.archive.org/web/20110205144134/http://cricket.com.au/