राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान

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राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन एक अग्रणी संस्थान है । यह ग्रामीण विकास व पंचायत राज क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्वीकृति प्राप्त एक उत्कर्ष केंद्र है ।

संरचना[संपादित करें]

संस्थान का मुख्यालय तेलंगाना राज्य में हैदराबाद शहर में स्थित है । इसके अलावा उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए गुवाहाटी में एक क्षेत्रीय कार्यालय भी है ।[1] संस्थान में ग्रामीण विकास तथा स्वरोज़गार क्षेत्र में तैनात अधिकारियों तथा लाभार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है । इसके अलावा ग्रामीण विकास क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक छात्रों के लिए स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी चलाए जाते हैं ।

इतिहास[संपादित करें]

संस्थान की शुरुआत 1950s में देश के गोष्ठी उन्नयन ब्लॉक के ग्रामीण अधिकारियों प्रशिक्षण देने के लिए हुई। इसका पहला कार्यालय मसूरी में वर्ष 1958 में बना । बाद में देहरादून में एक प्रशिक्षण केंद्र खुला। फिर वर्ष 1962 में दोनों कार्यालयों को मिला कर केंद्रीय गोष्ठी उन्नयन संस्थान बना गया । बाद में इसे हैदराबाद में स्थानांतरित कर इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान किया गया ।[2]

विवादास्पद प्रसंग[संपादित करें]

यौन शोषण का आरोप[संपादित करें]

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान के परिसर में व्यापक यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं ।[3] वर्ष 2018 में इंडोनेशिया की एक छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में संस्थान के सहायक प्रोफ़ेसर सत्य रंजन महाकुल साईबराबाद पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए ।[4] वर्ष 2015 में संस्थान के सहयोगी प्रोफ़ेसर डॉ वी सुरेश बाबू सहायक प्रोफ़ेसर श्रीमती जी वैलेंटाइना की यौन उत्पीडन के लिए कार्रवाई की गई थी । पर केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्युनल उन्हें दण्ड से मुक्त कर दिया ।[5]

संस्थान की वरिष्ठ अधिकारी तथा कवयित्री हेमांगी शर्मा ने यह आरोप लगाया कि मशहूर कवि तपन कुमार प्रधान एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उनका यौन शोषण किया था।[6] परन्तु डॉ प्रधान ने अपनी पुस्तकों में यह दावा किया है कि हेमांगी शर्मा के साथ उनका पिछले जन्म से अंतरंग संबंध था ।[7] संस्थान के कोई भी कार्यक्रम में डॉ प्रधान निमन्त्रित होने का कोई भी सबूत नहीं है ।[8]

भ्रष्टाचार का आरोप[संपादित करें]

संस्थान के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं । इनमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर वरिष्ठ अध्यापक भी शामिल हैं ।[9] कार्यकर्ता तपन कुमार प्रधान ने संस्थान के महानिदेशक को अपने पत्र तथा केंद्रीय सूचना आयोग को अपनी पिटीशन में संस्थान के परिसर में व्यापक अनियमितता का खुलासा किया है ।[10]

यह भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान का वेबसाइट". NIRDPR.
  2. "राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान का संक्षिप्त इतिहास".
  3. "दलित प्रोफ़ेसर द्वारा व्यापक यौन शोषण का आरोप". News Minutes. 6 June 2018. गायब अथवा खाली |url= (मदद); |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)
  4. "महाकुल के खिलाफ कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान पर दबाव =18 September 2019". United News of India. अभिगमन तिथि 19 February 2021.
  5. वी. सुरेश बाबू बनाम राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, , हैदराबाद (केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्युनल 10 December 2018). Text
  6. "डॉ तपन कुमार प्रधान बनाम साइबरावाद पुलिस" (PDF). cic.gov.in. 5 November 2019. अभिगमन तिथि 19 February 2021.
  7. अय्यर, ललिता (25 December 2020). Songs of Lust and Love. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788194579748. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद) डॉ तपन कुमार प्रधान द्वारा संपादित (पृष्ठ 271-76)
  8. "केंद्रीय सूचना आयोग का आदेश CIC/NIRAD/A/2019/637270". CIC Decisions. 7 January 2021. अभिगमन तिथि 20 February 2021.
  9. "राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान में भ्रष्टाचार व लूट". Consumer Complaints. 25 September 2017. गायब अथवा खाली |url= (मदद); |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)
  10. "डॉ तपन कुमार प्रधान बनाम राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान". India Kanoon. 7 January 2021. अभिगमन तिथि 20 February 2021.