नयी पौध नागार्जुन की एक उपन्यास है। यह गाँव के बड़े-बुज़ुर्गों द्वारा बेमेल शादी के विरोध में युवाओं के उठ खड़े होने की कहानी है जिसे आलोचकों ने काफ़ी सराहा है[1]।