जगन्नाथ प्रसाद ‘किंकर’

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जगन्नाथ प्रसाद ‘किंकर’ औरंगाबाद, देव के राजा थे। इनका मगही गीत संग्रह 1934 में प्रकाशित हुआ है। ‘किंकर’ साहेब ने सन् 1930 में छठ मेला नामक 16 एमएम के चार रीलों के एक वृत्तचित्र फिल्म का निर्माण करके बिहार में फिल्म निर्माण की प्रथम नींव डाली थी, फिल्म के निर्माता, लेखक और निर्देशक की भूमिका राजा साहेब ने स्वयं की थी तथा रेखांकन और चित्रांकन गौरी शंकर सिंह रैन जी ने किया था। फिल्म का एडिटिंग लंदन से आए ब्रुनो ने की। देव के सूर्य मंदिर और छठ पूजा की महत्ता को उजागर करने वाली कुल चार रीलों वाली यह डाक्यूमेन्ट्री फिल्म लगभग 32 दिनों में बनकर तैयार हुई थी। 1930 में इसका प्रथम प्रदर्शन देव स्थित राजा के गढ़ के भीतर ही किया गया था।[1][2][3][4][5]


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Sudhir Kumar Jha (2005). A New Dawn Patna Reincarnated. पृ॰ 209. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788175256217. At the crack of the 1930s Jagannath Prasad Singh ' Kinkar ' , Raja of Deo in Aurangabad district , made a silent documentary film on the famous Chhath festival of Deo . The Raja made around 1933 a feature film titled “ Punarjanm
  2. "माया महल में हुआ था 'पुनर्जन्म'". दैनिक जागरण. 22 अप्रैल 2012.
  3. Hans Kumar Tiwari (1976). Hindi-sahitya aur Bihar. Bihar-Rashtrabhasha-Parishad. पृ॰ 163.
  4. "बिहार की पहली फिल्म है 'छठ मेला' जो 1930 में बनी थी, लंदन से आये थे टेक्निशियन". Daily Bihar. 2 नवंबर 2019.
  5. Ganga Prasad Sharma. Hindi Cinema Ka Suhana Safar. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8128807176.