छठी शताब्दी ई.पू के प्रमुख भारतीय गणराज्य की सूची

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में 16 महाजनपदों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार एवं या सिंधु घाटी में कई गणराज्यों का अस्तित्त्व था। इन गणराज्यों में, वास्तविक शक्ति जनजातीय कबीलों के हाथों में था। यहाँ हम छठी शताब्दी ई.पू. के विभिन्न भारतीय गणराज्यों की सूची दे रहे हैं जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी है।

गणराज्यों की सूची[संपादित करें]

कपिलवस्तु के शाक्य[संपादित करें]

यह गणराज्य नेपाल के तराई क्षेत्र की उत्तरी सीमा पर स्थित था। इसकी राजधानी कपिलवस्तु थी। भगवान बुद्ध का जन्म इस गणराज्य में हुआ था।

अल्कप्पा के बुल्ली[संपादित करें]

यह बिहार के वर्तमान शाहबाद और मुजफ्फरपुर जिले में स्थित था। आधुनिक बिहार के कुछ जिलों के बीच बुलियो का राज्य था। ये लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।

केशपट्टा के कलाम[संपादित करें]

भगवान बुद्ध के प्रसिद्ध उपदेशक “अलारा कलाम” का संबंध इसी गणराज्य से था। यह स्थान वर्तमान में "उत्तर प्रदेश" राज्य के सुल्तानपुर जिले में कुड़वार बाज़ार के समीप "पालिया" नामक जगह पर है। "आलारकलाम" नामक आचार्य इसी गणराज्य के थे ।

सुम्सुगिरी के भग्ग[संपादित करें]

यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के वर्तमान मिर्जापुर जिले में स्थित था। इन्हें भर्ग कहते थे। यह एक देश मानते थे। जिसे भरों का देश माना गया,मीरजापुर इसका अर्थ था पहले जा का अर्थ पैदा, पुर के नगर यानी पहले जो नगर विकसित हुआ वैसे मीरजापुर वेलन नदी की सभ्यताएं की चर्चा होती है। सलखन में जो जिवाश्म फासिल्श पाये गये वर्तमान सोनभद्र है। लगभग 1.50 करोड़ माना गया है।

रामग्राम के कोलिया[संपादित करें]

यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के वर्तमान रामपुर-देवरिया क्षेत्र में स्थित था। इसकी उतपत्ति बनारस के राजा राम जो एक नागवंशी (मूल इच्क्षवाकुवंश) क्षत्रिय थे तथा शाक्यवंशी राजकुमारी पिया से माना जाता है। अतः कोलिय पित्रपक्ष से नागवंशी और मात्रपक्ष से शाक्य (सूर्यवंशी) थे। वर्तमान में यह गोरखपुर मंडल के सैंथवार क्षत्रियो में आते हैं।। जो कि कई क्षत्रिय कुलो/वंशो का समूह है।

पावा के मल्ल[संपादित करें]

मल्ल यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के साथ ही बिहार के वर्तमान चंपारण और सारण जिले स्थित था। प्रारंभ में, “चंद्रकांता” इस गणराज्य की राजधानी थी। बाद में, कुशीनगर (बुद्ध के महापरिनिर्वाण के लिए प्रसिद्ध) और पावा (महावीर की मृत्यु से संबंधित) को मल्ल की दो राजधानी थी।

पिप्पालिवन के मोरिया[संपादित करें]

इस गणराज्य को वर्तमान में उत्तर प्रदेश के “उपधौली” गाँव के रूप में जाना जाता है। इन्हें मौर्यों का पूर्वज माना जाता है।

मिथिला के विदेह[संपादित करें]

बौद्धकाल में यह गणराज्य “वज्जि” महाजनपद का हिस्सा था, लेकिन धीरे-धीरे यह गणराज्य में परिवर्तित हो गया। लिच्छवी यह गणराज्यों की संघ था। “वैशाली” इसकी राजधानी थी जिसकी स्थापना “राजा विशाल” ने की थी।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

=बैशाली के लिछवी[संपादित करें]

इसकी स्थिति मुज़्ज़फ़रनगर थी। यहाँ का राजा चेटक था। इसकी पुत्री चेल्लना का विवाह मगघ नरेश बिम्बिसार के साथ हुआ था। आम्रपाली यहाँ की गणिका थी।

कुशीनारा के मल्ल[संपादित करें]

यहाँ पर गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था।

पावा के मल्ल[संपादित करें]

यह महावीर स्वामी जी का म्रत्यु स्थल था।


सन्दर्भ[संपादित करें]