चन्द्रावती लखनपाल

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श्रीमती चन्द्रावती लखनपाल (२० दिसम्बर १९०४ -- ३१ मार्च १९६९) एक स्वतंत्रता सेनानी, आर्यसमाज कार्यकर्ता, शिक्षाशास्त्री तथा लेखिका थीं। वे राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। आप सत्यव्रत सिद्धांतालंकार की पत्नी थीं।

चन्द्रावती लखनपाल का जन्म १९०४ में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में हुआ था।[1] उन्होने १९२६ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया। 15 जून 1926 को आपका विवाह समाजसेवी विद्वान सत्यव्रत सिद्धान्तालङ्कार के साथ हुआ। इनके प्रोत्साहन से इन्होने अंग्रेजी से एम ए भी किया। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय आपने शराबबन्दी और स्वदेशी का प्रचार किया। १९३२ में उन्हें संयुक्त प्रान्तीय राजनैतिक सम्मेलन की नेत्री चुना गया। सम्मेलन के लिए जब वे आगरा पहुँचीं तो 20.06.1932 को आगरा में गिरफ्तार कर लीं गयीं। उन्हें 1 साल की सजा हुई।

1934 में चन्द्रावती जी को “स्त्रियों की स्थिति“ ग्रन्थ पर सेकसरिया पुरस्कार तथा 1935 में उन्हें “शिक्षा मनोविज्ञान” ग्रन्थ पर महात्मा गांधी के सभापतित्व में मंगलाप्रसाद पारितोषिक दिया गया।

2 जुलाई 1945 को आप कन्या गुरुकुल, देहरादून की आचार्या पद पर नियुक्त हुईं।

अप्रैल 1952 में राज्यसभा की सदस्या चुनी गईं और 10 वर्ष तक इस पद पर रहीं।

असहाय महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए १९६४ में अपनी सम्पूर्ण आय दान देकर उन्होने एक ट्रस्ट की स्थापना की।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]