गिरेबान

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इस चित्र में माओ से-तुंग के परिधान का गिरेबान देखा जा सकता है।

परिधान में, गिरेबान शर्ट, ड्रेस, कोट या ब्लाउज़ का वह हिस्सा होता है जो गर्दन के चारों ओर बांधता है। गिरेबान किसी परिधान के मुख्य भाग से स्थायी रूप से जुड़ा हो सकता है (उदाहरण के लिए सिलाई द्वारा) या अलग किया जा सकने वाला हो सकता है।

गिरेबान का भारतीय संस्कृति में बहुत पवित्र महत्त्व है। किसी का गिरेबान पकड़ना किसी व्यक्ति की इज़्ज़त उतारने के बराबर समझा जाता है।[1] इसके ऊपर कई मुहावरे विकसित हुए हैं, जैसे "अपने गिरेबान में झाँकना", आदि।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Singh, Balvant (1977). Caka Pīrām̐ kā Jassā. Rājakamala Prakāśana. अभिगमन तिथि 29 मार्च 2024.
  2. Mahrotra, Rameshchandra (2009). Manak Hindi Ke Shuddh-Prayog (Vol-2 of 4). Radhakrishna Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7119-470-4. अभिगमन तिथि 29 मार्च 2024.