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गंगा जमुना सरस्वती (1988 फ़िल्म)

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गंगा जमुना सरस्वती
चित्र:गंगा जमुना सरस्वती.jpg
गंगा जमुना सरस्वती का पोस्टर
निर्देशक मनमोहन देसाई
अभिनेता अमिताभ बच्चन,
मिथुन चक्रवर्ती,
जयाप्रदा,
मीनाक्षी शेषाद्रि,
निरूपा रॉय,
अमरीश पुरी,
भारत भूषण,
जैक गौड़,
गोगा कपूर,
प्रदर्शन तिथि
1988
देश भारत
भाषा हिन्दी

गंगा जमुना सरस्वती 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है।

संक्षेप

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मुख्य कलाकार

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1988 मे 23 दिसंबर को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हुई फिल्म“गंगा जमुना सरस्वती” कुछ बदलावों के कारण बुरी तरह फ्लॉप रही थी। ये मसाला मूवीज के मास्टर डायरेक्टर कहे जाने वाले मनमोहन देसाई की आखिरी निर्देशित फ़िल्म थी । इस फ़िल्म के कंपलीट होने से पहले ही मनमोहन देसाई ने फ़िल्म इंडस्ट्री से अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। कादर ख़ान ने इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट तीन अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और ऋषि कपूर को ध्यान में रखकर लिखी थी। ये तीनों अभिनेता इस सीक्वेल के लिए फाइनल भी हो गए थे लेकिन ऐन मौके पर जितेंद्र कुछ पर्सनल कारणों के चलते इस फ़िल्म से बाहर हो गए। जितेंद्र के बाहर जाते ही उनकी जगह मिथुन चक्रवर्ती आ गए। मिथुन चक्रवर्ती उस वक्त काफ़ी बड़े स्टार बन चुके थे और वो पहली बार इस फ़िल्म के जरिए मनमोहन देसाई के साथ काम करने जा रहे थे। सब ठीक चल रहा था , “अमर अकबर एंथोनी 2” में अमिताभ बच्चन का गंगा राम, मिथुन का जमना दास और ऋषि कपूर का सरस्वती चंद्र कैरेक्टर फिक्स कर दिया गया था और फ़िल्म की शूटिंग भी शुरू हो गईं थी। 12 जुलाई 1985 को इसके टाइटल सॉन्ग का मुहूर्त हो गया था मनमोहन देसाई ने अब प्रयागराज की लिखी नई स्क्रिप्ट पर फ़िल्म बनाने का फैसला किया और “गंगा जमुना सरस्वती” नाम की नई फ़िल्म का जन्म हुआ। “हिफाजत” वाला पाकिस्तानी कव्वाल वाला रोल इस फ़िल्म में शंकर कव्वाल नाम से मिथुन के लिए लिखा गया। अमिताभ बच्चन को गंगा प्रसाद, मीनाक्षी शेषाद्री को जमुना और जया प्रदा को सरस्वती का किरदार मिला। जब ये सब हुआ तब ऋषि कपूर को बिना बताए मनमोहन देसाई ने उनका रोल उड़ा दिया जिससे ऋषि कपूर बहुत नाराज़ हुए क्यों कि मनमोहन देसाई के साथ वो काफी पहले से काम करते आ रहे थे। इस फ़िल्म की बाकी स्टार कास्ट में त्रिलोक कपूर, निरूपा रॉय, अमरीश पुरी, महेश आनन्द, जैक गौड़, अरुणा ईरानी, भारत भूषण, गोगा कपूर आदि थे।फ़िल्म के कंपलीट होने पर जब मिथुन चक्रवर्ती ने ये मूवी देखी तो फ़िल्म में अपना रोल देखकर मिथुन के होश उड़ गए। मिथुन को स्क्रिप्ट में जो रोल ऑफर किया गया था और उन पर जो सीन फिल्माए गए थे वो फ़िल्म के फाइनल प्रिंट से गायब थे। मुख्य भूमिका वाले मिथुन का रोल फ़िल्म में सहायक कलाकार का बन कर रह गया । फिल्म में पूरा फोकस अमिताभ बच्चन पर रखा गया। इस बात से मिथुन चक्रवर्ती बहुत नाराज़ हुए और उन्होंने फ़िल्म की डबिंग करने से मना कर दिया और फ़िल्म का प्रमोशन में भी हिस्सा नहीं लिया। मनमोहन देसाई ने बाकी बचे दृश्यों की डबिंग सिंगर सुदेश भोंसले से करवाई जो बहुत अच्छे डबिंग आर्टिस्ट भी है । फिल्म का सिनेमाघरों में जो वर्जन रिलीज़ हुआ था उसमें मिथुन के कुछ दृश्यों को छोड़कर सुदेश भोंसले की डब की ही आवाज थी। कुछ समय बाद फ़िल्म का जो डीवीडी वर्जन रिलीज़ हुआ उसमें आश्चर्यजनक रूप से डब आवाज़ नही होकर मिथुन की ख़ुद की आवाज़ दी। अब गौर करने वाली बात ये है कि अगर मिथुन ने डब कर दिया था तो मेकर्स ने दूसरे आर्टिस्ट से डबिंग वाला वर्जन क्यों रिलीज किया। कही कही पढ़ने में आता है कि मिथुन ने बाद में सिर्फ़ अमिताभ बच्चन के कहने पर ये फिल्म डब की थी। “गंगा जमुना सरस्वती” के लिए अनु मलिक ने सारे वर्जन मिलाकर कुल 10 गाने तैयार किए थे । इस फ़िल्म के गीत इंदीवर के साथ प्रयागराज ने लिखे थे । फ़िल्म का म्यूज़िक बढ़िया था और हिट भी हुआ था। इस फ़िल्म के कुछ हिट सोंग थे “साजन मेरा उस पार है” ,”चूड़ियां खनकी, खनकाने वाले आ गए” ,”एक एक हो जाए फिर घर चले जाना”,”तेरे दर को छोड़ चले” ,”डिस्को भांगड़ा” आदि। पहले ये गाना मिथुन चक्रवर्ती की डांस इमेज को ध्यान में रखकर बनाया गया था और उन पर फिल्माया जाना था लेकिन बाद में इसको अमिताभ बच्चन पर माइकल जैक्सन स्टाइल में फिल्माया गया। जैक्सन की नकल करते हुए बहुत अजीब लगते हैं। जब फ़िल्म बॉक्सऑफिस पर रिलीज़ हुई तो इसको बढ़िया ओपनिंग लगी थीं । ये फ़िल्म उस वक्त लगभग 270 स्क्रीन्स पर रिलीज़ हुई थी । मुम्बई टेरिटरी के पहले हफ्ते के कलेक्शन लगभग 95% तक रहे और फ़िल्म ने मुम्बई में पहले हफ्ते में लगभग 12 लाख का बिजनेस किया। फ़िल्म की पब्लिक रिपोर्ट बहुत खराब आई और दूसरे हफ्ते में इस फ़िल्म के कलेक्शन मुंबई में 95% से गिरकर 30% तक रह गए। दिल्ली पंजाब टेरिटरी को छोड़कर बाकी में भी फ़िल्म का ये ही हाल था। ये अमिताभ बच्चन का डाउनफॉल था । डिस्ट्रीब्यूटर्स ने लगभग 75 लाख रू देकर इस फ़िल्म को पर टेरिटरी खरीदा था क्यों कि इसमें अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती जैसे बड़े नाम थे और मनमोहन देसाई निर्देशक थे। दूसरे हफ्ते में ही औंधे मुंह गिरी। डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उस वक्त की एक रिपोर्ट के हिसाब से फ़िल्म की रिलीज़ के साथ ही इसकी लगभग 50 हजार वीडियो कैसेट मार्केट में आ गई थीं इसलिए दर्शक थिएटर नहीं गए। इस फ़िल्म के बॉक्सऑफिस पर बुरा परफॉर्म करने का असर मनमोहन देसाई के बेटे केतन देसाई की अगली रिलीज “तूफान” पर भी पड़ा । “तूफान” पहले फरवरी 1989 में रिलीज हो रही थीं लेकिन इस फिल्म की असफलता ने उस फ़िल्म की रिलीज डेट आगे खिसकवा और फिर वो फिल्म अगस्त 1989 में रिलीज हुई और तब भी फ्लॉप रही। 1989 में अमिताभ बच्चन की कई फिल्मस “गंगा जमुना सरस्वती” के बाद लाइन से फ्लॉप हुई थीं। इस फिल्म का प्रोडक्शन दोयम दर्जे का था। देसाई की पिछली मूवीज जैसे सारे मसाले तो इसमें मौजूद थे लेकिन प्रोडक्शन वैल्यू बहुत घटिया लेवल की थी । कई दृश्यों की ढंग से एडिटिंग भी नहीं की गई थी। कई दृश्य ओरिजनल लोकेशन की बजाए स्टूडियो में उनका सैट लगाकर शूट किए गए थे । प्रवीण भट्ट की सिनेमेटोग्राफी भी खराब थी। कुछ सीरियस सीन तो फ़िल्म में उस वक्त के हिसाब से भी खासकर वो सीन जिसमे अमिताभ बच्चन अपनी पीठ पर मगरमच्छ बांधकर लाते हैं । कुल मिलाकर ये आधे मन से बनाई गई फ़िल्म थी और इसका रिजल्ट भी वही रहा। तथ्य ==

बौक्स ऑफिस

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समीक्षाएँ

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नामांकन और पुरस्कार

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बाहरी कड़ियाँ

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