क्रिकेट में सट्टेबाजी विवाद

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क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों द्वारा सट्टेबाजी में लिप्त होने से संबंधित कई विवाद सामने आ चुके हैं। विशेष रूप से, कई खिलाड़ियों से सट्टेबाजों ने संपर्क कर उन्हें मैच गंवाने के लिए, मैच के किसी पहलू (उदाहरणतः टॉस) से सम्बंधित जानकारी अथवा अन्य जानकारी देने के लिए रिश्वत दी है।

1999-2000 का भारत और दक्षिण अफ्रीका का मैच फिक्सिंग कांड[संपादित करें]

सन् 2000 में दिल्ली पुलिस ने एक ब्लैकलिस्टेड सट्टेबाज और दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए के बीच के संवाद को पकड़ा जिसके द्वारा उन्हें यह पता चला की क्रोनिए ने क्रिकेट मैच को गंवाने के लिए रिश्वत ली है।[1][2] दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने अपने किसी भी खिलाड़ी को भारतीय जांच इकाई के सामने पेश करने से मना कर दिया। मामले की जांच के लिए एक अदालत बैठाई गयी जिसमें क्रोनिए ने मैच गंवाने की बात स्वीकार की। उन्हें सभी प्रकार के क्रिकेट मैच खेलने से तुरंत प्रतिबंधित कर दिया गया। उन्होंने सलीम मलिक (पाकिस्तान), मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा (भारत) का भी नाम लिया।[3] जडेजा पर 4 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। सलीम मलिक और मोहम्मद अजहरुद्दीन को भी सभी तरह के क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया गया। एक सरगना के रूप में, क्रोनिए ने बल्लेबाजी का काला पक्ष उजागर किया, हालांकि 2002 में उनकी असामयिक मौत के साथ उनके अधिकाँश स्रोत भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के घेरे में आने से बच गए। दो दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर, हर्शल गिब्स और निकी बोए, को भी दिल्ली पुलिस ने मैच फिक्सिंग प्रकरण में उनकी भूमिका के लिए अपेक्षित व्यक्तियों के रूप में सूचीबद्ध किया था।

अन्य विवाद[संपादित करें]

घोटालों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के द्वारा 'मार्क वॉ और शेन वार्न पर "सट्टेबाज जॉन" को मौसम और पिच की सूचना देने के लिए जुर्माना लगाना भी शामिल है।[4] इस मुद्दे पर रॉब ओ'रीगन ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला कि, क्रिकेटरों को सट्टेबाजों के साथ बातचीत करने पर होने वाले नुकसानों की जानकारी नहीं है, तथा हालांकि वॉर्न या वॉ को कोइ भी सजा नहीं दी जा रही है, परन्तु भविष्य में खिलाड़ियों को सजा ना सिर्फ जुर्माने के रूप में दी जायेगी, बल्कि निलंबन के रूप में भी दी जायेगी.[5]

आईसीसी ने अपनी प्रतिक्रिया देने में समय लगाया, परन्तु अंततः 2000 में सर पॉल कांडों, भूतपूर्व लन्दन महानगर पुलिस के मुखिया, के नेतृत्व में एक भ्रष्टाचार निरोधक और सुरक्षा इकाई की स्थापना की। इनका यह दावा है कि इन्होने क्रिकेट में भ्रष्टाचार को न्यूनतम स्तर पर ला दिया है।

2010 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के इंग्लैण्ड दौरे के दौरान हुए चौथे टैस्ट मैच के सम्बन्ध में, इंग्लैण्ड के एक अखबार न्यूज़ ऑफ दा वर्ल्ड ने एक खबर छापते हुए यह आरोप लगाया की मजहर मजीद और कुछ अन्य पाकिस्तानी खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग में शामिल थे।[6][7]

लोकप्रिय संस्कृति में[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • मैच फिक्सिंग की वजह से प्रतिबंधित क्रिकेटरों की सूची
  • 2010 में पाकिस्तान क्रिकेट का स्पॉट फिक्सिंग विवाद

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "यह मात्र क्रिकेट नहीं है". मूल से 8 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2011.
  2. "छपे के बाद दो और क्रिकेट के सट्टेबाज फरार हो गए". मूल से 10 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2011.
  3. "'अजहरुद्दीन ने सट्टेबाज एम.के. गुप्ता के लिए मैच फिक्स किया। ..'". मूल से 8 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2011.
  4. "Findings of the O'Regan Player Conduct Inquiry". February 24, 1999. मूल से 29 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-11-09.
  5. "ACB Player Conduct Inquiry Report". मूल से 21 फ़रवरी 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-11-09.
  6. "Our team will throw two ODIs". मूल से 2 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2011.
  7. "'Pak players were in touch with bookies during T20 WC'". मूल से 31 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2011.

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