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कम्प्यूटर की परिभाषा[संपादित करें]

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं जो-
  • निर्देषों के समूह के नियंत्रण में डाटा या लक्ष्य पर क्रिया करके जनित करता हैं।
  • या मानव द्वारा प्रदत्त डाटा /सूचनाओं को स्वीकार करता हैं।
  • इनपुट संग्रह या स्टोर करके निर्देषों को क्रियान्वित करता हैं।
  • गणितीय क्रियाओं व तार्किक क्रियाओं को क्रियान्वित करता हैं।
  • मानव की आवश्यकता नुसार आउटपुट या परिणाम देता है।

कम्प्यूटर का इतिहास[संपादित करें]

कम्प्यूटर के इतिहास को निम्न चरणों में वांटा गया हैं जो इस प्रकार हैं।

  • ऐबैकस :- यह सबसे पुराना केलकुलेटर डिवाइज हैं। चीन तथा मिस्र के निवासी दोनो ही इसके जनक होने का दावा करते हैं। इसके कुछ पतली छड़ें होती हैं जिनमें कुछ दाने (बीड्स) लगे होते हैं। इन बीड्स के द्वारा हम साधारण गुणा-भाग जैसे कर सकते हैं। हालाकि यह काफी पुराने हैं, फिर भी इनमें तेजी से काम किया जा सकता हैं। चीन एंव जापान में आज भी इसका प्रयोग हो रहा हैं। जिसके द्वारा बनाया गया है। जिसे उन्होंने १९५८ के एक मैनुअल में प्रकाषित किया था।
  • ब्लेज् पासकल -६२ :-यह फांसीसी गणितिज्ञ थे। जिन्होने १६४२ में पासकल केलकुलेटिंग मशिन नाम की मशिन बनाई। यह सही मापने में पहला मशिन केलकुलेटर था। इसमें जोड़ घटाना और गुणा हो सकता था। इसके अंदर एक गियरों की श्र्‌खाला थी जिसमें ८ घूमने वाले पहिये थे यही सिद्वांत आज कारों के स्पीडोमीटर बनाने में काम आता हैं।
  • लीबनिट्ज :- इन्होंने १६७१ में एक मशिन बनायी जो कि जोड़. घटाना. गुणा. भाग कर सकती थी। यह स्कूयर रूट भी केलकुलेट कर सकती हैं।
  • जोजफ जैक्वार्ड १७५२-३४ :- यह रेशम काटने वाले के बेटे थें। १७९० में इन्हें एक ५० साल पुराना लुम ठीक करने के लिए दिया गया जिससे इनको रेशम उत्पादन में मषीनीकरण की राह मिली।

१८०१ में इन्होने एक लूम बनाया जिससे कुछ पंच्डकार्ड की श्र्‌खाला थी। इसके द्वारा कपड़े पर बनने वाले डिजाइन को नियंत्रित किया जा सकता था। फिर इन्होंने एक मषीन बनाई जिसमें पंच्ड कार्ड को जोड़कर मानवरहित प्रकिया के द्वारा सम्पूर्ण डिजाइन बनाया जा सकता था। उनकी इस मषीन को बुनकरों ने बेरोजगारी के डर से तोड़ दिया।

  • चार्ल्स बैबेज :- इन्हे कम्प्यूटर का जनक कहा जाता हैं लेडी एगुसता एदा लवलेस ने इस मषीन के लिए कम्प्यूटर प्रोगाम लिखा था जिस कारण इन्हें विश्व का सर्वप्रथम प्रोग्रामर माना जाता हैं। १९७९ में इनके सम्मान में एक कम्प्यूटर भाषा का नाम पर गया हैं।

सन् १८२२ में बैबेज ने विभिन्न इंजन की परिकल्पना की जो ऑटोमेटिक्ली गणितीय टेवल केलकुलेट कर सकती थी। यह पहला उपकरण था जो कि आज के कम्प्यूटर से मेल खाता हैं। इसके पष्चात् उन्होने एक एनॉलाटिकल इंजन का भी सुझाव दिया जिसमें जेकोर्ड के पंच्ड कार्ड का प्रयोग किया गया था। यह मषीन पुरानी गणानाओं के आधार पर निर्णय ले सकती थी। इसमें आधुनिक कम्प्युटर के गुण जैसे ब्रांचिंग तथा लोरिंग का भी उपयोग हुआ था।

  • मेटकाफ :- लेफटिनेंट मेंटकल अपनी कम्पनी का कोस्ट एकाउंट सिस्टम री-ओंगेनाइज कर रहे हैं। उन्होने पाया कि रिकार्ड डिपाटमेंटों के द्वारा लेजर में रखे गये थें अतः डोटा को खोजना तथा उससे रिपोर्ट बनाना काफी थकाने वाला तथा कठिन कार्य था। उन्होने लाइब्रेरी के सिस्टम का पालन करते हुये कुछ रिकार्ड लेजर से कार्ड में स्थांनातरित कर दियें। इससे कार्डो को मेनेंज करना-क्रमवार लगाना सारांष तैयार करना तथा डेटा को अपडेट करना काफी आसान हो गया। ऐसे ही सिस्टम का आज के कम्प्यूटरीकृत इंफोरमेंषन ने रिकार्ड का प्रयास विकसित किया जो आज भी चलन में है।
  • हरमन होलरिथ :- अमेरिका अविष्कार होलरिथ को पंच्ड कार्ड का डाटा प्रोसेसिंग में प्रयोग करने वाला पहला व्यक्ति माना जाता हैं। होलरिथ की मषीन कई सांख्यायिकी संबंधित कायोर्ं में अव्वल पायी गयी और कुछ तकनीके डीजिटल कम्प्यूटर के निर्माण में सहायक रही। फरवरी १९२४ में उनकी कम्पनी का नाम आई बी एम अर्थात इंटरनेषनल बिजनिस मषीन हो गया।
  • जार्ज बूल १८१५-६४ :- १९वी सदी में बोटम एलजेवरा विकसित किया गया जिससे मषीनों का नंवर मात्र का स्वरूप बदल गया। गणित की ये तकनीक बूल ने इजाद की दृ जिससे बाइनरी डिजिट का हमारी भाषा से सीधा संबंध स्थापित हो गया। उदाहरण के लिए ÷०÷ की बैल्यू गलत तथा ÷१÷ की बैल्यू सही से जुड़ गयी। बूल कभी भी स्कूल में पढ़ने नहीं गये उनके कार्य गणितीय विष्लेषण और इंवेस्टीगेंषन के द्वारा बोलम ऐलजेबरा जिसे हम बोलम लोजिक भी कहते हैे। अस्तित्व में आया।

डाटा क्या हैं ? ;ूींज पे कंजंद्ध असिद्व तथ्य.;ंिबजेद्धएअंक और सांख्यिकी ;ेजंजपेजपमेद्ध का समुह जिस पर प्रक्रिया करने से अर्थपूर्ण सूचना प्राप्त होती हैं डाटा कहलाता हैं।

उदाहरणार्थ :- किसी कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों के नाम और उनकी उपस्थितियों की संख्या को प्रदत्य या डाटा कह सकते है। किसी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियो के नाम, परीक्षा के प्रांप्तांक के रोंल नम्बर आदि भी डाटा कहलाते है। प्रक्रिया क्या है ? ;ूींज पे चतवबमेपदह द्ध डाटा, जैसे - अक्षर, अंक, साख्यिकी या चित्र को सुव्यवस्थित करना या उनकी गणना करना प्रक्रिया कहलाती। डाटा को संकलित कर, जॉचा जाता हैं और किसी क्रम में व्यवस्थित करने के बाद संग्रहित कर लिया जाता है। इसके बाद इसे विभिन्न व्यक्तियों को भेजा जाता है।

प्रक्रिया में निम्नलिखित पदों का समावेष होता है :-

  1. गणना :- जोड़ना, घटाना, गुणा करना एंव भाग देना।
  2. तुलना :- बराबर, बड़ा, छोटा, षून्य, धनात्मक एंव ऋण।
  3. निर्णय लेना :- किसी शर्त के आधार पर विभिन्न अवष्थाएं।
  4. तर्क :- आवष्यक परिणाम को प्राप्त करने के लिए पदों का क्रम।
  5. प्रकिया :- केवल सख्याओं की गणना को ही प्रकिया नहीं कहतें हैं, कम्प्यूटर की सहायता से दास्तावेजों में त्रुटियॉ ढूॅढना, लिपि को व्यवस्थित करना आदि भी प्रकिया कहलाती हैं।

कम्प्यूटर की पीढ़ीयां ;हमदमतंजपवद वि बवउचनजमतद्ध :-

  • प्रथम पीढ़ी १९४५-१९५९ :- इस पीढी में म्छप्। ब् ;म्समबजतवदपबए दनउमतपबए पदजमहतंजवतद्ध थे, इस पीढ़ी में १८०० वैक्यूम ट्यूवें लगी होती हैं,

विषेषताएं[संपादित करें]

  1. इस पीढ़ी के कम्प्यूटर की सबसे बड़ी विषेषता हैं कि इसमे प्रथम बार इलेक्ट्रान ट्यूव का प्रयोग किया गया।
  2. अपने आकार -प्रकार में यह कम्प्यूटर अत्यन्त विषालकाय था लगभग १४० वर्ग मीठर का स्थान घेरता था।
  3. इसमे आकड़ों की संग्रहण क्षमता बहुत कम होती हैं।
  4. इनके परिणाम भी बहुत अधिक विष्वसनीय नहीं होते थे।
  5. इन विषालकाय कम्प्यूटरों के रख-रखाव की प्रकिया भी अत्यन्त कठिन थी इनके लिए वातानुकूलन की आवष्यकता होती हैं, क्योंकि यह अत्यधिक ताप बाहर की तरफ फेंकते थे।
  • द्वितीय पीढ़ी १९५९-६५ :- इस पीढी में वैक्यूम ट्यूव के स्थाना पर ट्राजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा, ट्राजिस्टर के कारण कम्प्यूटर के आकार छोटा, लागत कम, गर्मी व वातानुकूलित वातावरण की आवष्यकता अपेक्षाकृत कम हो गई।

उदाहरण :- हनीवेल-२००, आई. बी. एम. -१४०१, सी.डी.सी.-१६०४ आदि।

  • तृतीय पीढ़ी १९६५-७२ :- कम्प्यूटर की तृतीय पीढ़ी का आरम्भ सन् १९६५ में हो गया। इस समय कम्प्यूटर ने यांत्रिक आधार पर काफी विकास किया। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में न तो ट्यूव का प्रयोग किया गया। और न ट्रॅाजिस्टर का बल्कि अब कम्प्यूटर निर्माण में इन्टिग्रेटेड सर्किट का प्रयोग होने लगा जिससे इसकी विष्वसनीयता बढ़ गई। इसमें पहली बार ऑपरेटिेग सिस्टम का प्रयोग होने लगा था। उदाहरण :- आई.बी.एम. -३५०, एन.सी.आर.-३६५
  • चतुर्थ पीढ़ी १९७५-७९ :- १९७२ से १९७९ के समाप्त होने पर इस पीढ़ी का विकास हुआ इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में तकनीेकी प्रगति के साथ विकसित हो गए। इस समय कम्प्यूटरों में माइक्रो -प्रोसेसर का निर्माण हुआ जिसमें अनेक छोटे -छोटे चिप को मिलाकर एक बड़ा चिप बना दिया गया। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में आई.सी. के विकसित प्रारूप वृद्ध सर्किट टस्ैप्ब् ;अमतल संहम ेबंसम पदजमहतंजमक बपतबनपजद्ध तकनीकी का प्रयोग होना षुरू हो गया।
  • पंचवी पीढ़ी १९८०-अवतक :- इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में क्रत्रिम बुद्धिमता पैदा करने का प्रयास किया गया, यानि, स्यंम निर्णय लेने की क्षमता का विकास। सुपर कम्प्यूटर पंचम पीढ़ी का उदाहरण हैं।

इस पीढ़ी में आर्टीफिसियल इनटेलीजेंस का उपयोग किया गया है ं कम्प्यूटर की भाषा क्या हैं ;ूींज पे बवउचनजमत संदहनंहमेद्ध

  • कम्प्यूटर की भाषा:- प्रत्येक कम्प्यूटर भाषा के निर्देषों को लिखने के अपने नियम होते हैं। कम्प्यूटर भाषा को प्रोग्रामिंग भाषा भी कहते हैं। किसी कार्य को करने के लिए कम्प्यूटर भाषा या प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गये वाक्य या वाक्यांष को निर्देष कहते हैं प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गये निर्देषों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं। कम्प्यूटर भाषाओं को दो भागों में बांटा गया हैं।
  1. निम्नस्तरीय भाषा ;स्वू समअमस संदहनंहमद्ध
  2. उच्चस्तरीय भाषा ;भ्पही समअमस संदहनंहमद्ध
  • निम्नस्तरीय भाषा :- इन्हें पुनः दो श्रेणियों में बांटा गया हैें।
  • मषीनी भाषा ;डंबीपदम संदहनंहम द्ध
  • असेम्बली भाषा ;।ेमउइसमल संदहनंहम द्ध
  • मषीनी भाषा:- यह कम्प्यूटर जगत की प्रथम भाषा हैं। इस भाषा में मषाीन लैंग्वेज में प्रोग्रामर द्वारा निर्देष बाइनरी कोड में दिये जाते हैं, अर्थात ० या 1 में, अतः मषीन भाषा का सारा कोड ० तथा 1 का सम्मिश्रण हैं। इस बजह से मषाीन भाषा पर कार्य करने हेतु उच्च स्तर की दक्षता की आवष्कयता होती हैं, चूँकी प्रत्येक षब्द तथा प्रत्येक अंक को बाइनरी कोड करना पड़ता हैं।

मषीन भाषा सबसे लो -लेबल की कम्प्यूटर भाषा हैं।

  • असेम्बली भाषा :- असेम्बली भाषा को कम्प्यूटर की दूसरी पीढ़ी की समयाधि में विकसित किया गया हैं। यह वर्ग मषीन भाषा के बाद आया, असेम्बली भाषा में न्यूमेरिक का प्रयोग किया गया जाता हैं इस कारण से इसे समझना मषीन भाषा के मुकाबले आसान हैं। असेम्बली का प्रयोग करते हैं, प्रत्येक सी.पी.यू. के लिए असेम्बली भाषा अलग होती हैं, अतः एक कम्प्यूटर के लिए लिखे गये असेम्बली भाषा प्रोग्राम दसरे कम्प्यूटर पर नहीं चलेगा।
  • भ्पही समअमस संदहनंहम रू. उच्चस्तरीय भाषा के प्रोग्राम को मषीनी भाषा में अनुबादित करने वाले, प्रोग्राम अनुबादक प्रोग्राम कहलाते हैं, अनुवादक प्रोग्राम दो प्रकार के होते हैं। इसके द्वारा कोड को मषीनी भाषा में बदल जाता हैं। जिस पर कम्प्यूटर फिर कार्यवाही करता है।
  • इंटरप्रेटर:- वे अनुवादक जो उच्चस्तरीय भाषा के प्रोग्राम के एक-एक निर्देष को बारी-बारी से मषीनी भाषा में अनुवादित करके क्रियान्वित करते हैं,