सराईकिला रियासत

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

ब्रिटिश शासन काल में भारत में 560 से अधिक देशी रियासतें थी इनमें से संयुक्त बिहार (झारखंड विभाजन से पूर्व) में मात्र दो देशी रियासतें सरायकेला एवं खरसावां थे। सरायकेला रियासत की स्थापना पोरहाट के सिंहवंशी राजा अर्जुन सिंह के पुत्र विक्रम सिंह ने की थी जिसमें 10 गांव शामिल थे, सरायकेला रियासत का अंग्रेजों के साथ सबसे पहले 1770 ईस्वी में संपर्क स्थापित हुआ, 1793 ईस्वी में सरायकेला के राजा एवं अंग्रेजों के बीच एक संधि की गई थी। अंग्रेजों ने 1803 ई के आंग्ल -मराठा युद्ध में सरायकेला के राजा अभिराम सिंह को अंग्रेजो की सहायता करने पर वार्षिक कर माफ करने का प्रस्ताव दिया था। 1820 ईस्वी में सरायकेला के राजा की सहायता से तमाड़ के विद्रोही नेता रुदन सिंह को गिरफ्तार किया गया। 1857 ई के संग्राम में सरायकेला के राजा ने अंग्रेजों की सहायता की थी इसके बदले अंग्रेजों ने सरायकेला के राजा को पोरहाट राज्य का एक हिस्सा सरायकेला प्रदान किया और 1899 ईस्वी में अंग्रेजों ने सरायकेला को रियासत के रूप में मान्यता प्रदान की। 1947 ईस्वी में देश की स्वतंत्रता के बाद सरायकेला भारत संघ का अंग बन गया और सरायकेला रियासत का अंतिम शासक राजा आदित्य प्रताप सिंह देव 18 मई 1948 को भारत के विलय समझौता पत्र में हस्ताक्षर किया था। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद सरायकेला बिहार राज्य में शामिल किया गया। 2000 ई से सरायकेला झारखंड राज्य का भाग है एवं सरायकेला और खरसावां दोनों रियासत को मिलाकर 30 अप्रैल 2001 को 22 वां जिला सरायकेला-खरसावां के नाम से गठित किया गया जो कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आता है