सदस्य वार्ता:Dr shobha Bhardwaj

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भारत में लोकसभा चुनाव ,चुनावी हथकंडे ,चुनाव जीतने के तरीके बदलते जा रहे हैं |डॉ शोभा भारद्वाज[संपादित करें]

2024 लोकसभा चुनाव ,चुनावो का सीजन चल रहा है सात चरण में चुनाव हो रहे हैं एक जून को आखिरी चरण 4 जून को नतीजे चुनाव जीतने के तरीके अब पहले जैसे नहीं रहे चुनाव आयोग की कोशिश रही है निष्पक्ष रूप से चुनाव कराये जा सकें , धन का अपव्यय न हो इससे योग्य व्यक्ति चुनाव लड़ने की हिम्मत कर सके | लेकिन चुनाव वहुत महंगे हो चुके हैं जम कर काला धन बहाया जाता है उम्मीदवारों की नजर में पैसा, पैसा होता है न काला न सफेद उद्देश्य चुनाव जीतना है टिकट मिलने के बाद नामांकन के लिए ऐसे शानो शौकत से जाते हैं जैसे विजय जलूस, खुली जीप या ट्रकों पर सजाये गए मंचों पर उम्मीवार अपने एरिया की जनता को हाथ जोड़ते एवं हाथ हिलाते हुए निकलते हैं उनके साथ कार्यकर्त्ताओं की लम्बी भीड़ फूल बरसाती है गाड़ियों की लम्बी कतारों का काफिला घरों की छतों घर की बालकनी पर तमाशा देखने वाले नजारा देखते हैं दर्शक चटकारे लेकर चर्चा करते रहते हैं |

विशाल रोड शो किसी दल का आठ मील तो किसी का बारह मील ,कई मील लम्बे काफिले के साथ नामांकन भरनें जाना आज का चुनावी प्रोपगंडा है सड़को पर भारी जाम से त्रस्त लोग घंटो जाम खुलने का इंतजार करते हैं | चुनावी रैलियों में दूर दराज से लोगों को गाड़ियों एवं बसों में भर कर लाया जाता है रैलियों में भीड़ देख कर हैरानी होती है इतनी भीड़ लाई कैसे जाती है क्या जनता के पास अपना काम नहीं है ?स्पष्ट है ज्यादातर दिहाड़ी देकर भीड़ लाई गयी है ?भीड़ क्या वोट में परिवर्तित हो सकेगी इसकी गारंटी नहीं है | नेताओं के भाषण के लिए शानदार ऊंचे मंच बनाये जाते हैं मंच पर अपनी सूरत दिखाने के लिए कार्यकर्ता बेचैन रहते हैं कई बार मंच ही टूट जाता है मंच पर सम्मानीय मुख्य वक्ता के गले में उनके वजन से भी बड़ा फूलों का हार पहना कर पहनाने वाले भी अपना चेहरा दिखाने की कोशिश करते हैं फोटो सेशन होता है |

भाषणों के दौरान प्रतिद्वंदी पार्टियों और नेताओं पर बिना प्रूफ के आरोप प्रत्यारोपों की झड़ी लगाना, बिना सोचे समझे ऐसे बोल बोलना जैसे एक दूसरे के दुश्मन आमने सामने खड़े हैं , नये सूत्र गढ़े जाते हैं जैसे ही अपमान करने वाले शब्द बोले जाते हैं मीडिया की सुर्ख़ियों में चा जाते हैं पक्ष विपक्ष में बहस कराई जाती है विवादित बोल मीडिया की हेड लाइन बन जाते हैं प्रोपगंडा शुरू हो जाता है उम्मीदवार के पक्ष में लहर हो जाती है |


मुस्लिम समाज मुस्लिम नेताओं के लिए अपनी नेतागिरि चमकाने की सीढ़ी उन्हें समझाया जाता है वही उनके सच्चे हित चिंतक है अपना वोट बटने नहीं देना है मुस्लिम कार्ड खेलना पहले कांग्रेस अपना अघिकार समझती थी अब अन्य दल सपा ,बसपा और आरजेडी ( माई मुस्लिम एवं यादव ) ने वोट बैंक में सेंध लगा ली कई मुस्लिम नेता भी अपनी पार्टियाँ बना कर मुस्लिम समाज को एक जुट कर रहे हैं | ओबेसी भी मुस्लिम समाज के हमदर्द बन कर बड़े – बड़े डायलाग बोल कर मुस्लिम समाज के बल पर राष्ट्रीय नेता बनने के इच्छुक हैं| भाजपा को मुस्लिम विरोधी दल करार किया जा रहा है उनका अपना तर्क है हमें मुस्लिम वोट नहीं देते हम सबका विकास सबको साथ लेकर चलते हैं ,विकास में सबकी हिस्सेदारी होती है मुस्लिम महिलाओं के हित में तीन तलाक प्रथा के खिलाफ हमने कानून बनाया |मुस्लिम समाज का तर्क है आप हिन्दू मुस्लिम करते हो इससे वैमनस्य बढ़ता हैं | मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग भी अधिकांशतया मौन रहता है वह बच्चों के कैरियर बनाने पर ध्यान देता है|

जागरूक मीडिया विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा अनेक चुनावी विषयों पर बहस कराते हैं जनता को भी सवाल पूछने का मौका दिया जाता है लेकिन ज्यादा तर बहसों में शोर अधिक होता है प्रत्येक प्रवक्ता एक दूसरे की बात ही काटते नजर आते हैं| चैनल निष्पक्ष वार्ता करायें घुमा फिरा कर अपनी ही बात पर मोहर न लगवाएं तब सही जनमत बनता है | कुछ प्रवक्त्ता बहस के मूड में न होकर अपने आप को सताया हुआ बताने की कोशिश में चैनलों का प्राईम टाईम खराब करते हैं पुरानी घिसी पिटी बातें टीवी दर्शक भी चुनावी बहस सुनने के बजाय सीरियल देखने में अधिक रूचि लेते हैं| आजकल मीडिया हाउस हेलीकाफ्टर द्वारा नामी एंकर को चुनावी एरिया को कवर करने के लिए भेजते हैं उनके चैनल का आकर्षण बढ़े |


रिजल्ट आने से पहले ही प्री पोल का चैनलों में चलन बढ़ा है कुछ लोगों से पूछ कर किस दल के कितने उम्मीदवार विजयी होंगे लेकिन अब चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद प्री पोल विश्लेष्ण पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है |


चुनावी परिणाम पूरी तरह से प्रोपगंडे पर ही आधारित नहीं होते कई तिकड़में लगाई जाती हैं आज का मतदाता जागरूक है प्रिंट मीडिया में खबरों के अलावा सम्पादकीय में अच्छे लेखकों के लेख छपते हैं लोग उन्हें पढ़ते ही नहीं आपस में बहस भी करते हैं कोशिश करते हैं लोकसभा में बहुमत दल की सरकार बने वह पार्टियों के मेंनिफेस्तो पर ध्यान देते हैं | टीवी चैनल में पार्टियां अपने दल एवं चुनाव चिन्ह का प्रचार करती हैं |

पहले चुनावों में बाहुबलियों को चुनाव जिताने का ठेका दिया जाता था मतदान की शुरूआत ही बूथ कैप्चरिंग से हो जाती थी | सब के वोट पर एक उम्मीदवार का ठप्पा , पुलिस देखती रहती थी, मतदाता भय से बोल नहीं पाते | बाहुबलियों ने सोचा दूसरों को जिताने से अच्छा है वह स्वयं ही चुनाव लड़ लें | संसद रुपी प्रजातन्त्र के मन्दिर में अपराधी पहुंच गये जिन पर कई अपराधिक मामले चल रहे है | इसका निदान निकाला गया चुनाव कई चरणों में हो रहे हैं | पुलिस बल लगा कर शान्ति पूर्ण ढंग से चुनाव कराने की कोशिश की जाती है| संसद में अपराधियों को जाने से रोकने के लिए भी कई कानून बने हैं लेकिन जब तक किसी का अपराध सिद्ध न हो जाये उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? एफआईआर दर्ज है पर उम्मीदवार धडल्ले से चुनाव लड़ रहे हैं हमारी न्याय प्रक्रिया की गति धीमीं है |


अब ईवीएम से चुनाव कराए जाते हैं इसका विरोध भी हो रहा था सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम के विरोध में कई याचिकाए दायर की गयी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने सभी विवादों का अंत करने की कोशिश की भारत जैसे विशाल देश में ईवीएम के द्वारा चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही हैं |एक दो ही अपवाद हैं वहां फिर से चुनाव करवा लिए जाते हैं |


चुनाव जीतने के लिए खुल कर प्रलोभन देने का चलन रेवड़ी संस्कृति की का चलन बढ़ गया |पहले असली वोट की खरीद फ़रोख्त चुनाव से पहले की रात में होती है जम कर शराब पियो ,कम्बल बांटना वोट ली कीमत लगा कर मतदाता की जेब में नोट डाल देना | अब चुनाव घोषणा पत्र में हर माह मतदाता की जेब में क्या – क्या डाला जाएगा सस्ती बिजली ,पानी , बसों में महिलाये बिना टिकट यात्रा कर सकती हैं परिवार के हर व्यक्ति को हर माह कुछ किलो गेहूं या चावल देना किसानों की कर्ज माफ़ी | महिलाओं को प्रति माह 1000 से 1500 रूपये दिए जायेंगे | कांग्रेस घोषणा पत्र में महिलाओं को एक लाख रुपया है है वर्ष दिया जायगा , कई अटपटे वादे | जैसे बिहार में एक करोड़ लोगों को सरकारी नौकरी दी जायेगी इतनी नौकरियां कहाँ से आएँगी | सरकारी नौकरियों का प्रलोभन समझ नहीं आता क्षेत्र का विकास कैसे होगा राजस्व कहाँ से आयेगा चिंता नहीं है राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जाएगा |भाजपा सरकार ने आयुष्मान योजना के अंतर्गत असाध्य तोगों के इलाज के लिए पांच लाख बीमा रकम तह की थी एक दल ने इसे 25 लाख कर दिया | जरूरत हैं अच्छी शिक्षा , स्कूल , अस्पताल , इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कालेजों की जिससे देश का विकास हो सके भारत विकसित देश बने |


विज्ञापन एजेंसिया नामी क्रिएटिव डायरेक्टर उनकी टीम चुनावों को दिलचस्प बनाने के लिए नये जुमले ,रोचक किस्से गढ़ते हैं चुनावी रैलियों के लिए नारे बनाते हैं |आकर्षक पोस्टर बनाने के काम में लगे रहते हैं अब चुनाव जीतना एक कला हैजीतने के तरीके बदल गये हैं पहले झंडियाँ बैनर की भरमार होती थी हर दीवार पर पोस्टर ,पोस्टर के ऊपर पोस्टर समझ लीजिये पोस्टर वार | ढोल नगाड़े भी कम सुनाई देते हैं |केवल जीतने के बाद जश्चुन में इनका नम्बर आता है |

अभिनेता भी पीछे नहीं हैं कुछ टिकट मिलने पर चुनाव लड़ते हैं कुछ चुनाव प्रचार करते हैं |हर दल में अब सम्मानित नेताओं के बेटे , बेटियाँ ,बाईयों को दामाद एवं पत्नियों को चुनाव लड़ने का अवसर मिलता है वह अपनी ताकत दिखाने के लिए कारों का काफिला और अपने लोग लेकर चलते हैं जिन्हें कभी देखा नहीं वह जनता की सेवा का दम भरते हैं जबकि मतदाता उन्हें पहचानते भी नहीं हाँ उनके नाम के साथ किसी नेता का नाम चल रहा है |

कार्यकर्ता एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं एक दिन उनको भी चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा वह जनता की समस्याए सुनते थे उनके काम कराते हैं , कुछ नेता टिकट न मिलने से कुंद हैं | हाँ चुनाव बहुत महंगे हो गये हैं आम आदमी के बस में चुनाव लड़ना नहीं है |+मोदी जी हैं जिनको किसी को अपनी विरासत नहीं देनी जबकि उनके भी भाई है |

लेख का स्तोत्र- मैं राजनीतिक विश्लेषक हूँ टीवी चैनल की वार्ताओं में भाग लेती हूँ आकाशवाणी के तबसरे एवं ,चुनाव प्रक्रिया पर पूरी नजर है |अबकी बार लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया लम्बी चल रही है |

                                            हस्ताक्षर -  डॉ शोभा भारद्वाज same  (वार्ता) 17:43, 10 मई 2024 (UTC)उत्तर दें