सदस्य:Amithaprabhu

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कि उन्होने इस गलत तरीकेको ठीक कर दिया|पाचायत फॉसीका फैसला सुना देती तत्रसे फॉसीका मचान खडा होनेतक गोरे सैनिक उन देहातियो पर अत्यत निर्ढय तथा पोशविक अत्याचार करते थे|मौतकी मजा पाये हुए इन वेचारोके सिरके वाल एक कर नोच दिये जाते; मगीनें घोंप कर उनके शरीरसे खिलवाड किया जाता|और इसमेभी बढ़कर वह काम करने को कहा जाता जिसके सामने मौत नो मामूली वात हो जानी है| पाठक, हृदय थामे पढ़ो | उन वेवस देहातिर्योक मुखमें गोमास वे गोरे सैनिक भालो और सगीनोंकी नोकोंसे ढूँस देते थे|