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अमित कुमार शर्मा 9828211211

                    श्री बिशन सिंह शेखावत

जन्म 5 फरवरी 1929 बसंत पंचमी स्थाना खाचरियावास, जिला सीकर, दांता रामगढ़ तहसील

वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षक, कर्मचारी, नेता और समाज सेवी श्री बिशन सिंह शेखावत के पिता स्वर्गीय श्री देवी सिंह शेखावत तथा माता श्रीमति बन्ने कंवर थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा खाचरियावास तथा माध्यमिक शिक्षा रामगढ़ शेखावाटी, फतेहपुर और सीकर में हुई। इसके बाद उन्होंने जयपुर में महाराजा काॅलेज से उच्चतर शिक्षा प्राप्त की। सोलह साल की आयु में श्री शेखावत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। इसके बाद वे संघ में कई वरिष्ठ पदों पर भी रहे। जयपुर में लालकृष्ण आडवाणी और सुंदरसिंह भंडारी सहित कई नेताओं के साथ वे जेल भी गए। श्रीबिशन सिंह शेखावत 1949 में विद्यार्थी परिषद सीकर के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद उन्होंने आसपास के गांवों में जनसंघ की शाखाआंे की स्थापना की। अध्ययन के दौरान ही श्री शेखावत लेखन के माध्यम से दैनिक राजस्थान समाचार, सन्मार्ग, जयभूमि दरबार, राष्ट्रदूत, हिंदुस्तान, हिंदु संदेश और नवभारत टाइम्स जैसे पत्रों से भी जुड़े रहे। इसके बाद उन्होंने दैनिक राजस्थान के प्रबंध संपादक के रूप में श्रीश्याम लाल वर्मा के साथ कार्य किया। श्री शेखावत स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद अध्यापक नियुक्त हुए। उन्होंने समकालीन परिस्थितियों में शिक्षकों की पीड़ा को समझते हुए उस समय राजस्थान शिक्षक संघ की स्थापना की और संघ की ओर से ‘‘नई दिशा’’ पत्रिका का संपादन किया। श्री शेखावत ने एक सजग और जुझारू शिक्षक नेता के रूप में शिक्षक आंदोलन के मुख्य स्तंभ, स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण शर्मा, श्री शिवकिशोर सनाढ्य, श्रीनानक कुंदनानी, श्रीविष्णु शास्त्री आदि शिक्षक नेताओं के साथ समय समय पर शिक्षकों की समस्याओं और उनके अधिकारों को लेकर आंदोलन किए और उनकी मांगों को मनवाकर शिक्षकों के हितों की रक्षा की। बाद में श्री शेखावत ने ‘‘राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ’’ का गठन किया और लंबे समय तक इसके अध्यक्ष भी रहे। आप अपने जीवन में शिक्षक और कर्मचारी आंदोलनों के दौरान कई बार जेल भी गए। श्री शेखावत कई सालों तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के सदस्य भी रहे। उन्होंने भारत सोवियत मैत्री संघ की ओर से तत्कालीन सोवियत रूस की यात्रा भी की।

  									 कुछ समय बाद आप खाचरियावास पंचायत के निर्विरोध सरपंच चुने गए और गांव के विकास कार्यों में अधिक रूचि ली। 

1978 में श्री शेखावत राजस्थान पत्रिका से जुड़ गए। पत्रिका में शेखावत ने समसामयिक विषयों पर अनेक उत्कृष्ट लेख और आलेख छिपे। यहंा तक कि इन्होंने आतंकवाद से त्रस्त पंजाब में जाकर अपने लेखों के माध्यम से सच्ची तसवीर पेश की। राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रीकर्पूर चंद्र कुलिश के आग्रह पर श्रीशेखावत जी ने गांवों की दशा पर लिखना शुरू किया। इनका काॅलम था ‘‘ आओ गांव चले’’। इसकी लेखन श्रृंखला के लिए श्री शेखावत ने सैंकड़ों गांवों का भ्रमण किया और लगातार चार सालांे तक गांवों की ज्वलंत समस्याओं की ओर अपने लेखों के माध्यम से पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया। आकाशवाणी पर भी ग्रामीण क्षेत्रों के संबंध में लगभग एक सौ पचास वार्ताएं भी आपने प्रस्तुत की। श्री शेखावत ने जीवन भर खादी के विकास के लिए काम किया। साथ ही ये जीवन भर समाज सेवा से भी जुड़े रहे। शास्त्री नगर के कांवटिया अस्पताल की स्थापना में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान रहा। श्रीबिशन सिंह शेखावत का जीवन सदैव व्यवस्ताओं में गुजरा। कठोर परिश्रम करते रहने के कारण उन्नीस सौ तिरानवें में उन्हें असाध्य रोग ने घेर लिया। जिसके बाद मुंबई, दिल्ली, लुधियाना और जयपुर में इनका उपचार हुआ। बीमारी के दौरान वे अपने अग्रज श्री भैंरोसिंह शेखावत के स्नेह सानिध्य में भी रहे। काफी सेवा सुश्रुषा और उपचार के बावजूद भी काल के क्रुर हाथों ने श्री बिशन सिंह शेखावत को हमारे बीच से उठा लिया। श्री शेखावत ने अपने जीवन में एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और जुझारू व्यक्ति व कुशल संगठनकर्ता, समाजसेवी, लेखक और विचारक के रूप में एक स्पष्ट में छाप छोड़ी। कबीर ने ऐसे कर्मयोगियों के लिए सही ही लिखा है। ‘‘कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसा, हम रोए। ऐसी करनी करते चलो, कि हम हंसे, जग रोए’’।