सदस्य:Albert Paul 1840719/प्रयोगपृष्ठ
सूरजमुख[संपादित करें]
सूरजमुखी का फूल की जानकारी[संपादित करें]
सूरजमुखी का फूल दिखने में जितना आकर्षक और सुंदर होता है उतना ही स्वास्थ के लिए अच्छा होता है। सूरजमुखी फूल से ऑइल निकाला जाता है। इस फूल की कुछ रोचक विशेषताएं है जिनके बारे में बात करेंगे।
सूरजमुखी फूल की जानकारी[संपादित करें]
1. सूरजमुखी अमेरिका का मूल पौधा माना जाता है। यही से सूरजमुखी पूरी दुनिया में फैला है। भारत देश में भी इस पौधे की खेती की जाती है। सूरजमुखी फूल की खेती का मुख्य उद्देश्य तेल प्राप्त करना है।
2. सूरजमुखी की मुख्य विशेषता यह है कि इसका फूल सूर्य की दिशा में घूमता है। सूरज जिस दिशा में जाता है उसी दिशा में यह फूल घूमता है। सूरजमुखी पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की और घूमता है। यह फूल तब तक खिलता है जब तक सूर्य की रोशनी रहती है। सूरजमुखी दिन के वक्त खिलता है और रात को मुरझा जाता है। सूर्य की तरफ मुड़ने के कारण ही इसे सूरजमुखी कहते है।
3. इस पौधे का फूल बेहद खूबसूरत और आकर्षक होता है। सूरजमुखी का फूल पीला रंग का होता है। कुछ फूल सफेद या बैंगनी रंग में भी मिलते है। इस फूल की करीब 70 प्रजातियां मिलती है जो रंग और आकार में भिन्न होती है। फूल का आकार गोलाकार होता है।[1]
4. सूरजमुखी का फूल में दो फूल होते है यानीकि यह एक फूल ना होकर दो होता है। इस फूल के बीच में भूरा रंग का भाग होता है जिसे फ्लोरेट्स कहते है। फ्लोरेट्स असल में कई सारे फूलों से बना होता है। इसी भाग में पुष्प के नर और मादा जननांग होते है। इस भूरे फूल के किनारे से पीले रंग की पंखुड़ियां निकली होती है।
5. सूरजमुखी पर मधुमक्खी, तितली, इंसेक्ट्स इत्यादि आकर्षित होते है और फूलों का रसपान करते है। सूरजमुखी फूल में परागण करने में ये इंसेक्ट्स ही सहायक होते है।
6. सूरजमुखी के पौधे का इस्तेमाल आर्युवेद में किया जाता है। इसके फूल, पत्तियां, तने का उपयोग दवाइयां बनाने में करते है।
7. सूरजमुखी का पौधा गर्मियों में पनपता है। सूरजमुखी के काले रंग के बीज फूल के फ्लोरेट्स सेक्शन पर होते है। वैसे फ्लोरेट्स पर मौजूद फूल ही बीजों में बदलते है। बीजों की संख्या करीब 2000 होती है। इन्ही बीजों की बुआई करके पौधा तैयार होता है। इनके बीजों से ही तेल निकाला जाता है। तेल निकलने के बाद बचा हुआ बीजों का खल पशु चारे के रूप में उपयोग होता है।
8. इस पौधे का तना बहुत कमजोर होता है। इसलिए पौधे की उचित देखभाल जरूरी है। तने की लम्बाई करीब 12 फ़ीट तक होती है। वैसे कुछ पौधों के तने इससे भी बहुत कम लम्बे होते है। यह पौधा केवल 6 माह में ही इतना बड़ा हो जाता है। लम्बाई में छोटे सूरजमुखी पौधे समूह में होते है।
9. सूरजमुखी का तेल सबसे ज्यादा फेमस है। इसके तेल का इस्तेमाल खाना पकाने में होता है। सूरजमुखी तेल में विटामिन ए, डी, आयरन इत्यादि कई पोषक तत्व पाये जाते है। यह तेल स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद है। यह तेल शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित बनाये रखता है।
10. सूरजमुखी फूल की खूबसूरती के कारण ही बाग बगीचों या गमलों में लगाते है। यह फूल बाग की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।[2]
11. सूरजमुखी का फूल यूक्रेन और रूस का राष्ट्रीय पुष्प है। रूस सर्वोधिक सनफ्लॉवर आयल का उत्पादन करता है।
12. जर्मनी के हैन्स पीटर नामक व्यक्ति ने सूरजमुखी फूल का 30 फ़ीट ऊंचा पौधा लगाया था। यह इस फूल का सबसे बड़ा पौधा माना जाता है।
13. सूरजमुखी का पौधा परमाणु रेडिएशन को सोखता है। इसलिए रेडिएशन से प्रभावित इलाकों में इसका पौधा लगाया जाता है। यह पौधा मिट्टी से हानिकारक प्रदार्थों को अब्सॉर्ब कर लेता है।
सूरजमुखी की संरचना[संपादित करें]
मुण्डक प्रकार का पुप्पक्रम अनेक पुष्पको (florets) का बना होता है । इनमें केन्द्रीय एवं सीमान्त पुष्पक होते हैं । केन्द्रीय पुष्पक नलिकाकार हैं तथा बिम्ब-पुष्पक (disc florets) कहलाते हैं । सीमान्त पुष्पक जीभ के आकार (ligulate) के हैं एवं इन्हें रश्मि-पुष्पक (ray florets) कहते हैं ।
(a) बिम्ब पुष्पक:[संपादित करें]
नियमित, नलिकाकार, द्विलिंगी एवं एपिगाइनस होते हैं ।
(b) कैलिक्स (बाह्य-दलपुंज):[संपादित करें]
शल्कमय कैलिक्स को पेली कहते हैं ।
(c) कोरोला (दलपुंज):[संपादित करें]
5 दल, संयुक्त दली, नलिकाकार ।
(d) पुमंग:[संपादित करें]
5 दल लग्न कैंसर किन्तु पुतंतु अलग्न, परागकोश संयुक्त (युक्तकोशी- syngenesious) ।
(e) जायाँग:[संपादित करें]
दो अंडप, युक्तांडपी, अंडाशय अधोवर्ती (इन्फीरियर), एक कोष्ठकी, एक बीजांड आधारिक (basal) बीजाण्डन्यास ।
वर्तिका एक एवं वर्तिकाग्र द्विशाखित ।
सूरजमुखी का आर्थिक महत्व[संपादित करें]
सूरजमुखी भारत में प्राचीन समय से एक सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाता है। लेकिन ए
तिलहनी फसल, इसे 1969 में ही पेश किया गया था। भारत में इसकी व्यावसायिक खेती की जाती है 1972 में दक्षिणी राज्यों में कुछ हेक्टेयर भूमि में शुरू किया गया था। निश्चित के कारण गुण, सूरजमुखी उत्तरी राज्यों में भी लोकप्रिय हो जाता है। भारत में सूरजमुखी की अभूतपूर्व वृद्धि के लिए अनुकूल विशेषताएं हैं 1. कृषि जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी के प्रकारों की सीमा को व्यापक रूप से अपनाना 2. मौसमी विविधताओं पर काबू पाने के लिए Photoperiod असंवेदनशीलता 3. लघु अवधि (70-100 दिन) 4. बीज और तेल की उच्च उपज क्षमता 5. उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य तेल (उच्च PUFA सामग्री) 6. उच्च बीज गुणन अनुपात (> 1:80) 7. फसल की आसान और सस्ती खेती (कम बीज दर, कोई विशेष नहीं संचालन, कम पानी की आवश्यकता) 8. पारिश्रमिक बाजार मूल्य 9. गैर शाखित एकल सिर के साथ पौधे के प्रकार का निर्धारण करते हैं क्रमांक 1 से 3 तक: फसल को कई फसल प्रणालियों में फिट करने के लिए बनाता है और आकस्मिक योजना के लिए सबसे अच्छा उम्मीदवार बनाता है। 4 से 8: फसल को बनाता है कम पारिश्रमिक और कम उत्पादक फसलों को बदलें। 9: भविष्य प्रदान करता है यंत्रीकृत खेती के लिए फसल के लिए संभावनाएं सूरजमुखी में अच्छी गुणवत्ता के तेल का 40 से 44% और उच्च मात्रा में गुणवत्ता होती है केक में प्रोटीन
सूरजमुखी का तेल पीले रंग का होता है और इसमें अच्छी गंध होती है
खाना पकाने के तेल के रूप में इस्तेमाल किया
तेल का उपयोग हाइड्रोजनीकृत तेल के निर्माण में भी किया जाता है
(सूरजमुखी तेल अपने उच्च PUFA (पाली) के कारण प्रीमियम माना जाता है असंतृप्त फैटी एसिड) लिनोलिक एसिड के उच्च स्तर और अनुपस्थिति के साथ सामग्री लिनोलेनिक तेजाब। इस वजह से, आहार में इसका उपयोग रक्त के स्तर को कम करता है कोलेस्ट्रॉल, एक कारक जो कोरोनरी हृदय की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है रोग
सूरजमुखी का तेल कुछ हद तक कुछ पेंट, वार्निश और प्लास्टिक में उपयोग किया जाता है
क्योंकि अच्छा अर्द्ध सुखाने गुण है। के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है साबुन और डिटर्जेंट सूरजमुखी भोजन का उपयोग पशु खाद्य प्रोटीन सांद्रता के रूप में किया जाता है सूरजमुखी के पतवारों का उपयोग जानवरों के भोजन में रूहगे और ईंधन के रूप में किया जाता है
हल का उपयोग इन्सुलेशन बोर्ड बनाने में भी किया जाता है और पशुओं के लिए कूड़े के रूप में भी।
तिलक का उपयोग शिशु खाद्य पदार्थों के निर्माण में किया जाता है
सूरजमुखी की गुठली को कच्चा या भुना हुआ खाया जा सकता है