सआदत अली खान द्वितीय
दिखावट
सआदत अली खान | |||||
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अवध के नवाब वज़ीर | |||||
शासनावधि | १७९८ - १८१४ | ||||
पूर्ववर्ती | मिर्ज़ा वज़ीर अली खान | ||||
उत्तरवर्ती | ग़ाज़ी अद् दीन रफ़ाअत अद् दौला अबू अल मुज़फ़्फ़र हैदर खान | ||||
जन्म | १७५२ | ||||
निधन | १८१४ | ||||
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राजवंश | अवध |
यामीन उद् दौला नवाब सआदत अली खान (१७५२-१८१४) अवध के शासक (शासनकाल १७९८-१८१४) नवाब शुजाउद्दौला के दूसरे बेटे थे। सआदत अली खान अपने सौतेले भाई, आसफ़ुद्दौला, के बाद अवध के तख्त पर १७९८ पर बैठे।
सआदत अली खान की ताजपोशी २१ जनवरी १७९८ को बिबियापुर महल, लखनऊ में सर जॉन शोर द्वारा की गई। उन्होंने १८०१ में अंग्रेज़ों को आधा अवध दे दिया।
उनका १८०५ में सर गोर औसेली द्वारा निर्मित दिलकुशा कोठी नामक एक महल भी था।[1]
नवाब सआदत अली खान १८१४ में मरे और उन्हें अपनी पत्नी 'खुरशीद ज़ादी' के साथ जुड़वाँ क़ैसरबाग़ के मकबरे में दफ़नाया गया।
उत्तराधिकार शृंखला
[संपादित करें]पूर्वाधिकारी मिर्ज़ा वज़ीर अली खान |
नवाब वज़ीर अल ममालिक ए अवध २१ जन १७९८ – ११ जुला १८१४ |
उत्तराधिकारी ग़ाज़ी अद् दीन रफ़ाअत अद् दौला अबू अल मुज़फ़्फ़र हैदर खान |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ nic.in Archived 2009-04-10 at the वेबैक मशीन १० सितंबर २००७ को पठित