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'''भिमा कोरेगांव की लड़ाई''' [[१ जनवरी]] [[१८१८]] इसवी में [[पुना]] ([[पुणे]]) स्थित कोरेगाव गांव में भिमा नदी के पास उत्तरी पू्र्वी में हुई थी। पेशवा बाजीराव के [[मराठा सम्राज्य]] में [[अस्पृश्यता]] चरमसिमा पर पोहोचकर उसका कठोर पालन किया जा रहा था, इसलिए महार लोग उनके विरोध में युद्ध में खडे हुए थे। यह लड़ाई [[महार]] और [[मराठा]] सैनिकों के बिच लड़ी गई थी। [[अंग्रेज]]ों की तरफ ५०० लड़ाके, जिनमें ४५० [[महार सैनिक]] थे और [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] के २८,००० [[मराठा]] सैनिक थे, मात्र ५०० महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली २८ हजार मराठा फौज को हरा दिया था। महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सन्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया जिनपर महारों के नाम लिखे गए। ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिकों के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।
'''भिमा कोरेगाव की लडाई''' सन १ जनवरी १८१८ इसवी मे पुना स्थित कोरेगाव मे भिमा नदी के पास हुई।

1 जनवरी 1818 को भीमा नदी के किनारे कोरेगाव, उतरी पूर्वी पुणे में लड़ी गई थी।
यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका।<ref>http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html</ref
यह लड़ाई अंग् माहार और पेशवा के बिच लड़ी गई थी। अंग्रेजो के तरफ 500 लडाके जिसमे 450 महार (अछूत) थे और पेशवा बाजीराव-II के
== शौर्य दिवस ==
28000 सैनिक थे(उनमेसे 2000 सैनिकोने ही युद्ध में हिस्सा लिया)। मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली फौज को हरा दिया। सैनिको को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया।
महाराष्ट्र के [[बौद्ध]] और महार समूह हर वर्ष १ जनवरी को अपने पुरखो नमन करने भीमा कोरगांव जाते है यह दिन वे [[शौर्य दिवस]] के रूप में मनाते है।
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ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिको के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।
[[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर]] भी हर साल १ जनवरी को भीमा कोरेगांव जाते थे।
यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका<ref>http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html</ref>।

== इन्हें भी देखें ==
*[[महार रेजिमेंट]]
*[[महार]]
*[[मराठा]]

== बाहरी कडीया ==


== References ==
== References ==

07:33, 11 फ़रवरी 2017 का अवतरण

भिमा कोरेगांव की लड़ाई १ जनवरी १८१८ इसवी में पुना (पुणे) स्थित कोरेगाव गांव में भिमा नदी के पास उत्तरी पू्र्वी में हुई थी। पेशवा बाजीराव के मराठा सम्राज्य में अस्पृश्यता चरमसिमा पर पोहोचकर उसका कठोर पालन किया जा रहा था, इसलिए महार लोग उनके विरोध में युद्ध में खडे हुए थे। यह लड़ाई महार और मराठा सैनिकों के बिच लड़ी गई थी। अंग्रेजों की तरफ ५०० लड़ाके, जिनमें ४५० महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के २८,००० मराठा सैनिक थे, मात्र ५०० महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली २८ हजार मराठा फौज को हरा दिया था। महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सन्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया जिनपर महारों के नाम लिखे गए। ब्रिटिश रेजिडेंट की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इसे नायकत्व वाला कर्त्य कहा गया और सैनिकों के अनुशासित और समर्पित साहस और स्थिरता की तारीफ की गई।

यह युद्ध बहुत ही महत्त्व का था। प्रथम अंग्रेजो की छोटी सी टुकड़ी ने पेशवा को हरा दिया जिसने पेशवा साम्राज्य का सफाया करने में मदद की। दूसरा अछूत महारो को अपनी वीरता दिखा जाती बंधन को तोड़ने का मौका।<ref>http://www.epw.in/special-articles/contesting-power-contesting-memories.html</ref

शौर्य दिवस

महाराष्ट्र के बौद्ध और महार समूह हर वर्ष १ जनवरी को अपने पुरखो नमन करने भीमा कोरगांव जाते है यह दिन वे शौर्य दिवस के रूप में मनाते है।

डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भी हर साल १ जनवरी को भीमा कोरेगांव जाते थे।

इन्हें भी देखें

बाहरी कडीया

References