"भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान": अवतरणों में अंतर
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भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। |
भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। |
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भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 12वी शताब्धी तक रहा और |
भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में महान धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। 20वी शताब्धी के मध्य सन 1956 में आधुनिक भारत के निर्माता और महान बौद्ध विद्वान [[भीमराव आंबेडकर|डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर]] द्वारा अपने लाखों अनुयायीओं के साथ बौद्ध धम्म अपनाकर बौद्ध धर्म को भारत पुनर्जीवीत किया गया। बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के प्रभाव से एक सर्वेक्षण के अनुसार सन 1959 तक देश के करीब 2 करोड़ लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहन किया था। आज भी भारत में हजारों लोग बौद्ध धर्म की तरफ आकर्षित हो रहे है। |
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==जनसंख्या== |
==जनसंख्या== |
17:44, 29 नवम्बर 2016 का अवतरण
- यह भारतीय गणतंत्र में बौद्ध धर्म के बारे में है। "भारत" की व्यापक परिभाषा के लिए एशिया में बौद्ध धर्म को देखें।
कुल जनसंख्या |
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0.8 करोड़ से 6.7 करोड़ (2011) |
महत्वपूर्ण जन्संख्या वाले क्षेत्र |
सिक्किम, मिज़ोरम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा एवं जम्मू और कश्मीर में अधिकतम जनसंख्या घनत्व। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिकतर जनसंख्या |
भाषा |
मराठी, हिन्दी, नेपाली, तिब्बती, कश्मीरी, अंग्रेजी, मिज़ो, बंगाली |
धर्म |
मुख्यतः |
भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म तिसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 6% से भी अधिक है (2011 में लगभग 7 करोड़)।
भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है।
भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में महान धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। 20वी शताब्धी के मध्य सन 1956 में आधुनिक भारत के निर्माता और महान बौद्ध विद्वान डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा अपने लाखों अनुयायीओं के साथ बौद्ध धम्म अपनाकर बौद्ध धर्म को भारत पुनर्जीवीत किया गया। बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के प्रभाव से एक सर्वेक्षण के अनुसार सन 1959 तक देश के करीब 2 करोड़ लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहन किया था। आज भी भारत में हजारों लोग बौद्ध धर्म की तरफ आकर्षित हो रहे है।