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16 मार्च 2018

  • 15:0515:05, 16 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +6,094 छो सदस्य वार्ता:Shiv.dharma.shivजीवन को सार्थक बनाने के लिए , चार मुख्य पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष- ही हैं। इन चार स्तम्भों पर ही आत्मा बीज रूप में (मुलाधार ) पर टिकी होती है। प्रथम है धर्म - विजय भाव ऊर्जा , की विजय केवल अन्त मे सत्य की ही होती है। शिव धर्म द्वारा ही बाकी स्तम्भों को ऊर्जा प्राप्त होती है। इस स्तम्भ बीज रूप को ऊर्जा शिव लिंग द्वारा प्राप्त होती रहती है। यहीं से मोक्ष कुंडलीनी जागरण ओर सम्पूर्ण विश्व की सिद्धीयों , एवं जीवन आत्मा का विकास आर्थिक विकास का पहला द्वार खुलता है। दुसरा है अर्थ - यानी की धन, सुविधा वगैरह जो शिव धर्म की ऊर्जा से पुरुषार्थ शक्ति द्वारा प्राप्त होता है। यही से शनि भी दन्ड देता है। शनि का कार्य स्थल ब्राह्म चक्र मे भी है। वह सूर्य स्थल से भी दन्डीत करता है। तीसरा- काम यह शक्ति धर्म स्थान पहले बुध बहुत ज्यादा प्रभावित होता है , अधर्म कार्य करने से यहां पर आत्मा का स्तम्भ कमजोर होने लगता है। जीवन काल मे जो हम कार्य करते हैं वह यही से बनने या बिगडते हैं। ४ - मोक्ष - इन तीन स्तम्भो का आधार ही मोक्ष होता है। यह स्तम्भ महा काली , गणेश की ऊर्जा का स्रोत हैं। काली यही टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 15:0115:01, 16 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +2,835 सदस्य वार्ता:Shiv.dharmaजीवन को सार्थक बनाने के लिए , चार मुख्य पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष- ही हैं। इन चार स्तम्भों पर ही आत्मा बीज रूप में (मुलाधार ) पर टिकी होती है। प्रथम है धर्म - विजय भाव ऊर्जा , की विजय केवल अन्त मे सत्य की ही होती है। शिव धर्म द्वारा ही बाकी स्तम्भों को ऊर्जा प्राप्त होती है। इस स्तम्भ बीज रूप को ऊर्जा शिव लिंग द्वारा प्राप्त होती रहती है। यहीं से मोक्ष कुंडलीनी जागरण ओर सम्पूर्ण विश्व की सिद्धीयों , एवं जीवन आत्मा का विकास आर्थिक विकास का पहला द्वार खुलता है। दुसरा है अर्थ - यानी की धन, सुविधा वगैरह जो शिव धर्म की ऊर्जा से पुरुषार्थ शक्ति द्वारा प्राप्त होता है। यही से शनि भी दन्ड देता है। शनि का कार्य स्थल ब्राह्म चक्र मे भी है। वह सूर्य स्थल से भी दन्डीत करता है। तीसरा- काम यह शक्ति धर्म स्थान पहले बुध बहुत ज्यादा प्रभावित होता है , अधर्म कार्य करने से यहां पर आत्मा का स्तम्भ कमजोर होने लगता है। जीवन काल मे जो हम कार्य करते हैं वह यही से बनने या बिगडते हैं। ४ - मोक्ष - इन तीन स्तम्भो का आधार ही मोक्ष होता है। यह स्तम्भ महा काली , गणेश की ऊर्जा का स्रोत हैं। काली ... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 14:5714:57, 16 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +5,987 छो सदस्य वार्ता:Shiv.dharmaNo edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 14:4914:49, 16 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +5,943 विकिपीडिया:चौपालShiv Dharma शिव धर्म जीवन को सार्थक बनाने के लिए , चार मुख्य पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष- ही हैं। इन चार स्तम्भों पर ही आत्मा बीज रूप में (मुलाधार ) पर टिकी होती है। प्रथम है धर्म - विजय भाव ऊर्जा , की विजय केवल अन्त मे सत्य की ही होती है। शिव धर्म द्वारा ही बाकी स्तम्भों को ऊर्जा प्राप्त होती है। इस स्तम्भ बीज रूप को ऊर्जा शिव लिंग द्वारा प्राप्त होती रहती है। यहीं से मोक्ष कुंडलीनी जागरण ओर सम्पूर्ण विश्व की सिद्धीयों , एवं जीवन आत्मा का विकास आर्थिक विकास का पहला द्वार खुलता है। दुसरा है अर्थ - यानी की धन, सुविधा वगैरह जो शिव धर्म की ऊर्जा से पुरुषार्थ शक्ति द्वारा प्राप्त होता है। यही से शनि भी दन्ड देता है। शनि का कार्य स्थल ब्राह्म चक्र मे भी है। वह सूर्य स्थल से भी दन्डीत करता है। तीसरा- काम यह शक्ति धर्म स्थान पहले बुध बहुत ज्यादा प्रभावित होता है , अधर्म कार्य करने से यहां पर आत्मा का स्तम्भ कमजोर होने लगता है। जीवन काल मे जो हम कार्य करते हैं वह यही से बनने या बिगडते हैं। ४ - मोक्ष - इन तीन स्तम्भो का आधार ही मोक्ष होता है। यह स्तम्भ महा काली , गणेश की ऊर्ज... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

18 फ़रवरी 2018