वार्ता:भूमिहार

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परशुराम वंशी ब्राह्मण जो आयाचक ब्राह्मण है। कृपया करके विकिपीडिया पर भूमिहार जाति के बारे में दुष्प्रचार की भावना से जो ग़लत जानकारी दिया गया है उसे हटाया जाए। भूमिहार भी ब्राह्मण वर्ण में आते हैं। प्राचीन काल में जो ब्राह्मण समूह कर्मकांड को छोड़कर खेती से जीविका चलाने लगे उन्हें अयाचक ब्राह्मण अथवा भूमिहार कहा जाने लगा। युद्ध विधा सीखकर भूमिहार ने की जगहों पर अपना राज स्थापित किया था। भूमिहार जाति को सैनिक ब्राह्मण भी कहा जाता है। भारत में कोई भी जाति मिश्रित जाति नहीं है। भूमिहार विशुद्ध ब्राह्मण होते हैं जो सदियों से खेती और सैन्य सेवाओं से आजीविका चलाते आ रहें हैं। भारत में संतान को अपने पिता की जाति से ही जाना जाता है। यदि ब्राह्मण पुरुष और राजपूत स्त्री के बीच कोई संतान हो तो उसे ब्राह्मण जाति का ही माना जाएगा, राजपूत पिता और ब्राह्मण माता से उत्पन्न संतान को राजपूत जाति का माना जाएगा। इस पेज के एडमिन को भूमिहार जाति के संबंध में उचित जानकारी ना होने के कारण अथवा भूमिहार विरोधी मानसिकता के कारण जानबूझकर गलत और झूठी जानकारी दर्ज किया गया है जिसे विकिपीडिया के इस पेज से जल्द से जल्द हटाया जाए, अन्यथा पेज के एडमिन के उपर भूमिहार ब्राह्मण संगठन के द्वारा कानूनी रूप से कार्यवाही किया जाएगा।

भूमिहार ब्राह्मण[संपादित करें]

पूरी की पूरी जानकारी गलत दी गई है। जिस तस्वीर को दिखाया गया है वह काशी नरेश की है जो भूमिहार ही थे और भारत के एक बड़े हिस्से के राजा थे। काशी नरेश ही नहीं ऐसे किसी भी राजा को शूद्र जाती से जोड़ने पर मृत्यु दंड का प्रावधान था, परंतु लेखक ने अपनी जातिगत दुर्भावना से ग्रसित हो कर साशक़ वर्ग को नीचा दिखाने का प्रयत्न किया है। आज़ादी में भी सर्वाधिक योगदान भूमिहार ब्राह्मण जाती का ही था जिन्होंने सरदार पटेल के आह्वान पर अपने ख़ज़ाने भारत सरकार को दे दिए। हथवा नरेश के कई सोने से भरे ट्रक भारत सरकार को मिले तब जाकर गरीब लोगों को भोजन मिला। ये सब स्वेच्छा से आजादी में योगदान था। भारत सरकार आज भी इसका मुआवजा देती है। स्वामीसहजानंद सरस्वती, बेतिया राजा, शिवहर राज्य, टिकरी महाराज जैसी कई जानकारियां छुपा कर बिना आधार की जानकारी पर यह लेख तैयार किया है। यह लेख भूमिहार ब्राह्मण को नीचा दिखाने की कोशिश है। परशुराम और द्रोण के वंश का अपमान स्वयं सनातन का अपमान है। रोहित रंजन सिंह (वार्ता) 04:56, 27 अगस्त 2021 (UTC)[उत्तर दें]

भूमिहार ब्राह्मण[संपादित करें]

भूमिहार एक अयाचक बाह्मण है। जो अन्य राज्य में अलग अलग नामो से जाना जाता है। Princepatahi (वार्ता) 00:28, 6 अप्रैल 2022 (UTC)[उत्तर दें]

भूमिहार ब्राह्मण[संपादित करें]

परशुरामवंशी आयाचक ब्राह्मण Royalpandit12 (वार्ता) 17:50, 23 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]

bhumihar ke history mai jo gair bhumihar aur braman aur rajputo ki milap se jo baat kahi gayi hai sab galat hai bhumihar jaati ko nicha dikhane ke likha Gaya hai . Amitbhumihar5 (वार्ता) 02:26, 22 अगस्त 2023 (UTC)[उत्तर दें]

please mere sabi payare bhaiya se request hai jo bhumihar history ke topic mai wrong baate kahi gayi hai delete kare. Amitbhumihar5 (वार्ता) 02:31, 22 अगस्त 2023 (UTC)[उत्तर दें]

ये सभी बातें बिना किस ठोस सबूत के भूमिहार को बदनाम करने के लिए लिया गया था  अंग्रेजो द्वारा वही सभी  बातें बिना ज्ञान के आजाद भारत भी ढो रहा है इसे तुरंत डिलीट किया जाये। किदवंतियों आधारित  जो गलत बातें है।
या पहले पुरुष और स्त्री का नाम और इतिहास बताओ।  डिलीट करवाए इसे Rajneeshbhumi234 (वार्ता) 09:19, 5 अक्टूबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]

भूमिहारों की उत्पत्ति और अंग्रेजो के साथ गलत तरीके से जोड़ा जा रहा[संपादित करें]

भूमिहारों की उत्पत्ति को लेकर यहां बहुत से अनर्गल बातें कही गई है उसमे सुधार किया जाए.... गौरव मिश्रा पराशर (वार्ता) 22:12, 8 फ़रवरी 2024 (UTC)[उत्तर दें]

बाबा परसुराम के बंसज हुए भूमिहार ब्राह्मण[संपादित करें]

बाबा परसुराम ने 21 बार क्षत्रियो का संहार कर पूरी धरती पर कब्जा किये उसके बाद उस धरती को भूमिहार के बीच बाट दिया, भूमि मिलने पर भूमिहार जाती ने वेद का अध्ययन छोर कर खेती पर ज्यादा ध्यान देना सुरु कर दिए।

भूमिहार भी ब्राह्मण के ही कुल के है।

भूमिहार मृदुभासि,बीर व सब से मिलकर रहने वाली जाती है।

नए युग मे स्वामी सहजानंद सरस्वती जिनका आश्रम पटना जिला के बिहटा में है।

इन्होंने भूमिहार पर कई किताब लिखे है।

ब्रह्मर्षि बांस बिस्तर

मेरे जीवन संघर्ष

कर्म कलाप

इसको लेकर हर भूमिहार को पढ़ना चाहिए।

Rajeev kumar raju (वार्ता) 16:32, 16 फ़रवरी 2024 (UTC)[उत्तर दें]