लिम्फेटिक फाइलेरियासिस

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लिम्फेटिक (लसीका) फाइलेरिया, को आमतौर पर एलिफेंटियासिस के रूप में जाना जाता है। इसमे मनुष्य का पाँव सूज कर हाथी के पाँव के समान भारी हो जाता है। यह रोग में शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित कर सकता है। इस रोग को विश्व स्तर पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) के रूप में माना जाता है। एक परजीवी रोग है जो सूक्ष्म, धागे के समान गोल (Round Worm, Nematode) के कारण होता है। वयस्क कृमि केवल मानव लसीका प्रणाली (Lymphatic System) में रहते हैं, और लसीका प्रणाली की धमनीयो (लिम्फेटिक शिराओ) को अवरुद्ध कर देते हैं। जिसके कारण उस अंग में सूजन आने लगती है साधारणतया लासिका प्रणाली अन्त:स्रवित द्रव संतुलन को बनाए रखती है और संक्रमण से लड़ती है। लिम्फेटिक (लसीका) फाइलेरिया मच्छरों के काटने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

यूं तो लिम्फेटिक फाइलेरिया रोग आम तौर पर एलिफेंटियासिस के रूप में दिखाई देता है परन्तु यह रोग पुरुषों में, अंडकोश की सूजन, जिसे हाइड्रोसील कहा जाता है और महिलाओं में स्तन एवं गुप्तांग की अप्रत्याशित सूजन का भी कारण बनता है। दुर्भाग्य वश सूजन स्थायी होती है और इसीलिए लसीका फाइलेरिया दुनिया भर में स्थायी विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। गंभीर रूप से सूजे एवं विकृत अंगो के कारण प्रभावित रोगियो को आमतौर पर सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ता है। प्रभावित लोग अक्सर अपनी अक्षमता के कारण काम करने में असमर्थ होते हैं। इस कारण वे अपनी आजीविका कमाने में भी असमर्थ होते है।

स्रोत [1] [2]

https://www.cdc.gov/parasites/lymphaticfilariasis/index.html
https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/lymphatic-filariasis

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