राम जन्मभूमि न्यास

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रामजन्मभूमि न्यास, रामजन्मभूमि पर मन्दिर के निर्माण से सम्बन्धित योजनाएँ बनाने तथा मन्दिर के निर्माण का निरीक्षण करने के उद्देश्य से निर्मित न्यास है। 9 नवंबर 2019 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा न्यास द्वारा न्यास द्वारा पूरे 2.77 एकड़ भूमि पर एक मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का फैसला किया। 5 फरवरी 2020 को, केंद्र सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र नामक ट्रस्ट का गठन किया, जिसके अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास थे।

फाउंडेशन[संपादित करें]

राम जन्मभूमि के स्थान की कमान संभालने और प्रस्तावित राम मंदिर के निर्माण की देखरेख करने के लिए 25 जनवरी, 1993 को विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों द्वारा एक स्वतंत्र ट्रस्ट के रूप में राम जन्मभूमि न्यास (RJN) की स्थापना की गई थी।[1] रामचंद्र दास परमहंस (1913-2003) राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख थे, नृत्‍य गोपाल दास द्वारा उनकी मृत्यु पर सफल हुए।[2] इसके सदस्यों ने तर्क दिया कि न्यास इसलिए बनाया गया था ताकि भारत सरकार इस साइट पर नियंत्रण न रखे और मंदिर के निर्माण में खुद को शामिल कर ले। [१] आरजेएन, अयोध्या के बाहर कारसेवकपुरम (स्वयंसेवकों का शहर) में स्वयंसेवकों (कारसेवकों को बुलाया जाता है) के एक बड़े परिसर में कार्यशालाओं का संचालन करता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Celebration in Karsevakpuram is premature". 2010-10-03. मूल से 6 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-10-04.
  2. "Ramchandra Paramhans". The Telegraph. 6 August 2003. अभिगमन तिथि 14 October 2012.