मुरारि मिश्र

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मुरारि मिश्र भारतीय दार्शनिक थे। उन्हे मीमांसा दर्शन में तृतीय सम्प्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है। उन्होने मीमांसा सूत्र की व्याख्या लिखी थी जो अब आंशिक रूप में ही प्राप्त है। इनके पृथक मत का कारण इनका प्रामाण्यवाद विवेचन है। महान नैयायिक होने के कारण इस प्रसंग में इनका मत न्याय से भी काफी प्रभावित है। शालिकनाथ तथा चंद्र का निर्देश करने एवं स्वयं गंगेश उपाध्याय के पुत्र वर्धमान द्वारा उल्लिखित होने के कारण इनका समय बारहवीं शदी माना जा सकता है।