मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा

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मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा  
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मुखपृष्ठ
लेखक अश्विनी कुमार पंकज
देश भारत
भाषा हिंदी
विषय आदिवासी, साहित्य, झारखंड आंदोलन
प्रकाशक विकल्प प्रकाशन, दिल्ली
प्रकाशन तिथि 2015, लायब्रेरी संस्करण
पृष्ठ 168
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82695-31-8

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा [1] अश्विनी कुमार पंकज द्वारा लिखित भारत में आदिवासी राजनीति के संस्थापक पैरोकार, झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नेता और भारतीय हॉकी के पहले कप्तान जयपाल सिंह मुंडा[2] की हिंदी में प्रकाशित पहली जीवनी है। 2015 में प्रकाशित यह जीवनी जयपाल सिंह मुंडा के राजनीतिक योगदान और उनके जीवन के विविध पहलुओं को तथ्यगत रूप से सामने रखती है।

सारांश[संपादित करें]

कौन थे जयपाल सिंह मुंडा? इनका भारतीय स्वतंत्रता और नये भारत के निर्माण में राजनीतिक-बौद्धिक योगदान क्या था?[3] वे जिस आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उसकी आकांक्षाएं क्या थीं? इस बारे में आजादी के सत्तर साल बाद भी इतिहास चुप है। एक तरफ गांधी-नेहरू, जिन्ना, अंबेडकर सहित अनके स्वतंत्रता सेनानियों पर सैंकड़ों किताबें हैं, नाटक और फिल्में हैं और अभी भी इन सब पर हर दिन एक नयी पुस्तक लिखी जा रही है, जयपाल सिंह मुंडा पर एक भी किताब नहीं है। वे कौन-से कारण हैं जिनकी वजह से 1928 की ओलंपिक हॉकी में कप्तानी करते हुए पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले, देश के लिए आईसीएस का त्याग करने वाले और आदिवासियों के इस सबसे बड़े नेता की इस कदर उपेक्षा की गयी? [4] क्यों झारखंड राज्य की सरकारों द्वारा भी अलग झारखंड राज्य के इस प्रणेता को याद नहीं किया जा रहा है? [5] यह पुस्तक इन्हीं सब सवालों का विस्तार से और प्रामाणिक ढंग से जवाब देती है।

जयपाल सिंह मुंडा (1903-1970) का वास्तविक नाम ईश्वरदास जयपाल सिंह है। जिन्हें आदर से झारखंड के आदिवासी उन्हें ‘मरङ गोमके’ (सर्वोच्च अगुआ/नेता) कहते हैं। यह पुस्तक बताती है कि झारखंड अलग राज्य का सपना भले आंशिक रूप से उनकी मृत्यु के 30 साल बाद पूरा हुआ लेकिन जयपाल सिंह मुंडा ने जिस आदिवासी दर्शन और राजनीति को, झारखंड आंदोलन को अपने वक्तव्यों, सांगठनिक कौशल और रणनीतियों से भारतीय राजनीति और समाज में स्थापित किया, वह भारतीय इतिहास और राजनीति में अप्रतिम है। एक हॉकी खिलाड़ी के रूप में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हॉकी में उनके अभूतपूर्व योगदान पर भी यह पुस्तक बखूबी प्रकाश डालती है।

संस्करण[संपादित करें]

  • इस पुस्तक का पहला संस्करण विकल्प प्रकाशन, दिल्ली से 2015 में प्रकाशित हुआ
  • दूसरा संस्करण प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से शीघ्र प्रकाश्य

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "जयपाल सिंह को नए सिरे से पढ़ने की जरूरत". 9 जुलाई 2017. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2017.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2017.
  3. Ramachandra Guha (2008). India After Gandhi: The History of the World's Largest Democracy. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-006095858-9.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2017.
  5. "पहले ओलंपियन को भूल गया झारखंड". 9 जुलाई 2017. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2017.