भारतीय ज्ञान परम्परा

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भारतीय ज्ञान परम्परा ( Indian Knowledge Systems ) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का एक प्रभाग है जिसका लक्ष्य स्वदेशी भारतीय ज्ञान को बढ़ावा देना है।[1]

इतिहास[संपादित करें]

सन २०२० में लागू की गयी भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि भारतीय ज्ञान परम्परा को शिक्षा के सभी स्तरों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाय। इसी के अनुसार राष्ट्रीय क्रेडित फ्रेमवर्क (NCF) ने छात्रों को प्राचीन भारतीय विज्ञान और कला से सम्बन्धित पाठ्यक्रम लेकर क्रेडिट प्राप्त करना सम्भव किया है। "भारतीय रसायनशास्त्र के लिये दृष्टि २०४७" नामक पहल में भी भारतीय ज्ञान परम्परा को सम्मिलित किया गया है। सन २०२२-२३ के बजट में भारतीय ज्ञान परम्परा के लिये निर्धारित राशि बढ़ाकर २० करोड़ रूपये कर दी गयी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, स्नातक तथा परास्नातक स्तर पर छात्रों के सम्पूर्ण क्रेडिट का ५ प्रतिशत भारतीय ज्ञान परम्परा के पाठ्यक्रमों से होना चाहिये। सन २०२५ तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग १५ लाख शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रशिक्षण देगा। आयोग ने एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी आरम्भ किया है।

भारतीय ज्ञान परम्परा के अधीन कुछ पारम्परिक भारतीय ज्ञान के क्षेत्रों में अनुसन्धान करने की पहल भी की है, जैसे कृषि एवं वास्तुशास्त्र के क्षेत्र में।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Chakrabarty, A. M. Jigeesh & Sreeparna (2023-10-07). "UGC to train over 1,000 teachers to teach Indian knowledge systems from degree level". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2023-10-25.