बृहदारण्यक (उपनिषद्)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

बृहदारण्यकोपनिषद प्राप्त उपनिषदों में सबसे बड़ा उपनिषद है । शुक्ल्यजुर्वेद के शतपथ ब्राह्मण के अंतिम 6 अध्याय में 14 वे कांड का अंतिम भाग ही बृहदारण्यकोपनिषद है । यह विशालकाय और प्राचीन उपनिषद है । यह शुक्ल यजुर्वेद से संबन्धित है । इसमे पुनर्जन्म का उल्लेख भी किया गया है । बृहदारण्यकोपनिषद में कुल 3 भाग है जिसमें 2-2 अध्याय है , अतः कुल 6 अध्याय है बृहदारण्यकोपनिषद है ।

3 भागों के नाम -

  1. मधुकाण्ड
  2. याज्ञवलक्यकाण्ड
  3. खिलकाण्ड

बृहदारण्यक उपनिषद की प्रमुख सूक्तियाँ -

अहं ब्रह्मास्मि ।

असतो मा सद्गमय ।